हार्ट अटैक, ह्रदय घात या दिल का दौरा, इन तीनों शब्द का मतलब एक ही है। दिल का दौरा किसे और कब आ जाए यह कोई नहीं जानता। इसका कोई निश्चित समय नहीं होता है। कभी-कभी तो इसका कोई संकेत भी नहीं मिल पाता है। दरअसल, शरीर में खून पहुंचाने के लिए दिल किसी पंप की तरह काम करता है, और इस पंप को चालू रखने के लिए दिल तक खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिका को ही कोरोनरी ऑरटरी कहा जाता है।
ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि वे कोरोनरी ऑरटरीज डिजीज (सीएडी) से पीड़ित हैं। सीएडी पीड़ित लोगों को या तो सांस लेने में परेशानी होती है या फिर पैर और टखनों में सूजन आ जाती है। और एक समय ऐसा आता है जब दिल से जुड़ी उनकी ऑरटरी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है और तभी दिल का दौरा पड़ता है। तो चलिए आज हम आपको एक्सपर्ट के माध्यम से बता रहे हैं कि, हार्ट अटैक आने के बाद कैसे मरीज की जान बचाई जा सकती है।
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वैशाली गाजियाबाद स्थित नवीन अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ओमकार सिंह ने बताया कि, सबसे पहले हार्ट अटैक के लक्षण को जानना जरूरी है। सीने में दर्द, पसीना आना, बेचैनी और चक्कर आए तो यह हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा अगर सीने से दर्द उठकर बांये कंधे से होते हुए पीठ की तरफ बढ़ रहा है। अगर नाड़ी नहीं मिल रही है या नाड़ी अनियमित है और आप में चेतना नहीं है तो यह ह्रदयघात होना दर्शाता है।
ऐसी स्थिति में आप एंबुलेंस को कॉल करनी चाहिए, जिससे समय पर इलाज दिया जा सके। अगर आपको लगता है कि मरीज संदिग्ध लगता है तो आप उसे शांत तरीके से सीधे लिटा दें। अगर हाथों में पल्स नहीं मिल रही है तो ऐसी स्थिति में हाथों से सीने को दबाएं। अगर आप जानते हैं कि मरीज पहले ही ह्रदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित है तो यह देखना जरूरी है कि कहीं वह कोई दवाई खाना भू तो नहीं गया। ऐसी स्थिति में उसे दवाई देना जरूरी है। हार्ट अटैक के बाद अगर आपने किसी एक्सपर्ट को बुलाया है तो जब तक वह आप तक पहुंच ना जाए तब तक शांत रहना है, किसी तरह का तनाव या शारीरिक श्रम नहीं करना है और इस चीज को पैनिक बनाने की भी जरूरत नहीं है।
नवीन अस्पताल के फिजिशियन डॉक्टर निमित आहूजा ने बताया कि, दिल का दौरा आने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के रूप में डिस्प्रिन की गोली चबाकर पानी के साथ देना चाहिए। इसके तुरंत बाद निकटतम अस्पताल में डॉक्टर की देखरेख में जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि दिल के दौरे में होने वाला सीने का दर्द चलने फिरने पर बढ़ता है। इसलिए मरीज को शांति से लेटे रहना चाहिए। मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए स्ट्रेचर या व्हील चेयर का इस्तेमाल करना चाहिए। बेहोशी या दिल की धड़कन रूक जाने की स्थिति में सीने के निचले हिस्से के मध्य में दोनों हथेलियों से दबाना चाहिए।
ह्रदयघात की मुख्य वजह हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान और मोटापा होता है। अगर आप किसी तरह का शारीरिक श्रम नहीं करते हैं, तो भी दिल का दौरा पड़ने की संभावना रहती है। बहुत से लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और डॉक्टर की सलाह से दवाएं खाकर ठीक हो जाते हैं, लेकिन जो लोग कोरोनरी ऑरटरीज डिजीज से गंभीर रूप से पीड़ित होते हैं, उन्हें एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी की जरूरत होती है।
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