आंखों की खतरनाक बीमारी हैं मैक्यूलर डिजनेरेशन, जानें इसके लक्षण

यह एक ऐसी समस्या है, जो आँखों की देखने की क्षमता को गंभीर रूप से खराब कर सकती है और अभी तक चिकित्सा जगत में इसका कोई सफल इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन विटामिन, लेजर थेरेपी, दवाओं द्वारा इसे कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। यह समस्या आम तौर पर 60 से ऊपर के व्यक्तियों में पनपती है और इसीलिए इसे एज रिलेटिड यानी उम्र से सम्बंधित रोग कहा जाता है
  • SHARE
  • FOLLOW
आंखों की खतरनाक बीमारी हैं मैक्यूलर डिजनेरेशन, जानें इसके लक्षण

मैक्यूलर डिजनेरेशन, जिसे उम्र से संबंधित मैकिलेटर डिजनेरेशन (एएमडी) या आयु से संबंधित धब्बेदार अध: पतन के रूप में भी जाना जाता है, इसमें रेटिना (दृष्टिपटल) में कमी आ जाती है यानी वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह एक ऐसी समस्या है, जो आँखों की देखने की क्षमता को गंभीर रूप से खराब कर सकती है और अभी तक चिकित्सा जगत में इसका कोई सफल इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन विटामिन, लेजर थेरेपी, दवाओं द्वारा इसे कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। यह समस्या आम तौर पर 60 से ऊपर के व्यक्तियों में पनपती है और इसीलिए इसे एज रिलेटिड यानी उम्र से सम्बंधित रोग कहा जाता है।

क्‍या है मैक्यूलर डिजनेरेशन

ड्राई मैक्यूलर डिजनेरेशन

ड्राई मैक्यूलर डिजनेरेशन में आँख के मैक्युला में एक पीले रंग का पदार्थ इकट्ठा हो जाता है जिसे ड्रुसन (पीले रंग के गुच्छे या गढ्ढे) कहा जाता है। यदि यह गुच्छे कम होते हैं, तो इससे देखने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन यदि इनकी संख्या और आकार बढ़ जाते हैं तो व्यक्ति को पढ़ते या किसी चीज को ध्यान से देखते समय कम दिखाई देने लगता है। यदि यह समस्या सामान्य से कहीं ज़्यादा बढ़ जाए तो आँखों के उस हिस्से की कोशिकाएं या तो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या फिर मृत हो जाती हैं, इस स्थिति में व्यक्ति की केंद्रीय दृष्टि  बहुत कम हो जाती है।

इसे भी पढ़ें: आंखों से अचानक धुंधला दिखने लगे या अंधेरा छा जाए, तो हो सकते हैं ये 5 कारण

वेट मैक्यूलर डिजनेरेशन

मैक्यूलर डिजनेरेशन की नम अवस्था वह होती है, जिसमें मैक्युला के नीचे कोरोज़ से रक्त वाहिकाओं की असामान्य बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस स्थिति को कोरोएडियल नेवस्क्यराइजेशन कहा जाता है। अत्यधिक फुलाव के कारण इन रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुँच जाती है और इससे रेटिना में रक्त और तरल का रिसाव होना शुरू हो जाता है। इसके कारण आँखों की सतह पर लहरदार पंक्तियों के साथ-साथ जगह-जगह चकते बन जानते हैं। यही चकते देखने की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। इसके कारण भी व्यक्ति के देखने की क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

इन दोनों समस्याओं में से ज़्यादातर लोगों में ड्राई मैक्यूलर डिजनेरेशन की समस्या देखने को मिलती है। हालाँकि जिन्हें एक बार ड्राई मैक्यूलर डिजनेरेशन की समस्या हो जाती है, इसके बाद यह वेट मैक्यूलर डिजनेरेशन को भी जन्म दे सकती है।

इसे भी पढ़ें: बार-बार पलकों का झपकना इस बीमारी के हैं संकेत, जानें कारण और बचाव

मैक्यूलर डिजनेरेशन के कारण

उम्र- इस समस्या का ख़तरा बढ़ती उम्र के साथ ही पनपता है। 60 से 65 वर्ष के बीच यह समस्या आम हो जाती है।

अनुवांशिकता- यदि किसी के घर में पहले से यह समस्या हो तो अगली पीढ़ी में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।

धूम्रपान- जो व्यक्ति धूम्रपान के आदि हों, या जिन्हें इसके धुएं के बीच रहना पड़ता हो उनमें भी  मैक्यूलर डिजनेरेशन के होने की आशंका बढ़ जाती है।

मोटापा- मोटापा अपने आप में एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या के पनपने की आशंका शरीर में बढ़ा देता है। वहीं जिन्हें यह समस्या हो चुकी हो, उनमें यह तेजी से बढ़ती भी है।

हृदय रोग- जिन व्यक्तियों को हृदय से जुड़े रोग हों उनमें भी मैक्यूलर डिजनेरेशन के होने की आशंका ज़्यादा रहती है।
बिमारी बढ़ने की अवस्था में व्यक्ति को तनाव और मतिभ्रम जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। वहीं मैक्यूलर डिजनेरेशन जिसकी शुरुआत ड्राई (सूखे) मैक्यूलर डिजनेरेशन से होती है, बढ़ते-बढ़ते यह खुद ही नम मैक्यूलर डिजनेरेशन में भी परिवर्तित हो सकता है। इसीलिए इसकी समय पर जाँच और रोकथाम आवश्यक होती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Eye Diseases In Hindi

Read Next

स्क्रीन वाले गैजेट्स के इस्तेमाल से हो सकता है ग्लूकोमा, ये हैं इसके लक्षण

Disclaimer