कुपोषण के खिलाफ जंग लाई रंग, आंकड़ा हुआ कम

आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां छोटे बच्चे पैदा ही कुपोषित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में कुपोषण दूर करने के लिए कलेक्टर की तरफ से किए गए प्रयास अब रंग लाने लगे हैं।
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कुपोषण के खिलाफ जंग लाई रंग, आंकड़ा हुआ कम

आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां छोटे बच्चे पैदा ही कुपोषित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में कुपोषण दूर करने के लिए कलेक्टर की तरफ से किए गए प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। उनके चलाए अभियान के कारण 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्ति पा गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित पूरक पोषण आहार, मुख्यमंत्री अमृत योजना और मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा मध्यम और गंभीर कुपोषित बच्चों को जिला खनिज न्यास निधि से प्रतिदिन 100 मिली लीटर दूध दिया जा रहा है।

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सरगुजा जिले में कुपोषण की दर पिछले 7 माह में 30 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गई है। सरगुजा जिले के सभी 9 बाल विकास परियोजनाओं के 2 हजार 420 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जिला खनिज न्यास निधि से सितंबर, 2016 से 6 माह से 5 वर्ष तक के सभी मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों को 100 मिलीलीटर दूध दिया जा रहा है। कलेक्टर भीम सिंह ने बच्चों में कुपोषण दूर करने के विशेष प्रयास किया है। कलेक्टर ने कुपोषण दूर करने के लिए जिले के सभी मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिदिन 100 मिलीलीटर दूध उपलब्ध कराने के लिए जिला खनिज न्यास निधि से 62 लाख 17 हजार रुपये स्वीकृत किए हैं। जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को महिला एवं बाल विकास द्वारा पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत 8 हजार बच्चों को लाभान्वित किया गया है। मुख्यमंत्री अमृत योजना के अंतर्गत प्रति सोमवार 3 वर्ष से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को सुगंधित मीठा दूध उपलब्ध कराया जाता है। मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे लाभान्वित नही हो पाते थे। समान्यत: 6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चों ही अधिक कुपोषित पाए जाते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर भीम सिंह ने सरगुजा जिले में कुपोषण के खिलाफ सुनियोजित जंग छेड़ दिया है।


जिला प्रशासन के सहयोग से डीएमएफ की राशि से अब 6 माह से 5 वर्ष तक के सभी मध्यम और कुपोषित बच्चों को प्रतिदिन दूध उपलब्ध कराया जाता है। दूध की व्यवस्था स्थानीय स्तर से की जाती है और सभी बच्चे इस दूध को बेझिझक पीते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। पूरक पोषण आहार के प्रति महिलाओं को जागरूक करने हेतु जिले के 45 मुख्यमंत्री सुपोषण दूत जनजागरूकता लाने का प्रयास कर रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में समय-समय पर वजन त्योहार मनाया जाता है, जिससे कुपोषित बच्चों की पहचान हो जाती है। कुपोषित बच्चों को जिला मुख्यालय अंबिकापुर और सीतापुर में संचालित एन.आर.सी. पोषण पुर्नवास केंद्रों में भर्ती कराकर चिकित्सा सुविधा के साथ ही आवश्यक पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा ने बताया कि वजन त्योहार 2016 के अंतिम आकड़ों के अनुसार, जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 26 हजार 429 थी, यानी कुपोषण की दर 30.85 प्रतिशत थी। जिले में कुपोषण के खिलाफ चलाए गए अभियान के फलस्वरूप इस साल 3 अप्रैल तक कुपोषित बच्चों की संख्या 26 हजार 429 से घटकर 15 हजार 833 हो गई है। इस अभियान के कारण जिले में कुपोषण का प्रतिशत 30.85 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गया है।

News Source- IANS

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