कहते हैं आपका खानपान आपकी उम्र के मुताबिक होना चाहिए। आप 40 की उम्र में भी 20 जैसा आहार नहीं खा सकते। हर उम्र की अपनी पोषक आवश्यकतायें होती हैं और आपको उनका खयाल रखना ही चाहिए। स्वस्थ रहने का एक नियम यह भी है कि आप उम्र के हिसाब से अपने खानपान के व्यवहार में बदलाव करते रहें। हर दशक की अपनी अलग जरूरत होती है और उनका पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं कि किस उम्र में आपको किस प्रकार का आहार लेना चाहिए।
20 के पार
जब आप ट्वेंटीज में होते हैं, उस समय भी आपकी हड्डियों का घनत्व बन रहा होता है। इस दशक में आपकी हड्डियां मजबूत और सेहतमंद होती हैं। यदि आप भविष्य में कमजोर हड्डियों से बचना चाहते हैं, तो बहुत जरूरी है कि आप इस उम्र में इनका पूरा खयाल रखें।
कैल्शियम आपके आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। यह न केवल आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है, बल्कि साथ ही मांसपेशियों की अच्छी सेहत के लिए भी जरूरी होता है। कैलिशयम की पर्याप्त मात्रा आपके दिल और नर्वस सिस्टम को भी सही प्रकार से काम करने में मदद करती है। आपको चाहिए कि कम से कम 1000 मिलीग्राम कैलिशयम का सेवन रोजाना करें। डेयरी उत्पाद, जैसे पनीर, दूध और दही आदि इसके उच्च स्रोत माने जाते हैं। इसके साथ ही दलिया और संतरें का जूस भी कैल्शियम से भरपूर होता है। बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, सालमन मछली आदि भी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।
अकसर देखा जाता है कि युवतियां वजन बढ़ने के डर से डेयरी उत्पादों से दूरी बना लेती हैं। लेकिन यह कोई विकल्प नहीं है। अगर उन्हें अतिरिक्त वसा का डर सताता है, तो वे लो-फैट दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन कर सकती हैं।
तीस की उम्र
आमतौर पर इस उम्र में महिलाओं को मातृत्व सुख प्राप्त होता है। ऐसे में उन्हें फॉलिक एसिड की बहुत जरूरत होती है। फॉलिक एसिड न्यूरल ट्यूब को कई परेशानियों से बचाने का काम करता है। लेकिन, महिलाओं में जिन पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें फॉलिक एसिड भी शामिल होता है। यानी अधिकतर महिलायें इसकी महत्ता को नहीं समझतीं।
वे महिलायें जो गर्भधारण का विचार कर रही हैं, उन्हें रोजाना 400 माइक्रोग्राम फॉलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। इसके लिए उन्हें ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिनमें फॉलिक एसिड की मात्रा अधिक हो। कई ब्रेड, दलिये और अनाज फॉलेट से भरपूर होते हैं। इसके साथ ही फल और सब्जियों में भी फॉलेट काफी मात्रा में होता है। गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर द्वारा फॉलिक एसिड के सप्लीमेट भी सुझाये जाते हैं।
तीस में रहें सावधान
डॉक्टर 30 की उम्र को सावधानी का दशक भी कहते हैं। अगर आपने अभी तक गंभीर बीमारियों के बारे में विचार नहीं किया है, तो वक्त आ गया है कि आप स्वयं को इनसे बचाने की तैयारी कर लें। आपको ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और मोनोअनसेचुरेटेड फैट हो। इसके लिए आपको नट्स, ऑलिव, कैनोला और अवोकैडो आदि का सेवन करें। मोनोसेचुरेटेड फैट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जो हृदय रोग का अहम कारण होता है।
40 में जरूरी है खास खयाल
अगर आपने अपने शरीर का सही प्रकार खयाल नहीं रखा है, तो चालीस की उम्र में उसका असर नजर आना शुरू हो जाएगा। आपकी उम्र बढ़ने लगी है और शारीरिक रूप से उसका असर भी नजर आने लगेगा। उम्र के इस असर को कम करने और भविष्य में अन्य परेशानियों से बचने के लिए आपको जागरूक होने की जरूरत है। आपको अपने आहार में खूब फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन, मिनरल, फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसके साथ ही इसमें वसा और कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। व्यस्कों को रोजाना कम से कम दो कप फल और 2 से ढाई कप सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए।
