दुनिया के हर शख्स का चेहरा दूसरे से जुदा होता है। दो जुड़वा सहोदरों की शक्लें भी एक-दूसरे से हू-ब-हू नहीं मिलतीं। कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। आखिर क्यों दो लोग एक दूसरे से जुदा नजर आते हैं। वैज्ञानिकों ने चूहों पर किये अध्ययन में, अलग-अलग लोगों के चेहरों में अंतर होने के कारणों को समझने में शुरुआती तौर पर सफलता प्राप्त की है। चूहों पर किये एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने डीएनए में मौजूद ऐसे हज़ारों छोटे-छोटे हिस्सों का पता लगाया है, जो चेहरे का आकार और बनावट निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। साथ ही इस शोध से यह भी पता चला कि आनुवांशिक चीजों में परिवर्तन भी चेहरे की बनावट में मामूली फर्क ला सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अभी यह प्रयोग जानवरों पर किये हैं, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि इंसानों के चेहरे का विकास भी कुछ इस प्रकार से ही होता है।
इस संबंध में कैलीफोर्निया स्थित लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी के ज्वाइंट जीनोम इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एक्सेल वाइसेल ने कहा, "हम यह जानने के लिए प्रयासरत हैं कि चेहरे की बनावट के निर्माण के निर्देश इंसानों के डीएनए में किस प्रकार उपस्थित होते हैं। और यह डीएनए ही कुछ हद तक हमारे चेहरे की बनावट के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं।" इन्हें जीन स्विच भी कहा जा सकता है।
प्रोफेसर एक्सेल ने यह भी बताया कि "शोध से हमें पता चलता है कि इन खास स्विच की खोपड़ी के आकार लेने और बढ़ने में भूमिका होती है और ये खोपड़ी की बनावट को प्रभावित भी करते हैं।"
प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम को चूहे के जीनोम में 4000 ऐसे "इनहैंसर्स" मिले, जिनका चेहरे की बनावट में अहम किरदार होता है। डीएनए पर बने ये छोटे "इनहैंसर्स" किसी स्विच की भांति कार्य करते हैं। ये जीन को ऑन और ऑफ करते हैं। वैज्ञानिकों ने इन 4000 इनहैंसर्स में से 200 का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि एक विकास करते चूहे में ये किस प्रकार और क्या काम करते हैं।
प्रोफेसर वाइसेल बताते हैं कि, "चूहे के भ्रूण में हम भलीभांति देख सकते हैं कि जब चेहरे का विकास हो रहा होता है तब इसे नियंत्रित करने वाला स्विच कब ऑन होता है।"
हालांकि वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रयोग किये गये चूहे काफी सामान्य दिखते हैं, लेकिन मनुष्यों के लिए चूहों के चेहरे में फर्क पहचानना भी काफी मुश्किल है। साथ ही जिन चूहों के जीन में बदलाव किया गया, उनके चेहरे की तुलना जब जीन परिवर्तित न किये गए चूहों से की गई तो पता चला कि चेहरे में आने वाला अंतर नाम मात्र ही था। हालांकि कुछ चूहों की खोपड़ी लंबी या ठिगनी हो गई, और कुछ की चौड़ी या पतली हो गई थीं।
प्रोफेसर वाइसेल के अनुसार, "इससे हमें पता चलता है कि इन खास स्विचों की खोपड़ी के विकास में हस्तक्षेप या कहिए योगदान होता है, और ये खोपड़ी की बनावट को प्रभावित करते हैं।"
इस प्रकार की शोधों से यह समझने में भी सहायता मिल सकेगी कि कुछ बच्चों के चेहरों में जन्मजात विकृति क्यों और कैसे आती हैं।
हालांकि शोधकर्ता नहीं मानते कि भविष्य में किसी के चेहरे का अनुमान लगाने या माता-पिता की आनुवंशिक सामग्री में बदलाव लाकर बच्चे के चेहरे में बदलाव लाने के लिए डीएनए का प्रयोग हो सकेगा। यह शोध शोधपत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ है।
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