
World Menstrual Hygiene Day: पीरियड्स को आम भाषा में माहवारी या मासिक धर्म के नाम से भी जानते हैं। इसे हर महिला की सेहत का अहम हिस्सा माना जाता है। इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ एक महिला का शरीर गर्भधारण के लिए तैयार होता है। हार्मोनल बदलाव के कारण ओवरी में अंडे बनने लगते हैं। फर्टिलाइज न होने के कारण ये एग म्यूकस और ब्लड के जरिए शरीर के बाहर निकल जाते हैं। इसी ब्लीडिंग को पीरियड्स कहा जाता है। जब उम्र कम थी और पीरियड्स की समझ नहीं थी, तब ऐसा लगता था कि पीरियड्स एक मुसीबत है। ऐसा ही कई लड़कियों और महिलाओं का विचार भी होगा। लेकिन आपको बता दें कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पीरियड्स की अहम भूमिका होती है।
पीरियड्स के दौरान, साफ-सफाई का भी बहुत महत्व होता है। इस दौरान गंदगी के कारण आप जल्दी संक्रमण और बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। महिलाओं को हाइजीन के बारे में जागरूक बनाने के उद्देश्य से हर साल 28 मई को वर्ल्ड मेंस्ट्रुएशन हाइजीन डे (World Menstrual Hygiene Day) मनाया जाता है। मेंस्ट्रुअल साइकिल करीब 28 दिनों की होती है। इसे हाइलाइट करने के लिए 28 तारीख चुनी गई है। वर्ल्ड मेंस्ट्रुएशन हाइजीन डे की थीम है साल 2030 तक मेंस्ट्रुएशन को लाइफ का नॉर्मल फैक्ट बनाना ( Making Menstruation A Normal Fact Of Life By 2030)। इस थीम का उद्देश्य है कि मेंस्ट्रुएशन को टैबू की तरह न देखा जाए। मेंस्ट्रुएशन हाइजीन डे को सार्थक बनाने के लिए ओनलीमायहेल्थ ने अपने पाठकों के लिए पीरियड्स से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की है। इसे हम अलग-अलग लेख और कहानियों के रूप में आप तक लेकर आएंगे। आगे लेख में हम समझेंगे पीरियड्स का महत्व और इससे जुड़े कुछ जरूरी सवाल। इस जानकारी को लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की सीनियर गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा और क्वीनमेरी अस्पताल, लखनऊ की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ एसपी जैसवार ने हमारे साथ साझा किया है।
1. महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है पीरियड्स की प्रक्रिया?- Importance Of Periods
कई बार महिलाएं झुंझलाहट में कह देती हैं कि हर महीने पीरियड्स की झंझट से मुक्ति मिल जाए तो कितना अच्छा होगा। आप अक्सर उन्हें यह कहता पाएंगे कि काश पीरियड्स न होते। लेकिन आपको बता दें कि महिलाओं के शरीर के लिए पीरियड्स की प्रक्रिया बेहद जरूरी होती है। पीरियड्स के बिना महिलाओं के लिए प्रेग्नेंट होना मुमकिन नहीं होगा। कई महिलाएं पीरियड्स से बचने के लिए पिल या गोली खा लेती हैं। लेकिन इन दवाओं के सेवन से बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। पीरियड्स एक तरह की हार्मोनल प्रक्रिया है, इसे रोकने की कोशिश करने पर मोटापा, डायबिटीज और थायराइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. पीरियड्स में साफ-सफाई का ख्याल कैसे रखें?- Hygiene During Periods
पीरियड्स में प्राइवेट पार्ट्स की सफाई पर गौर करना चाहिए। इस दौरान जरा सी लापरवाही के कारण आप यूटीआई (UTI) के लक्षण का शिकार हो सकती हैं। पैड बदलने के बाद और पहले जननांगों को पानी से साफ करना चाहिए। कोशिश करें कि त्वचा साफ और ड्राई रहे। गीलेपन के कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। पीरियड्स में हर दिन स्नान लेना चाहिए। अगर आप किसी कारण से स्नान नहीं ले सकतीं, तो त्वचा को स्पंज जरूर करना चाहिए।