फलों में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स आपके शरीर को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। हालांकि कुछ लोग एंटी-ऑक्सीडेंट्स के लिए सप्लीमेंट्स का उपयोग करते हैं, लेकिन इसके स्थान पर सामान्य खाद्य पदार्थ ही बेहतर रहते हैं। इसके लिए आपको सेब और केला जैसे फल खाने चाहिए। साथ ही साथ सूप, सलाद और हरी पत्तेदार सब्जियां और बैरी आदि भी एंटी-ऑक्सीडेंट्स का उच्च स्रोत होती हैं। अगर आप इनका कच्चा स्वाद आपको नहीं भाता, तो इन्हें रोस्ट करके भी खाया जा सकता है। इसके साथ ही फाइबर भी इस उम्र में बेहद जरूरी होता है, जो आपके दिल को तो सेहतमंद रखता ही है साथ ही कई प्रकार के कैंसर से भी आपकी रक्षा करता है। पचास वर्ष की आयु से कम की महिलाओं को रोजाना 25 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। लेकिन, अनुमान के अनुसार अधिकतर व्यस्क केवल इसकी आधी मात्रा का ही सेवन करते हैं। फलों और सब्जियों में विटामिन और मिनरल के साथ-साथ फाइबर भी पर्याप्त मात्रा में होता है। इसके लिए आपको साबुत अनाज और बीन्स आदि का सेवन करना चाहिए।
पचास कैलोरी पर रखें नजर
प्रीमेनोपॉज और मेनोपॉज के कारण पचास की उम्र में आपको कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। हॉर्मोंस में काफी तेजी से बदलाव आता है और इसका असर आपके मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को वजन बढ़ने की शिकायत होती है, जिसके कारण उन्हें डायबिटीज और हृदय संबंधी अन्य परेशानियां हो सकती हैं। जानकारों का कहना है कि यदि आपको वजन बढ़ने का अहसास हो, तो आपको कैलोरी का सेवन कम कर शारीरिक गतिविधियों में इजाफा करना चाहिए।
बेहद जरूरी- विटामिन डी शरीर की हर कोशिका के लिए जरूरी होता है। यह हड्डियों की सेहत के लिए तो आवश्यक है ही साथ ही यह कुछ प्रकार के कैंसर, हृदय रोग और संक्रामक बीमारियों से आपकी रक्षा करता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की रोशनी होती है, इसके साथ ही दूध, संतरे का जूस और दलिया आदि इसके उच्च स्रोत होते हैं। मांसाहार का सेवन करने वाले सालमन और ट्यूना मछली के जरिये विटामिन डी हासिल कर सकते हैं।
19 से 70 वर्ष की महिलाओं के लिए रोजाना 600 इंटरनेशनल यूनिट (आईयू) विटामिन डी की आवश्यकता होती है। लेकिन, ज्यादातर व्यस्क महिलाओं को इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिलती। अपने डॉक्टर या आहार-विशेषज्ञ से बात करके आप इसके सप्लीमेंट्स के बारे में भी जान सकती हैं।
60 और उसके पार रखें सेहत का खयाल
उम्र के साथ मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार का सेवन किया जाए, साथ ही स्ट्रेंथ बिल्डिंग व्यायाम भी आपके लिए काफी फायदेमंद होते हैं। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन आपकी हडि्डयों को भी मजबूत बनाता है। एक सामान्य महिला को रोजाना पांच से छह औंस यानी करीब 140 से 170 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। मांसाहारी भोजन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसके साथ ही अंडे, बीन्स, टोफू, नट्स दूध और दुग्ध उत्पादों में भी प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में होता है।
इसके साथ ही आपको विटामिन बी12 शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। इससे मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम बेहतर काम करता है। मांसाहार, मछली, डेयरी उत्पाद और अंडे आदि में ये पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से सप्लीमेंट्स के बारे में भी पूछ सकती हैं।
हर दशक की अपनी अलग स्वास्थ्य समस्यायें होती हैं और अपनी अलग पोषण आवश्यकतायें। अपनी उम्र के हिसाब से सही आहार का सेवन करें ताकि आप रह सकें सेहतमंद हर उम्र में।
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