बच्‍चे को मोटापे से बचाने के लिए उसका टीवी देखने का समय घटायें

नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ एंड केयर एक्‍सीलेंस के मुताबिक जो बच्‍चे टीवी पर अधिक समय बिताते हैं, उनके मोटापे से ग्रस्‍त होने की आशंका अधिक होती है।
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बच्‍चे को मोटापे से बचाने के लिए उसका टीवी देखने का समय घटायें

बच्चों में मोटापाअगर आपके बच्‍चे का वजन अधिक है या फिर वह मोटा है, तो आपको चाहिए कि आप उसे टीवी कम देखने के लिए प्रोत्‍साहित करें। ब्रिटेन के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ एंड केयर एक्‍सीलेंस ने स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि माता-पिता को ऐसे विकल्‍पों की तलाश करनी चाहिए, ताकि उनके बच्‍चों के जीवन को शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय बनाया जा सके।



उदाहरण के लिए, अगर किसी बच्‍चे का वजन अधिक है, तो इस बात का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए कि उसने दिन में कितना समय टीवी अथवा कंप्‍यूटर के आगे बैठकर बिताया और कितना समय उसने शारीरिक गति‍विधियां कीं। इसमें यह भी कहा गया है कि डॉक्‍टरों को माता-पिता से यह भी पूछा जाना चाहिए कि क्‍या बच्‍चा स्‍कूल तक पैदल जा सकता है। और अगर ऐसा है, तो क्‍या वह वास्‍तव में अपने स्‍कूल पैदल जाता है।

नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ एंड केयर एक्‍सीलेंस के निदेशक प्रोफेसर माइक कैली का कहना है कि हम परिवार पर आधारित जीवनशैली के कार्यक्रम अपनाने की कड़ी सलाह दे रहे हैं। कैली का कहना है कि इन सुझावों से माता-पिता को भी यह जानने में मदद मिलेगी कि आखिर किन उपायों को अपनाकर वे मोटापे जैसी बीमारी को कम कर सकते हैं।

उन्‍होंने कहा कि इन दिशा-निर्देशों में कई ऐसे सुझाव हैं, जो हम सबको वैसे भी करने चाहिए। इनमें स्‍वस्‍थ खानपान अपनाना, पूरे परिवार का एक साथ अधिक समय बिताना और टीवी और कंप्‍यूटर गेम्‍स को कम वक्‍त देना आदि शामिल है।

कैली ने आगे कहा कि मोटापा अथवा अधिक वजन होना, बच्‍चे के जीवन स्‍तर पर काफी गहरा असर डालता है। यह उनके आत्‍म-सम्‍मान को ठेस पहुंचा सकता है। ऐसे बच्‍चों को अधिक तंग किया जाता है अथवा उपहास बनाया जाता है। ऐसे में हमें बच्‍चों की इस समस्‍या के प्रति अधिक संवेदनशील और गंभीर होने की जरूरत है।

कैली ने कहा कि बच्‍चों अथवा युवाओं में वजन की समस्‍या को अक्‍सर अनदेखा कर दिया जाता है। इसके पीछे बड़ी वजह लाइफस्‍टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम के लक्ष्‍यों को सही प्रकार से समझ नहीं पाना है। वर्ष 2011 में इंग्‍लैंड में दो से 15 वर्ष तक के करीब तीस फीसदी बच्‍चे, जिनमें लड़के व लड़कियां दोनों शामिल थे, मोटापे अथवा अधिक वजन से परेशान थे।

 

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