रोटी पकाने के लिए गेहूं के आटे का प्रयोग एक परंपरा की तरह है। लेकिन पिछले कुछ सालों में पोषण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण गेहूं के अलावा अन्य आटों का उपयोग भी होने लगा है। गेहूं के अलावा भी अन्य आटे का प्रयोग कर सकते हैं और ये स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद भी हैं। वैकल्पिक आटों की लोकप्रियता के लिए मुख्य कारण सेलिएक रोग से ग्रस्त लोगों की संख्या में वृद्धि होना है। गेहूं के आटे में ग्लूटेन होता है जो इस रोग का प्रमुख कारण है। इसलिए अन्य आटे का प्रयोग होने लगा है और यह जरूरी है कि जो आटा रोटी बनाने में इस्तेमाल हो वह स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक हो। गेहूं के अलावा अन्य आटों- रागी, बेसन, मक्की, बाजरा, जौ आदि में पौष्टिक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट गेहूं की अपेक्षा कहीं अधिक होते हैं। यहां न्यूट्रिशनिस्ट लांजना सिंह बता रही हैं कि आपके लिए कौन सा आटा बेहतर है।
जौ (बार्ले)
इस आटे में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और पोटैशियम सहित कई खनिज तत्व होते हैं। अपने इन गुणों की वजह से यह उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए एक उपयुक्त विकल्प है। इसमें गेहूं की तुलना में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है। इसके अलावा इसमें स्टार्च होने के कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त होता है।
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बाजरा
बाजरे में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले फाइटोकेमिकल्स होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसमें फाइबर,आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक और विटमिन ई पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह डायबिटीज के रोगियों के लिए उपयोगी साबित होता है। इसमें ग्लुटेन नहीं होता। इस कारण यह आसानी से हजम हो जाता है। आयरन का यह एक अच्छा स्त्रोत है। बाजरे की रोटी का स्वाद बढाने के लिए इसमें प्याज और मसाले भी मिलाए जा सकते हैं। लेकिन इसके अधिक प्रयोग से यह शरीर में हाई यूरिक एसिड बनाने लगता है। इसलिए किडनी और रूमेटिक के रोगियों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
ज्वार
यह आटा गेहूं के आटे से कई गुना बेहतर होता है। ज्वार के आटे में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह ग्लुटेन रहित और नॉन एलर्जिक होता है। यह फाइबर,फॉस्फोरस और आयरन का भंडार है। इसमें अल्कालाइन नहीं होता, जिससे यह आसानी से पच जाता है। ज्वार विटमिन बी कॉम्प्लेक्स का अच्छा स्त्रोत है। शाकाहारी लोगों के लिए ज्वार का आटा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। शोध बताते हैं कि यह कुछ खास प्रकार के कैंसर के खतरों को भी कम करता है। साथ ही यह हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए आटे का अच्छा विकल्प है।
रागी
इसमें प्रोटीन उच्च और वसा कम होती है। इसमें मौजूद पौष्टिक गुणों के कारण दक्षिण भारत में इसे पीस कर दूध/छाछ/ पानी में पका कर बच्चों कोपहले भोजन के रूप में दिया जाता है। रागी कैल्शियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत है। इसका इस्तेमाल सीरियल्स के तौर पर करना फायदेमंद होता है। इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है। रागी डायबिटीज, एनीमिया और हृदय रोगियों के लिए बहुत अच्छा होता है। यह हड्डियों को मजबूत भी बनाता है।
कुट्टू
यह आटा व्रत के आटे के रूप में बेहद लोकप्रिय है। इसके एक कप आटे में 17 ग्राम से 23 ग्राम डाइटरी फाइबर होते हैं। इस आटे के प्रभावशाली फाइबररक्तमें खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग 2010 के सलाह के अनुसार रोजाना प्रत्येक व्यक्ति को 1000 कैलोरी की खपत के लिए कम से कम 14 ग्राम डाइटरी फाइबर लेना चाहिए। इस लिहाज से कुट्टू एक अच्छा ऑप्शन है।
रामदाना (एक किस्म के फूल)
यह काफी पौष्टिक होता है। इसे चिडवे या दलिये और पॉपकॉर्न के रूप में पका सकते हैं। फाइबर में उच्च होने के नाते यह कब्ज और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। इसमें प्रोटीन बहुत अधिक होता है।
मक्की (कॉर्न)
यह विटमिन बी और फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत है। इसके आटे की रोटी स्वाद में हलकी मीठी लगती है और तीखी पत्तेदार सब्जियों के साथखाने पर इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में डाइटरी फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके अलावा यह ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित रखने में सहायक होता है। यह फोलिक एसिड का अच्छा स्त्रोत है इसलिए गर्भवती स्त्रियों के लिए काफी उपयोगी है। हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक मक्की के आटे में एंटी एचआइवी तत्व भी होते हैं।
अगर आप आटे को अधिक पौष्टिक बनाना चाहती हैं और पौष्टिक गुणों से संपूर्ण चपाती खाना चाहती हैं तो बेहतर होगा कि मिले-जुले आटे की चपाती खाएं ताकि शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, विटमिंस और खनिज लवण प्राप्त हो सकें।
साभार - सखी
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