महाभारत के वीर योद्धा अभिमन्यु की कहानी पर विज्ञान की मोहर लग गयी है। मां के गर्भ में बच्चों के सीखने की बात सच साबित हो रही है। डाक्टरों का कहना है कि एक बच्चे के लिए सीखने-समझने की प्रक्रिया मां के गर्भ से ही शुरू हो जाती है।
इसका अर्थ यह है कि अभी तक जिस कहानी को महज कल्पित बताकर टाल दिया जाता था, अब वैज्ञानिक भी उसे सच मानने लगे हैं। अभिमन्यु ने अपनी मां सुभ्रदा के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने का किस्सा सुन लिया था। हालांकि, इस बात को लोग महज कल्पना बताकर टाल देते थे। लेकिन, अब इस पर वैज्ञानिकों ने अपनी सहमति दे दी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्सिंकी के संगीत शोध केन्द्र के मिन्ना ओटिलेनिन ने बताया कि बच्चा जन्म से ही अपने परिवार के लोगों के बोलने के अंदाज को जानता है। उन्होंने बताया कि इसके कई प्रमाण हैं कि गर्भ के दौरान कविता की कुछ लाइनों या कही गई बातों को बच्चों ने याद रखा। इसे प्रमाणित करने के लिए एक शोध किया गया।
इसके लिए कुछ गर्भवती महिलाओं को चुना गया। इन गर्भवती महिलाओं को गर्भ के 29 वें हफ्ते से 'टाटाटा' शब्द सुनाया गया। इस शब्द का वास्तव में कोई अर्थ नहीं होता है। बच्चों के जन्म के बाद इनका परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान टाटाटा शब्द सुनने पर इन बच्चों के दिमाग ने ऐसे प्रतिक्रिया की जैसे पहले से ही वे इस शब्द से परिचित हों।
इससे पहले जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अध्ययन में भी यह बात सामने आयी थी कि मां की आवाज का असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इतना ही नहीं वह उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी देता है। इतना ही नहीं, अगर मां गर्भ में पल रहे अपने शिशु को कहानी सुनाना चाहे तो वह कहानियां भी सुनता है।
शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान 74 महिलाओं का परीक्षण किया जो 36 हफ्तों की गर्भवती थीं। उन्हें दो मिनट तक कहानियां सुनाने को कहा गया और इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कनों और हरकतों का परीक्षण किया गया।
उन्होंने पाया कि मां जब कहानी सुनाती है तो बच्चे की धड़कन की गति थोड़ी धीमी हो जाती है और वह मूवमेंट कम कर देता है। इस पर विशेषज्ञों का कहना था कि बच्चा मां की आवाज जन्म के पहले से ही सुनने और पहचानने लगता है। यही वजह है कि जन्मजात शिशु अपनी मां की आवाज पहचान लेता है।
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