वैज्ञानिकों ने मानव के दिमाग को और बेहतर तरीके से जानने के लिए दस साल तक चलने वाली एक परियोजना पर काम शुरू किया है। इस प्रोजैक्ट को "दि ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट" (एचबीपी), नाम दिया गया है। इस शोध का उद्देश्य एक ऐसी तकनीक विकसित करना है जिसके द्वारा कंप्यूटर से दिमाग की एक नकल तैयार की जा सके।
इस प्रोजैक्ट में पूरी दुनिया के 135 अलग-अलग संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। इस शोध में हर साल प्रकाशित होने वाले हजारों न्यूरोसाइंस के रिसर्च पेपर्स से दिमाग पर किये गये शोधों के आंकड़ों का डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा।
स्विट्जरलैंड स्थित एचबीपी के निदेशक प्रोफेसर हेनरी मार्कराम बताते हैं, "ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट पूर्णतः नई कंप्यूटर साइंस टेक्नोलॉजी बनाने की एक कोशिश है ताकि हम सालों से दिमाग के बारे में जुटाई जा रही सारी जानकारियों को एकत्रित कर सकें।"
प्रोफेसर मार्कराम कहते हैं, "हमें अब यह समझना शुरू कर देना चाहिए कि इंसान का दिमाग इतना खास क्यों होता है, ज्ञान और व्यवहार के पीछे का मूल ढांचा क्या है, दिमागी बीमारियों का निदान कैसे किया जाए और दिमागी गणना के आधार पर नई तकनीकों का विकास कैसे हो।" मानचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एक ऐसा मॉडल तैयार कर रहे हैं जो दिमागी क्रिया के एक फीसदी की नकल कर सकेगा।
दि स्पिननेकर प्रोजेक्ट के प्रमुख 'स्टीप फरबेर" कहते हैं, "मैंने अपना समय पारंपरिक कंप्यूटर बनाने में लगाया है और मैंने उनके प्रदर्शन को असाधारण ढंग से बेहतर होते हुए देखा है, लेकिन फिर भी उन्हें बहुत सी ऐसी चीजें करने में मुश्किल होती है जो इंसान स्वाभाविक रूप से कर लेते हैं। नवजात शिशु भी अपनी मां को पहचान लेते हैं लेकिन किसी खास व्यक्ति को पहचानने वाला कंप्यूटर बनाना संभव तो है, लेकिन यह है बहुत ही मुश्किल है।"
प्रोफेसर स्टीप फरबर कहते हैं, "कई तरह के अविश्वासों की लाजमी वजहें हैं। लेकिन अगर हम लक्ष्य को पूरी तरह प्राप्त नहीं भी कर पाते हैं तब भी हम इतनी प्रगति तो कर ही लेंगे कि मेडिसिन, कंप्यूटिंग और समाज के लिए फ़ायदेमंद होगी।"
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