जल्‍द ही रक्‍त जांच से आत्‍महत्‍या के खतरे का चलेगा पता

नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के जर्नल मालिक्‍यूलर साइ‍के‍ट्री के अनुसार, अब मामूली रक्‍त जांच से ही लोगों में आत्‍महत्‍या के खतरे को पहचाना जा सकेगा।
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जल्‍द ही रक्‍त जांच से आत्‍महत्‍या के खतरे का चलेगा पता

रक्‍त जांच करता डॉक्‍टर

क्‍या किसी के बारे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह आत्‍महत्‍या कर सकता है। मनोवैज्ञानिक भले ही किसी व्‍यक्ति से बात कर या उसके व्‍यवहार का विश्‍लेषण कर यह भविष्‍यवाणी कर सकें कि अमुक व्‍यक्ति यह कदम उठा सकता है। हालांकि, उसके लिए व्‍यक्ति का किसी विशेष मनोस्थिति में होना जरूरी है। लेकिन, अब वैज्ञानिकों को इस दिशा में बड़ी सफलता मिलने की उम्‍मीद है। एक ताजा शोध में यह दावा किया गया है कि मामूली रक्‍त जांच से ही लोगों में आत्‍महत्‍या के खतरे को पहचाना जा सकेगा।

 

एक अमेरिकी शोध में कहा गया है कि खून की जांच से आत्‍महत्‍या के खतरे की पहचान की जा सकती है। खून में मौजूद जैव-चिहृकों (बायोमार्कर) का इस्‍तेमाल कर इस खतरे का पता लगाया जा सकता है। इससे समय रहते लोगों को आगाह किया जा सकता है। हालांकि इस दावे को लेकर नयी बहस भी शुरू हो गयी है।

 

नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के जर्नल मालिक्‍यूलर साइ‍के‍ट्री के अनुसार हम जल्‍द ही एक ऐसी रक्‍त जांच करने में सक्षम हो जाएंगे जिससे आत्‍महत्‍या के बारे में अनुमान लगाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं के एक दल ने शरीर में मौजूद आरएनए बॉयोमार्क्‍स की एक श्रृंखला की खोज की है, जिसके जरिये ऐसे लोगों को पहचानना आसान होगा, जिनके आत्‍महत्‍या करने की आशंका हो।

 

वैज्ञानिकों ने कहा कि उनके नतीजे आत्‍महत्‍या की जांच के लिए 'सिद्धांत के सबूत' हैं। जबकि ब्रिटिश विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया है। अमेरिकी शोधकर्ताओं को उम्‍मीद है कि इस जांच से उन लोगों के उपचार में मदद मिलेगी जिन्‍हें आत्‍महत्‍या का ज्‍यादा खतरा है। लेकिन ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी जैव चिहृ की खोज एक चीज है, पर भविष्‍य के व्‍यवहार की भविष्‍यवाणी के लिए उसका इस्‍तेमाल करना दूसरी चीज है।  




 

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