मां के स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी के लिए करायें गर्भधारण से पहले जांच

गर्भावस्‍था में चिकित्सक से राय लेना इसलिए भी आवश्यक हो जाता है, जिससे आप गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं से अवगत हो जायें।
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मां के स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी के लिए करायें गर्भधारण से पहले जांच


पुराने समय में महिलाएं बिना किसी पूर्व जांच के गर्भधारण की योजना बनाती थीं। लेकिन आज की बदलती जीवनशैली के कारण महिलाओं में आधुनिक गतिविधियों को देखते हुए और जीवनशैली में परिवर्तन के कारण गर्भणारण में समस्याएं आ सकती हैं। महिलाओं में बदलती आदतों जैसे धूम्रपान आदि के कारण भी गर्भ से सम्बन्धी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं ।

Test Before Pregnancyगर्भावस्‍था में चिकित्सक से राय लेना इसलिए भी आवश्यक हो जाता है, जिससे आप गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं से अवगत हो जायें। अगर आप गर्भधारण के दौरान होने वाली समस्याओं से अनजान हैं, तो नीचे कुछ ऐसी समस्याएं दी हैं जो कि अकसर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती हैं। इस स्‍थितियों को समझकर आप गर्भावस्‍था की इन परेशानियों से बच सकते हैं। 

 

गर्भधारण से पहले जरूरी जांच


एनीमिया

बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्‍था या रक्ताल्पता की बीमारी होती हैं। रक्त की जांच से रक्त में हीमोग्लोबीन के स्तर औऱ ब्लड काउंट का पता लगता है। लौहतत्वों की कमी से होनेवाला एनीमिया गर्भावस्था की शिकायतें बढ़ा सकता है और गर्भस्थ शिशु की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

 

उच्च रक्तचाप 

उच्च रक्तचाप के कारण भी गर्भावस्था में समस्‍याएं हो सकती है। गर्भावस्था की पूरी अवधि के दौरान रक्तचाप को नियंतित्र रखने का पूरा प्रयास करें।

 

थायरायड सम्ब‍न्धी समस्याएं 

रक्त जांच से थायरायड स्टीमुलैंट्स के स्तर का पता चलता है। थायरायड का कम सक्रिय होना हाइपोथायरायडिज़्म का इलाज नहीं है। इससे गर्भपात या बांझपन तक हो सकता है। अधिक सक्रिय थाइरॉइड या हाइपरथाइरॉइडिज्म को बिना इलाज के छोड़ देने पर प्रीमैच्योर बर्थ की संभावना बढ़ जाती है।

 

डायबिटीज

कुछ महिलाओं को सिर्फ गर्भावस्‍था के दौरान ही मधुमेह होता है, जो प्रसव के बाद ठीक हो जाता है। इस स्‍थिति को गर्भावधि मधुमेह कहते हैं।

 

यौन संबंध से फैलने वाली बीमारियां

सेक्स के दौरान फैलने वाली बीमारियों या एस टी डीज़ के लक्षण बहुत अस्पष्ट होते हैं। अगर क्लैमाइडिया या गोनोरिया का इलाज समय पर ना किया जाये तो इनसे इन्फ्लेमेटरी बीमारी या पेल्विक की बीमारी के होने का खतरा रहता है। यहां तक कि एक्टोपिक गर्भावस्था की भी सम्भावना रहती है ।

 

 

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