रिटायरमेंट के बाद जीवन भर की भागदौड़ और काम-काज की थकान को कम करने के सपने सजा लेना, लोगों में सामान्य धारणा होती है। लेकिन हाल ही में आया एक शोध बताती है कि रिटायरमेंट के बाद ज्यादा आराम करने पर आपके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। शोध में बताया गया कि रिटायरमेंट के बाद अक्सर काम करने की आदत छूट जाती है। जिसके कारण मस्तिष्क के काम करने की क्षमता पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही बताया गया कि खाली बैठने पर डिप्रेशन और अलजाइमर जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
इस शोध की प्रमुख, कोंकोर्डिया यूनिवर्सिटि की डॉ. लैरी बेयर बताती हैं कि 'जीवन में रिटायरमेंट का समय तब आता है जब ढलती उम्र में होने वाली समस्याएं शरीर को घेरने लगती हैं। इस वजह से इस दौरान मस्तिष्क की क्षमता को समझना और इसे प्रभावित करने वाले कारणों को दूर करना बहुत ही जरूरी है।'
इस अध्ययन में डॉ. बेयर और उनके साथियों ने चार सालों तक 333 लोगों पर अध्ययन कर उसका विश्लेषण किया। अध्ययन में शामिल सभी प्रतिभागियों का स्वास्थ्य अच्छा था और सभी औसतन 59 की आयु में रिटायर हुए थे।
इनमें से कुछ प्रतिभागियों ने रिटायरमेंट के बाद खाली समय में अपनी रुचि से जुडे़ काम-काज किये, जबकि बाकी ने उस समय को आराम कर गुजारा। शोधकर्ताओं के अनुसार, काम-काज कर समय का सदुपयोग करने वाले प्रतिभागियों के मस्तिष्क की क्षमता खाली बैठकर आराम करने वाले प्रतिभागियों की तुलना में अधिक पायी गई।
यह अध्ययन 'जर्नल ऑफ गेरोंटोलॉजी: साइकोलॉजिकल साइंस" के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ।
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