पोस्‍टपार्टम से जुड़ी ये बातें, डॉक्‍टर आपको नहीं बताते

अधिकतर महिलाओं में इस बात को लेकर जानकारी का अभाव रहता है कि आखिर गर्भावस्‍था के बाद अपना खयाल कैसे रखा जाए। उन्‍हें लगता है कि जब तक वे गर्भवती थीं, त‍भी तक उन्‍हे अपनी सेहत के प्रति अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की जरूरत होती है, लेकिन वास्‍तविकता इससे अलग होती है।
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पोस्‍टपार्टम से जुड़ी ये बातें, डॉक्‍टर आपको नहीं बताते

गर्भावस्‍था के दौरान महिला अपने शारीरिक और मानसिक बदलावों को लेकर फिकमंद रहती है। नौ महीने ते अपने आहार, व्‍यवहार और सेहत को लेकर आपको कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। आखिर सवाल होने वाले बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य से जो जुड़ा है। जरा सी चूक, आपके बच्‍चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। आप डॉक्‍टरों से लेकर घर के बड़ों तक सबकी सलाह को पूरी शिद्दत के साथ मानती हैं।

तमाम घटनाक्रमों के बाद आपके आंगन में किलकारी गूंजती है। और घर आती है नयी खुशी। इस खुशी के साथ ही आपकी प्राथमिकतायें बदल जाती हैं। आपकी शारीरिक जरूरतें भी बदल जाती हैं। यह बात भी सही है कि शिशु के जन्‍म के बाद स्‍त्री का ध्‍यान स्‍वयं से हटकर अपने बच्‍चे की सेहत पर अधिक आ जाता है। इसके चलते कई बार उसका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ने लगता है।

इस पोस्‍टपार्टम के दौरान, महिलाओं को अपने डॉक्‍टर की सलाह का पालन करना चाहिए। पोस्‍ट-पार्टम के दौरान महिलाओं को अवसाद, कमजोरी, दर्द और कई अन्‍य प्रकार की कमजोरियों से गुजरना पड़ता है। कई डॉक्‍टर इन सब बातों की ओर पूरी तरह ध्‍यान नहीं देते और इनके लक्षण नजर आने पर भी उन्‍हें सरसरी तौर पर ही लेते हैं। तो, चलिये जानते हैं पोस्‍टपार्टम से जुड़ी सात जरूरी बातें

mother child

मल्‍टी विटामिन लेती रहें

अधिकतर महिलायें शिशु के जन्‍म के बाद उन मल्‍टी-विटामिन का सेवन बंद कर देती हैं, जिन्‍हें वे गर्भावस्‍था के दौरान ले रही होती हैं। जबकि शिशु के जन्‍म के बाद आपका शरीर कुछ खास पोषक तत्‍वों की अधिक मांग कर सकता है। और यदि आप स्‍तनपान करवा रही हैं, तो आपके लिए पोषक तत्‍वों की जरूरत और बढ़ जाती है। तो, इन दवाओं का सेवन अचानक बंद न करें। कुछ महीने तक इन दवाओं का सेवन करती रहें।

डीएचए

शिशु के जन्‍म के बाद पहले छह सप्‍ताह तक आपको ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें डीएचए की मात्रा अधिक हो। इससे आपका मूड और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा बना रहता है। मछली के तेल से प्राप्‍त होने वाला डीएचए पोस्‍टपार्टम डिप्रेशन का खतरा काफी हद तक कम कर देता है।


जांच करवायें

नयी मांओं को कुछ जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। उन्‍हें थायराइड, आयरन, बी12 और विटामिन डी की जांच करवानी चाहिये। यदि आप अपने मूड, ऊर्जा और कामेच्‍छा में कमी नोटिस कर रही हों, तो आपके लिये ये जांच करवानी और भी जरूरी हो जाती हैं। यदि आपको बेवजह दुख महसूस होता हो, आप लगातार रोती रहें, अत्‍यधिक थकान, चक्‍कर आने और मन अशांत रहने जैसी समस्‍यायें हों, तो आपको इन जांचों को करवाने में कोई हर्ज नहीं।

सेहत का रखें खयाल

नयी मांओं को कई प्रकार की समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। उन्‍हें नींद की कमी, तनाव और शरीर पर पड़ रहे अतिरिक्‍त दबाव से दो-चार होना पड़ता है। इससे उनके शरीर में कॉरटिसोल हॉर्मोन का स्‍तर बढ़ जाता है। आपको अपनी एड्रेनल ग्रंथि का खयाल रखना चाहिए। यह ग्रंथि गुर्दे से संबंधित होती है। बाजार में इसके लिए कई दवायें मौजूद हैं।

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अच्‍छा खायें, सेहत बनायें

मां बनने के बाद आपको अपने आहार को लेकर काफी सजग रहने की जरूरत होती है। हालांकि, यह कहना आसान है और करना मुश्किल। क्‍योंकि अकसर महिलाओं को सेहतमंद खाने के बारे में पता ही नहीं होता। याद रखें आपके आहार का असर स्‍तनपान करने वाले आपके शिशु पर पड़ेगा। यदि आप सही पोषक तत्‍वों का सेवन नहीं करेंगी, तो इसका असर आपके बच्‍चे की सेहत पर पड़ेगा। आपको दिन में तीन बार भोजन करना चाहिए, इसके साथ ही स्‍नैक्‍स और खूब पानी का सेवन करना चाहिए। यदि आपको पर्याप्‍त ऊर्जा और पोषण मिलेगा, तो इससे आपका मूड भी फ्रेश रहेगा।

 

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