सिर और गर्दन में कैंसर के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण तम्बाकू का बढ़ता सेवन है, यह आंकड़ा गुजरात कैंसर अनुसंधान संस्थान (जीसीआरआई) का है।
जीसीआरआई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. परिमल जीवराजनी ने कहा, ‘‘राज्य में हर साल सामने आने वाले कैंसर के मामलों में अनुमानित तौर पर 30-35 प्रतिशत मामले सिर और गर्दन के कैंसर के होते हैं।’’
उन्होंने राज्य में पुरुषों में बढ़ते कैंसर मामलों पर चिंता जताई और कहा कि राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक पुरुषों में इस कैंसर के लक्षण तम्बाकू के बढ़ते सेवन की वजह से हैं।
हेल्थ केयर ग्लोबल कैंसर सेंटर के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं निदेशक डॉ. राजेंद्र तोपरानी ने कहा कि आजकल युवा पढ़ी बहुत छोटी उम्र में तम्बाकू की आदी हो रही है, युवा आबादी में भी गर्दन और कैंसर के लक्षणों में वृद्धि हो रही है।
गांधीनगर स्थित अपोलो अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. विशाल चोस्की ने कहा कि कुल मिलाकार सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में 90 प्रतिशत तम्बाकू से संबंधित हैं, जो धुआंरहित तम्बाकू चबाने, नसवार लेने और अन्य कारणों की वजह से होता है।
गुजरात में करीब 60 प्रतिशत पुरुष तम्बाकू के आदी हैं, जबकि तम्बाकू की आदी महिलाओं का प्रतिशत 8.40 है। इस तरह के कैंसर के लक्षणों में मुंह में छाले, गले में सूजन, आवाज में बदलाव और खाने में कठिनाई तथा अन्य समस्याएं शामिल हैं।
डॉ. तोपरानी ने कहा कि भारत में आम तौर पर 70 प्रतिशत रोगी डॉक्टरों के पास तब पहुंचते हैं जब कैंसर काफी बढ़ चुका होता है, जबकि पश्चिमी देशों में मरीज काफी शुरुआती चरण में ही डॉक्टरों के पास पहुंच जाते हैं।
डॉ. तोपरानी ने कहा कि ऑपरेशन, रेडियोथेरापी और कीमोथेरापी से इस तरह के कैंसर का इलाज हो सकता है, और यदि यहां मरीज डॉक्टरों के पास शुरुआती अवस्था में ही पहुंच जाएं तो उपचार की सफलता का प्रतिशत काफी हो सकता है।
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