इबोला रोग दुनिया भर में फैल चुका है। यह बीमारी एक फाइलो वायरस से फैलती है। यह घातक वायरसों के फाइलोविराइड परिवार से संबंधित है। इबोला के कारण मनुष्य एवं अन्य जानवरों आदि में खूनी बुखार होने लगता है। इससे इनसानी अंगों से लहू बहने लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे रिस्क ग्रुप-4 पेथोजेन यानी महामारी की श्रेणी में रखा है।
इस बार यह बीमारी चमगादड़ से फैली है। इस बार इस रोग की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई। इससे पहले यह रोग अफ्रीका के सूडान (1976), अमेरिका के वर्जीनिया, इटली, फिलिपींस में (1989), अफ्रीका के कोरे डिलवोयर (1994) तथा यूगांडा में 2007-08 में देखने को मिला था।
कैसे फैलता है इबोला
इबोला वायरस का जिनोम 19 केबी लंबा होता है। इसके जिनोम में सात स्ट्रक्चरल प्रोटीन होते हैं। लेकिन समस्या यह है कि इबोला की जेनेटिक्स लगातार बदलती रहती है, इसलिए इसे पढ़ पाना बेहद मुश्किल है। इसमें नेगेटिव सेंस आरएनए होते हैं। इस बीमारी के लक्षण सामने आने में 2 दिन से लेकर तीन हफ्ते तक का समय लग सकता है।
क्या होते हैं लक्षण
बुखार के साथ गले में दर्द रहना। बदन में दर्द व सिरदर्द आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। उल्टी-दस्त के बाद यह बीमारी लीवर और किडनी पर भी बुरा असर डालती है। अंतिम स्थिति में शरीर के अंगों से खून आने लगता है। यह बीमारी पसीने, खून एवं सीमन के माध्यम से फैलती है।
यह रोग कोशिका का विभाजन करके अपनी बढ़ोतरी नहीं करता बल्कि होस्ट सेल (रोगी के शरीर की कोशिकाएं) के कॉम्बिनेशन को जरिया बनाता है। यह ‘यू’ अक्षर या ’6′ की शेप में होता है।
क्या करें
हाथ धोयें
वॉशरूम में जाने के बाद अपने हाथ अच्छी तरह से धोयें। हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करें।
भोजन अच्छी तरह बनायें
खाना पकाने से पहले सब्जियों और फलों को अच्छी तरह साफ करें और धोयें। खाना पकाने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह धोयें। और साथ ही खाना पकाने वाले बर्तनों को भी साफ रखें।
डॉक्टरी सहायता लें
जैसे ही आपको सिरदर्द, बुखार, दर्द, डायरिया, आंखों में जलन और/अथवा उल्टी की शिकायत हो, फौरन चिकित्सीय सहायता लें। डॉक्टर से समय पर ली गयी सहायता किसी भी बीमारी को समय रहते पकड़ने में मदद करती है। इससे इलाज में काफी मदद मिलती है।
लोगों को जागरुक बनायें
आपके आसपास कई ऐसे लोग हैं, जो इंटरनेट, टीवी अथवा खबरों के अन्य स्रोतों का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे लोगों तक जरूरी जानकारी पहुंचाने का काम करें। इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक बनाकर आप इसे फैलने से रोकने में अपना योगदान दे सकते हैं।
क्या न करें
संक्रमित लोगों को न छुयें
जिन लोगों में इबोला वायरस के लक्षण नजर आ रहे हों उनके संपर्क में न आएं। जिस व्यक्ति की मौत इबोला से हुई हो, आपको उससे भी दूर रहना चाहिये।
संक्रमित व्यक्ति के सामान को न छुयें
संक्रमित लोगों के कपड़ों, चादर आदि सामान से दूर रहें। ऐसे लोगों के सामान को भी न छुयें। साथ ही जिन लोगों की मौत इबोला से हुई हो, उनके सामान को न छुयें।
बंदरों अथवा बैबून के संपर्क में न आयें
आपको बंदर अथवा बैबून के संपर्क में भी नहीं आना चाहिये। बहुत संभव है कि आपके आसपास घूमने वाले ये जानकर भी इस वायरस से संक्रमित हों और उनसे यह बीमारी आप तक पहुंच जाए।
संक्रमित लोगों के अपशिष्ट को न छुयें
संक्रमित व्यक्ति की उल्टी, रक्त, साल्विया, यूरीन अथवा अन्य किसी द्रव को न छुयें। जिस व्यक्ति में इबोला के लक्षण नजर आ रहे हों, उसकी भी इन चीजों से दूर रहें।
इन बातों का रखें ध्यान
- इबोला के लक्षणों और संकेतों के प्रति सतर्क रहें।
- अगर आपको उल्टी, बुखार या सिरदर्द जैसा कोई भी लक्षण नजर आए, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।
- साफ-सफाई और हाइजीन का खास खयाल रखें।
- संतुलित आहार का सेवन करें, जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल हों।
- बीमारी के बारे में स्वयं को व अपने प्रियजनों को सूचित करते रहें।
- जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक ऐसे अस्पतालों में जाने स बचें जहां इबोला के मरीजों का इलाज हो रहा है।
- अधपका मीट न खायें।
- इबोला प्रभावित देशों, जैसे लाइबेरिया, नाइजीरिया, सीरिया लियानेन, और गुनिया आदि न जाएं।
- अगर आपको वायरल फ्लू है अथवा आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैा तो अन्य अफ्रीकी देशों की यात्रा भी न करें, तो बेहतर।
- घबरायें नहीं और सोशल मीडिया पर इबोला के बारे में अफवाह न फैलायें।
इस बीमारी के बारे में जागरुक रहकर आप खुद को और अपने आसपास के लोगों को इस बीमारी के फैलते खतरे से बचा सकते हैं।
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