वाशिंग्टन यूनिवर्सिटी का ताजा अध्ययन बताता है कि हर साल दुनियाभर में लाखों महिलायें स्तन कैंसर की गिरफ्त में आती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कीमोथेरेपी में जहरीले तत्वों का शामिल होना। इससे निपटने के लिए भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक ने नैनो मेडिसिन तैयार की है जो कीमोथेरेपी के नुकसान से बचाने में मददगार साबित होगी।
गंभीर किस्म के स्तन कैंसर पर सामान्य कीमोथेरेपी का असर नहीं होता। ऐसे में उच्च स्तर पर कीमोथेरेपी देने की जरूरत होती है। लेकिन इसका स्तर बढ़ाने से इसमें जहरीले तत्व आ जाते हैं। इसके कारण कैंसर ग्रस्त कोशिकायें कीमोथेरेपी को ग्रहण नहीं कर पातीं।
'इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे (आईआईटी-बी) की प्रोफेसर रिंती बैनर्जी ने जो नैनो मेडिसिन बनायी है उससे इस समस्या का समाधान मिल सकता है। उन्होंने बताया, ' कीमोथेरेपी में मौजूद जहरीली दवायें सामान्य रक्त कोशिकाओं पर वार कर उन्हें खत्म कर देती हैं। इस दवा का कुछ ही अंश कैंसर कोशिकाओं पर वार करता है। इस समस्या को देखते हुए हमनें ऐसी नैनो मेडिसिन बनायी है जो कीमोथेरेपी में इस्तेमाल दवाओं के असर को बढ़ा सकती है। साथ ही उनके जहरीले तत्वों से होने वाले नुकसान को भी कम करने में सक्षम है।'
प्रो. बैनर्जी की बनायी गयी नैनो मेडिसीन प्याज की तरह दिखती है। शरीर के अंदर जाने पर कैंसर कोशिकायें इस दवा को पोषक तत्व के रूप में ग्रहण करती हैं। यह ट्यूमर में ऐसी दवा का स्राव करती हैं जो कीमोथेरेपी से पैदा होने वाले नुकसान को कम कर देती है।
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