आपने भी इस बात पर गौर किया होगा कि तेज़ धूप में ज्य़ादातर लोग सन ग्लासेज़ पहने नज़र आते हैं। दरअसल नियमित रूप से सनग्लासेज़ पहनना इनकी आदत में शामिल नहीं होता, बल्कि ऐसे लोग इस संक्रामक बीमारी से बचाव के लिए सनग्लासेज़ का इस्तेमाल करते हैं।
कंजक्टिवाइटिस एक खास तरह के एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है लेकिन कई मामलों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी इसके लिए जि़म्मेदार होता है। श्वसन तंत्र या नाक-कान, गले में संक्रमण के कारण भी लोगों को वायरल कंजक्टिवाइटिस हो जाता है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है।
आंखों के इस संक्रमण को पिंक आई या कंजक्टिवाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन आंखों का संक्रमण होने के कारण ज्य़ादा तकलीफ देह हो जाती है। दरअसल बरसात खत्म होने के बाद भी वातावरण में मौजूद नमी, फंगस और मक्खियों की वजह से बैक्टीरिया को तेज़ी से पनपने का अवसर मिलता है। आंखों का सफेद हिस्सा, जिसे कंजक्टिवाइवा कहा जाता है, बैक्टीरिया या वायरस के छिपने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होता है। इसी वजह से सितंबर-अक्टूबर के महीने में लोगों को आई फ्लू की समस्या होती है। इसके अलावा बदलते मौसम में वायरस ज्य़ादा सक्रिय होते हैं, जिससे आई फ्लू की आशंका बढ़ जाती है।
आंखों में लाली और जलन लगातार पानी निकलना आंखों में सूजन पलकों पर चिपचिपाहट आंखों में खुजली और चुभन अगर इन्फेक्शन गहरा हो तो यह कॉर्निया के लिए नुकसानदेह होता है। इससे आंखों की दृष्टि भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लें। ज्य़ादा गंभीर स्थिति में आई हैमरेज की भी आशंका हो सकती है।
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योग में आँखों के लिए छोटी-छोटी एक्सरसाइज बताई गई है जो बहुत ही असरदार है। जिसको हम सूक्ष्म व्यायाम कहते है। इसमें सबसे पहले आँखों के लिए पलकें झपकाना होता है। धीरे-धीरे आँखें को झपकाना होता है। फिर इसके बाद मूवमेंट को तेज करते जाते है। इसके बाद अपनी आँखों को कुछ सेकंड के लिए बंद करते है और फिर धीरे-धीरे खोलते है। पंद्रह से बीस बार इसको करना है हर बार यह व्यायाम करने के बाद आँखों को कुछ देर के लिए बंद रखना है।
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