टैट सिंड्रोम के होते हैं ये मामूली लक्षण, कभी ना करें नजरअंदाज

टैट सिंड्रोम (टायर्ड ऑल द टाइम) यानी हर समय थकान का एहसास होना।
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टैट सिंड्रोम के होते हैं ये मामूली लक्षण, कभी ना करें नजरअंदाज

टैट सिंड्रोम (टायर्ड ऑल द टाइम) यानी हर समय थकान का एहसास होना। जब भी किसी व्यक्ति में यह समस्या होती है तो लोग अक्सर शुरुआत में इसे अनदेखा कर देते हैं, लेकिन इस मामले में लापरवाही दूसरी गंभीर समस्याओं को न्योता देती है। अभी यह शब्द बहुत ज्य़ादा आम नहीं हुआ है लेकिन इसके चंगुल में फंसने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। हालिया अध्ययन बताते हैं कि प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति टैट सिंड्रोम से पीड़ित है। यही नहीं, पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इससे कहीं अधिक पीड़ित हो रही हैं। घर-समाज और ऑफिस के स्तर पर बढ़ी जिम्मेदारियां इसकी प्रमुख वजह हैं।

मूल में है सीएफएस

टैट सिंड्रोम कोई नया शब्द नहीं है। कुछ वर्ष पहले सीएफएस (क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम) भी चर्चा में आया था। इसमें थकान की वजह से लोगों का बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता था। कुछ लोगों को तो मांसपेशियों में दर्द-कमजोरी, सिरदर्द और बुखार की शिकायत हमेशा बनी रहती थी। इसका सबसे दुखद पहलू यही था कि लोग बगैर इसका कारण जाने वर्र्षों से इससे पीडि़त रहते थे। उस वक्त डॉक्टरों ने थकान के अनुभव और उसके छह माह तक लगातार जारी रहने को सीएफएस करार दिया था। इसी का ही कम प्रभाव आज टैट सिंड्रोम के नामकरण से नवाजा गया है।

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टैट के कारण

इसके लिए शारीरिक, भावनात्मक, जीवनशैली या खानपान से जुड़ी बातों को जिम्मेदार माना गया है। साथ ही दूसरी तरह की बीमारियों, गर्भावस्था या स्तनपान भी इसके कारणों में शुमार किए गए। घर बदलना, पारिवारिक या कार्यगत समस्याओं से उपजे तनाव और दबाव बढ़ाने वाली स्थितियों को भी एक मुख्य कारण माना गया।

शारीरिक बदलाव

मोटापे सरीखे शारीरिक बदलाव को भी थकान का जिम्मेदार माना गया है। एनीमिया, थायरॉयड व दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों में भी व्यक्ति थका-थका महसूस करता है। साथ ही अनिद्रा या खर्राटेदार नींद भी इसके लिए जिम्मेदार मानी गई। भावनात्मक स्तर पर तनाव और चिंता से भी थकान पनपती है। किसी स्थिति पर नियंत्रण स्थापित न होने या नाकाम होने से जो कुंठा और चिड़चिड़ापन पनपता है, वह टैट सिंड्रोम में ही आता है।

आगे बढऩे का तनाव

आर्थिक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा कमाने का भूत अधिकतर लोगों के सिर पर सवार है। कई ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे जिन्होंने तीन-तीन साल तक बगैर किसी छुट्टी के काम किया। ऐसे लोग नौकरी छूट जाने या दूसरों के आगे निकल जाने के डर से दिन-रात काम करते रहते हैं। वे इस फेर में जिस तनाव को पाल बैठते हैं, वह भी टैट सिंड्रोम का एक प्रमुख कारण है।

नींद की कमी

असामान्य या अव्यवस्थित नींद टैट सिंड्रोम से पीड़ित शख्स की समस्या बढ़ाने का काम करती है। कम से कम आठ घंटे की अच्छी और गहरी नींद बहुत जरूरी है। बिस्तर पर करवटें बदलने से कहीं बेहतर है कि एक-दो घंटे कम किंतु अच्छी-गहरी नींद ली जाए।

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खानपान से जुड़े पहलू

मसलन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीना, कम प्रोटीन लेना, कम या ज्य़ादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन, कैफीन पर निर्भरता, तला-भुना भोजन, अनिश्चित खानपान और संतुलित भोजन का अभाव होना।

आरामतलब जीवनशैली

पसीना बहाना वास्तव में ऊर्जा स्तर में वृद्धि लाने का काम करता है और गैजेट फ्रीक लोग इसे भूलते जा रहे हैं। वे घर बैठे-बैठे एक क्लिक से काम निपटाने लगे हैं, सीढ़ी की जगह लिफ्ट से जाते हैं। चलना-फिरना और मेहनत करना खत्म होता जा रहा है। इससे शरीर में थकान बढ़ती है।

टैट सिंड्रोम के लक्षण

  • ऊर्जा स्तर में कमी का अनुभव
  • लंबे समय तक भारीपन का अनुभव
  • दिन भर पलकें भारी रहना यानी नींद का अनुभव करना
  • मोटिवेशन की कमी
  • एकाग्रचित्त होने में दिक्कत
  • निर्णय लेने में कठिनाई
  • दैनिक कार्यों को अंजाम देने में कठिनाई
  • बगैर किसी कारण निराशा में डूबे रहना।

कैसे बचें इससे

  • थकान का अनुभव कराने वाली चीजों को बंद कर दें या कम से कम करें। एक-दो सप्ताह तक आप जो भी काम करें, उसे कहीं लिखते जाएं। फिर इस लिस्ट पर निगाह डाल कर तय करें कि किन कामों को करने से आपको थकान होती है।
  • नियमित व्यायाम से ऊर्जा स्तर में तो वृद्धि होती ही है, साथ ही शरीर में दर्द की अनुभूति भी कम होती है। हालांकि व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की राय लेना न भूलें। अत्यधिक व्यायाम भी थकान का एक प्रमुख कारण होता है।
  • ध्यान भी कई तरह से राहत देने का काम करता है। यह ऊर्जा में संतुलन लाता है। दिमाग को शांति प्रदान कर यह शरीर को भी हलका बनाता है। रोजाना सिर्फ 10 मिनट का ध्यान अधिकांश समस्याओं को कम कर सकता है। अगर आप प्राणायाम करते हैं तो इसके जादुई प्रभाव भी महसूस कर सकत हैं।
  • अधिकतर लोगों को लगता है कि सहायक या वैकल्पिक चिकित्सा मसलन मालिश, एक्यूपंक्चर, योग और स्ट्रेचिंग से उन्हें आराम मिलता है। इस संदर्भ में ध्यान रखें कि कई बार ये उपाय समस्या को अधिक जटिल बना कर आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। बेहतर रहेगा कि इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें।

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