इस काम में बटाएं पत्नी का हाथ, बढ़ेगा प्यार और विश्वास

नए शोधों के अनुसार प्यार का खुमार तब और सिर चढ़ कर बोलता है, जब घरेलू कार्यों में पति-पत्नी की बराबर की हिस्सेदारी होती है। यानी सहयोग व बराबरी पर आधारित रिश्ते ही टिकाऊ होते हैं। शादी को सफल बनाने का नया नियम है- घरेलू कार्यों में साझेदारी।
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इस काम में बटाएं पत्नी का हाथ, बढ़ेगा प्यार और विश्वास

क्या घरेलू कार्यों में सहयोग से शादी सफल हो सकती है? इस पर समय-समय पर बहस होती रही है, लेकिन नए शोधों के अनुसार प्यार का खुमार तब और सिर चढ़ कर बोलता है, जब घरेलू कार्यों में पति-पत्नी की बराबर की हिस्सेदारी होती है। यानी सहयोग व बराबरी पर आधारित रिश्ते ही टिकाऊ होते हैं। शादी को सफल बनाने का नया नियम है- घरेलू कार्यों में साझेदारी।

घरेलू कार्यों में साझेदारी से पति-पत्नी के आपसी रिश्ते सुधरते हैं, इसे भले ही शोध अब साबित कर रहे हों, मगर यह एक व्यावहारिक बात है, जिसे आज के हर दंपती को स्वीकारना चाहिए। तमाम सलेब्रिटीज और आम लोग मानते हैं कि शादी की सफलता धैर्य, समर्पण, विश्वास, संवाद, सम्मान और आपसी समझदारी पर निर्भर करती है। आज के समय में जहां स्त्री-पुरुष दोनों घर से बाहर निकल कर काम कर रहे हैं, वहां घरेलू कार्यों में साझेदारी भी वह महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे लेकर तकरार होती है और जिसे वैवाहिक जीवन में नकारा नहीं जा सकता।



समय बदल गया है। जीवनसाथी से उम्मीदों का स्वरूप भी काफी बदल चुका है। लड़कियों की दबी-सहमी छवि अब मुखर रूप में सामने आने लगी है। लड़कों को भी जीवनसाथी के रूप में घरेलू कामों में खटने वाली पत्नी नहीं, बराबरी पर खड़ी, आत्मनिर्भर और अपने फैसले खुद लेने वाली पार्टनर चाहिए। युवा घरेलू कार्यों में जीवनसाथी को सहयोग देने के पक्ष में हैं, साथ ही लड़कियां भी ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं, जो किचन में उनका हाथ बंटाए।

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घर के काम और रिश्ते

कुछ समय पहले हुए एक शोध में कहा गया है कि जो कपल्स घरेलू कार्यों में बराबर की हिस्सेदारी निभाते हैं, उनकी निजी सबंध भी बेहतर होती है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और गॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए इस शोध के अनुसार घरेलू कामों में बराबर की हिस्सेदारी निभाने वाले दंपती के निजी संबंध अच्छे होते है।

तलाक की बड़ी वजह

सुप्रीम कोर्ट की एक एडवोकेट स्वीकार करती हैं कि आजकल तलाक के ज्य़ादातर मामलों में घरेलू कार्यों को लेकर आए दिन होने वाली खटपट या नैगिंग जैसे कारण प्रमुख हैं। रिसर्च में एक दिलचस्प बात यह देखने को मिली है कि विवाहेतर संबंधों को भी कई बार कपल्स माफ कर देते हैं, लेकिन काम के बंटवारे को लेकर होने वाले झगड़े समझौतों में कम ही बदल पाते हैं। घरेलू कार्यों को पारंपरिक अर्थ में भले ही स्त्री की जिम्‍मेदारी समझा जाए, मगर व्यावहारिक जीवन में सहयोग का महत्व अधिक है। इस नई रिसर्च के अनुसार, नए दंपती समानता में यकीन रखते हैं और अपने जीवनसाथी से यही उम्मीद रखते हैं। जाहिर है, समानता के मंत्र को कंठस्थ करने वाले दंपती के आपसी रिश्ते बेहतर होते हैं, जिसका नतीजा होता है बेहतर निजी संबंध।

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बदलना होगा नजरिया

पुरुषों के साथ ही स्त्रियों को भी अपना नजरिया बदलना होगा। यदि वे खुशहाल दांपत्य जीवन की चाह रखती हैं तो उन्हें भी पति का सहयोग लेने को तैयार होना होगा और घरेलू जिम्‍मेदारियों को खुद पर ओढऩे और इसे महिमामंडित करने से बचना होगा। परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस धारणा से बाहर निकलना होगा कि घरेलू काम सिर्फ स्त्री को ही करने चाहिए। स्त्री-पुरुष के अलग-अलग कार्यों वाली बहस अब पुरानी हो चुकी है। नई जीवनशैली के हिसाब से कार्यों का बंटवारा करने की जरूरत है।

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