पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर अर्थात पीटीएसडी दिमाग की एक ऐसी स्थिति होती है जो किसी भयावह या दुखद घटना जैसे युद्ध, दुघर्टना, मौत, धोखेबाजी का शिकार होने या उसका साक्षी बनने के कारण ट्रिगर होती है। इसके लक्षणों में फ्लैशबैक, बुरे सपने आना और गंभीर चिंता व घटना के बारे में बेकाबू करने वाले विचारों का आना शामिल होता है। इसका इलाज आमतौर पर साइकोथैरेपी, जैसे कॉग्निटिव थेरेपी (Cognitive therapy), एक्सपोज़र थेरेपी (Exposure therapy) व ईएमडीआर आदि से किया जाता है। इसके अलावा दवाएं जैसे एंटीड्रिप्रेसेंट, एंटी-एंग्ज़ाइटि दवाएं तथा प्राज़ोसिन आदि दी जाती हैं। हालांकि पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के उपचार के दो कम जाने-पहचाने मगर असरदार तरीके भी होते हैं। चलिये जानें क्या हैं वे तरीके -
कब होता है पीटीएसडी
दुखद घटनाओं से गुजरने वाले कई लोगों को इन यादों से निकले में वक्त लगता है और कठिनाई भी होती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता कि उन सभी को पीटीएसडी है। आमतौर पर ये लोग समय के साथ खुद ही बेहतर होते जाते हैं। लेकिय यदि इसके लक्षण गंभीर होते जाएं और कई महिनों या सालों तक बने रहें तो यह पीटीएसडी हो सकता है।
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एक्सटसी या एमडीएमए से उपचार
एक्सटसी या एमडीएमए, पीटीएसडी के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं। ब्रेन इमेजिंग प्रयोगों से पता चला कि किस प्रकार एक्सटसी या एमडीएमए, इसे उपयोग में लाने वलों में उत्साह के भाव पैदा करती है। इंपेरियल कॉलेज, लंदन के मेडिसिन डिपार्टमेंट के रॉबिन कारहार्ट हैरिस के अनुसार, उन्होंने देखा कि एक्सटसी या एमडीएमए, दिमाग के संवेदना व स्मृति वाले हिस्सों में रक्त प्रवाह को कम करती है। यह प्रभाव उत्साह के एहसास से संबंधित हो सकता है, जिसे लोग नशीली दवा लेने के बाद अनुभव करते हैं। हालांकि इंपेरियल कॉलेज में न्यूरोसाइकोफार्मेकोलॉजी के प्रोफेसर एडमंड जे. साफ्रा डेविड नट के अनुसार परिणाम यह बताते हैं कि एमडीएमए के चिकित्सकीय प्रयोग से चिंता और पटीएसडी का उपचार हो सकता है लेकिन इसमें सावधान रहने की भी जरूरत है, क्योंकि शोध स्वस्थ लोगों पर किया गया था। रोगियों पर इसका समान प्रभाव देखने के लिए रोगियों पर भी शोध करने की जरूरत है। कारहार्ट-हैरिस के अनुसार स्वस्थ लोगों में एमडीएमए ने दुखदायी यादों को कम किया। इससे यह विचार आया कि यह पीटीएसडी के रोगियों की मदद भी कर सकती है।
ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (टीएम) तकनीक
किसी सदमे के कारण गंभीर तनाव (पीटीएसडी) के शिकार लोगों का तनाव ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (टीएम) तकनीक के माध्यम से 10 दिनों में कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कांगो युद्ध के शिकार शरणार्थियों पर शोध किया। जिसमें यह आश्चर्यजनक नतीजे सामने आए। यूएस आर्मी रिजर्व मेडिकल कॉर्प्स के कर्नल ब्रायन रीज ने बताया था कि इससे पहले किए गए शोधों में देखा गया कि 30 दिनों में 90 प्रतिशत लोगों का तनाव खतम हो गया था। लेकिन ट्रांसेंडेटल मेडिटेशन से 10 दिनों में ही इन लोगों का तनाव बेहद कम हो गया। शोधकर्ताओं ने अपने इस शोध में 11 प्रतिभागियों का पहले 10 दिनों के और फिर 30 दिनों के ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन के बाद अध्ययन किया और पाया कि इससे पीटीएसडी का स्तर 30 प्रतिशत तक कम हो गया।
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