टाइप-1 डायबिटीज को सीबीएसई ने विकलांग कैटेगरी में किया शामिल

जो छात्र इस बीमारी से ग्रसित हैं, वे विकलांगता की कैटेगरी के अंतर्गत ही फार्म भरें, जिससे एग्‍जाम के समय उन्‍हें जरूरी चीजें साथ रखने की छूट दी जा सके।
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टाइप-1 डायबिटीज को सीबीएसई ने विकलांग कैटेगरी में किया शामिल


केंद्रीय माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने इस वर्ष टाइप-1 डायबिटीज को विकलांग कोटे में रखा है। इसके साथ ही सीबीएसई ने सकुर्लर जारी करते हुए 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्‍जाम में शामिल होने वाले छात्रों को कहा है कि, जो छात्र इस बीमारी से ग्रसित हैं, वे विकलांगता की कैटेगरी के अंतर्गत ही फार्म भरें, जिससे एग्‍जाम के समय उन्‍हें जरूरी चीजें साथ रखने की छूट दी जा सके।

दरअसल, पिछले साल भी बोर्ड एग्‍जाम में शामिल होने वाले वे छात्र, जो टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित थे और इंसुलिन पर निर्भर थे उन्‍हें एग्‍जाम सेंटर पर शुगर टैबलेट्स, चॉकलेट, कैंडी और पानी ले जाने की इज़ाजत दी गई थी। पिछले वर्ष सीबीएसई सर्कुलर में कहा गया था कि 'इन बच्‍चों को समय-समय पर कुछ खाने की जरूरत होती है ताकि उन्हें हाइपोग्लैकेमिया से बचाया जा सके जिससे जान का भी खतरा रहता है।' इस बार भी सीबीएसई ने सेब, केला, संतरा और 500 एमएल तक पानी की बोतल ले जाने की छूट दी है।

आपको बता दें कि, इस साल 5 मार्च से 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्‍जाम शुरू हो रहे हैं। इससे पहले सीबीएसई ने सर्कुलर जारी कर टाइप-1 डायबिटीज बच्‍चों को कहा है कि अगर वे परीक्षा के दौरान विशेष छूट चाहते हैं तो उन्हें शारीरिक विकलांगता कैटिगरी में फॉर्म भरना होगा। हालांकि, डिसएबिलिटीज एक्‍ट 2017 के तहत जो 21 अक्षमताएं इस लिस्ट में शामिल हैं उसमें डायबीटीज नहीं है।

क्‍या है टाइप-1 डायबिटीज

इस प्रकार के डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं और इस तरह इंसु‍लिन का बनना सम्भव नहीं होता है। यह जनेटिक, ऑटो-इम्‍यून एवं कुछ वायरल संक्रमण के कारण होता है, इसके कारण ही बचपन में ही बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। टाइप-1 डायबिटीज किसी को भी बचपन में किसी भी समय हो सकता है, यहां तक कि अधिक उम्र शैशव अवस्था में भी यह हो सकता है। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज आमतौर पर 6 से 18 साल से कम अवस्था में ही देखने को मिलती है।

यानी यह ऐसी बीमारी है जो बच्‍चों में होती है। हालांकि मधुमेह के इस प्रकार से ग्रस्‍त लोगों की संख्‍या बहुत कम है, भारत में 1% से 2% लोगों में ही टाइप 1 डायबिटीज होती है। जबकि टाइप-2 डायबिटीज से पीडि़त व्‍यक्तियों का ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इस बीमारी से से ग्रसित लोगों की संख्‍या ज्‍यादा है।

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