गर्भपात के मनोवैज्ञानिक प्रभाव

कई बार गर्भपात के कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती। आइए जानें गर्भपात के मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में।
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गर्भपात के मनोवैज्ञानिक प्रभाव


गर्भपात के दर्द से उबर पाना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता है। हर औरत मां बनने का सपना देखती है। लेकिन अगर यह सपना पूरा होने के पहले ही टूट जाए तो दर्द होना लाजमी है।

effects of miscarriageगर्भपात के बाद महिलाए शारीरिक व मानसिक रुप से काफी अस्वस्थ महसूस करती है। इस दौरान उन्हें अपने पार्टनर व परिवार से सहयोग की जरूरत होती है। इस दौरान महिलाओं के तनावग्रस्त होने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि वे चाहकर भी इस हादसे को भूला नहीं पाती हैं। कई बार गर्भपात के मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं जिनके बारे में महिलाएं को पता नहीं होता है। जानें क्या है वे प्रभाव -

 

  • गर्भवस्था के दौरान महिलाएं नन्हे मेहमान के सपने सजाने लगती हैं जिसकी वजह से वे गर्भपात की घटना का सामना नहीं कर पाती हैं। इसलिए इसका मानसिक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
  • गर्भपात के बाद न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है बल्कि मानसिक रूप से भी महिलाएं बहुत प्रभावित होती है। उनके दिलो-दिमाग पर इसका इतना असर पड़ता है  कि वह कई बार अपने काम पर भी सही तरह से फोकस नहीं कर पाती।
  • जिन महिलाओं में गर्भपात होता है उनको हमेशा यह चिंता रहती है कि वो भविष्य में क्या दोबारा कभी मां बन पाएंगी या नहीं। कहीं वो गर्भपात के बाद किसी बीमारी की शिकार तो नहीं हो जाएंगी।
  • गर्भपात के महिलाएं यह सोचती हैं कि क्या भविष्य में उनका दूसरा बच्चा स्वस्थ रहेगा, क्या वह अपने बच्चे को सही से स्तनपान कराने में समर्थ होंगी, गर्भपात के बाद उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा इत्यादि सवाल महिलाओं को चिंतिंत करते है। जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हो जाती हैं।हालांकि 12 हफ्ते के गर्भ के दौरान गर्भपात कराया जाता है तो दोबारा गर्भधारण करने में कोई कमी नहीं आती लेकिन यह भी निश्चित नहीं है।

  • वर्ल्ड हेल्थ आरगनाइजेशन द्वारा कराये गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन औरतों के दो-तीन गर्भपात कराये जाते हैं उनके प्राकृतिक गर्भ पतन की अपरिपक्व प्रसव या जन्म के समय बच्चे के कम वजन की आशंकाएं दो तीन गुना बढ़ जाती हैं।
  • गर्भपात के बाद महिलाएं मानसिक रूप से तब तक अधिक चिंतित रहती है जब तक वह दोबारा गर्भधारण कर स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे देती।
  • गर्भपात के बाद मानसिक परेशानियों को दूर करने और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को कम करने के लिए डॉक्टर से सलाह-मशवरा कर मनोचिकित्सक की मदद ली जा सकती है। इतना ही नहीं परिवार का साथ और पति का प्यार भी महिला को गर्भपात के बाद मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करता है।

 

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