भारत में हर 2 मिनट में निमोनिया और डायरिया लेता है एक बच्चे की जान

एक हालिया अंतर्राष्ट्रीय स्टडी के मुताबिक भारत में डायरिया और निमोनिया की वजह से हर दो मिनट में पांच से कम उम्र के एक बच्चे की मौत हो जाती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इन दोनों बीमारियों की वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत होती है।
  • SHARE
  • FOLLOW
भारत में हर 2 मिनट में निमोनिया और डायरिया लेता है एक बच्चे की जान


भारत में हर दो मिनट में निमोनिया और डायरिया की वजह से पांच साल से कम उम्र के एक बच्चे की मौत होती है। यह बात इन दो घातक बीमारियों से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 देशों को लेकर जारी एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में सामने आई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में निमोनिया और डायरिया के कारण पांच साल से कम बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। इन दोनों बीमारियों की वजह से हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र के 296,279 बच्चों की मौत हो जाती है। इसके मुताबिक भारत में हर दिन संक्रामक बीमारियों के कारण 811 और हर घंटे 33 बच्चों की मौत होती है।

diarrhoea

2016 की निमोनिया और डायरिया प्रोग्रेस रिपोर्ट को अमेरिका स्थित जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर (IVAC) द्वारा जारी की गई है। दरअसल जब भी किसी बच्चे में निमोनिया और डायरिया के लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत उपचार दिए जाने की जरूरत होती है। लेकिन भारत में निमोनिया और डायरिया के संभावित लक्षणों से पीड़ित बच्चों में से सिर्फ 77 फीसदी को ही उचित स्वास्थ्य उपचार मिल पाया जबकि उनमें से भी महज 12.5 फीसदी को ही एंटीबायोटिक्स मिल पाया।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में गरीबी में गुजारा कर रहे कई परिवारों के लिए रोटावायरस डायरिया का इलाज आर्थिक रूप से बहुत भारी पड़ता है और यहां हॉस्पिटल में इसके इलाज में करीब तीन हफ्ते का वेतन लग जाता है।

रिपोर्ट में भारत के विभिन्न हिस्सों में हेल्थ वर्कर्स द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले उपचार की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए हैं और एंटीबायोटिक्स के प्रयोग में असमानता की ओर इशारा किया गया है। इसमें कहा गया है कि देश के कुछ हिस्सों में एंटीबायोटिक्स का ज्यादा प्रयोग किया जाता है, खासकर इन बीमारियों ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में। ज्यादातर मामलों में बच्चों को एंटीबायोटिक्स की उचित खुराक नहीं मिल पाती है।


डायरिया के इलाज के लिए सबसे अच्छा इलाज ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन यानी की ORS और जिंक्स सप्लीमेंट्स देना होता है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि भारत में महज 0.3 फीसदी बच्चों को ही जिंक सप्लीमेंट्स से युक्त सीरप मिल पाता है जबकि महज 34 फीसदी को ही ORS मिलता है। कुल पैदा हुए बच्चों में से महज 65 फीसदी को ही अपनी मां का स्तनपान करने को मिलता है। स्तनपान करने से इन बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।

 

Image source: NPR&First

Read Next

मीठे ड्रिंक्स से ज्यादा प्यार बढ़ाता है आपमें डायबिटीज का खतरा!

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version