अब तक केवल बढ़ते वायु प्रदुषण को अस्थमा का कारण माना जा रहा था वो भी तब जब अस्थमा हो। लेकिन हाल ही में हुए शोध के अनुसार अब सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि हाल ही में हुए चीन की साउथर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी के अनुसार बढ़ते वायु प्रदुषण से झिल्लीदार नेफ्रोपैथी रोग मतलब कि किडनी रोग का खतरा भी बढ़ता है।
पिछले कुछ सालों में बढ़े वायु प्रदुषण के भयावह स्तर के कारण इसके किडनी के रोगों का कारण बनने की संभावना है। इस नए शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने देखा कि वायु प्रदूषण से झिल्लीदार नेफ्रोपैथी के होने की संभावना में बढ़ोतरी हुई है, जो किडनी की विफलता या यूं कहें कि किडनी के खराब होने का मुख्य कारण है।
लंबे समय तक वायु प्रदुषण में मौजूद कणिका तत्व का आवरण झिल्लीदार नेफ्रोपैथी के जोखिम से जुड़ा होता है। कणिका तत्व वायु मंडल में मौजूद कण प्रदूषण है जो हवा में पाए जाने वाले ठोस कणों और तरल बूंदों के मिश्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इस शोध में शोधर्ताओं के एक समूह ने चीन के 282 शहरों के 71,151 रोगियों की किडनी बायोप्सी के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस आकलन में चीन के सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। महीन कणों युक्त वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में झिल्लीदार नेफ्रोपैथी की दर सबसे अधिक देखी गई। चीन की साउथर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के मुख्य लेखक फैन फैन हाऊ ने बताया, “हमारा प्राथमिक निष्कर्ष यह रहा कि चीन में पिछले एक दशक में झिल्लीदार नेफ्रोपैथी की आवृत्ति दोगुनी हो गई है. हम जानते हैं कि यह वृद्धि वायु प्रदूषण में कणिका तत्व के साथ जुड़ी हुई है।”
इस शोध को ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ (जेएएसएन) पत्रिका के आने वाले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
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