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3. मासिक चक्र के समय शरीर में क्या बदलाव होते हैं?- Body Changes During Menstrual Cycle
मासिक चक्र ज्यादातर 28 दिनों का होता है। मासिक चक्र में महिलाओं का शरीर कई तरह के बदलावों से होकर गुजरता है जैसे-
- मासिक चक्र के पहले हफ्ते में रक्तस्त्राव होता है जिसे हम पीरियड्स कहते हैं।
- पीरियड्स खत्म होने के बाद दूसरा चरण 8-14 दिन का होता है। इसे फॉलिक्यूलर फेज कहते हैं। इसमें ओवरी से फॉलिकल निकलते हैं जिसमें एग होता है।
- इसके बाद, 25-28 दिन का फेज आता है जिसे ल्यूटियल फेस कहते हैं। अगर ओव्युलेशन में अंडा फर्टिलाइज हो जाता है, तो हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन्स का स्तर बढ़ता और घटता है।
- मासिक चक्र का असर मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। इस दौरान मूड स्विंग होना आम बात है। मासिक चक्र के दौरान पल-पल में गुस्सा और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण नजर आते हैं।
4. अनियमित पीरियड्स की स्थिति में क्या करना चाहिए?- Irregular Periods Treatment
- पीरियड्स की डेट अगर रेगुलर नहीं है, तो सबसे पहले लक्षणों पर गौर करें।
- ध्यान दें कि क्या पीरियड्स हो नहीं रहे हैं या किसी महीने पीरियड्स स्किप हुए हैं।
- इसके बाद डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर थायराइड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
- 25 से 35 की उम्र में पीरियड्स अनियमित होने के पीछे थायराइड और डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
- आजकल कम उम्र में पीसीओएस की समस्या भी आम होती जा रही है। इसके लिए भी डॉक्टर आपका वजन चेक करते हैं और अल्ट्रासाउंड कराते हैं।
5. दिन में कितनी बार बदलना चाहिए सैनिटरी पैड?- Periods Pad Usage Per Day
वर्ल्ड मेंस्ट्रुएशन हाइजीन डे (World Menstrual Hygiene Day) के मौके पर, हमने डॉक्टर दीपा से पूछा कि पीरियड्स में इन्फेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में पैड्स को कितनी बार बदलना चाहिए। इस सवाल पर, डॉ दीपा ने कहा कि इस सवाल का कोई निश्चित जवाब नहीं हो सकता। यह पीरियड्स में होने वाले ब्लड फ्लो पर निर्भर करता है। पीरियड्स 6 से 7 दिनों तक चलते हैं। शुरुआती दिनों में ब्लड फ्लो ज्यादा होता है। ऐसे में हर 3 से 4 घंटे में पैड बदलना चाहिए। अगर फ्लो ज्यादा है तो आप हर घंटे भी इसे बदल सकती हैं। जैसे ही आपको गीलापन या असहजता महसूस हो, पैड बदल लें। पीरियड्स में कॉटन पैड्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे पैड्स से दूर रहें जो फैंसी मटेरियल से बने हों।
6. पीरियड्स में लीकेज की समस्या से कैसे बचें?- Periods Leakage Prevention
1. अगर आपको भी पीरियड्स के दौरान लीकेज की समस्या होती है, तो पैंटीलाइनर पहनें। इससे एक्स्ट्रा कवरेज मिलती है और लीकेज की प्रॉब्लम नहीं होती।
2. पीरियड्स में नॉर्मल पैड की जगह विंग्स वाले पैड का इस्तेमाल करें। यह पैड अंडरवियर से चिपके रहते हैं। इससे दाग नहीं लगते।
3. लीकेज से बचने के लिए मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करें। इनसे लीकेज की समस्या नहीं होती।
4. अगर पैड्स के इस्तेमाल से लीक की समस्या हो रही है, तो पीरियड पैंटी का इस्तेमाल करें। यह एक तरह की अंडरवियर होती है। इसमें कपड़े की तीन लेयर होती है जिससे लीक को एब्सॉर्ब करने में मदद मिलती है।
वर्ल्ड मेंस्ट्रुएशन हाइजीन डे (World Menstrual Hygiene Day) के मौके पर आपको यह जानकारी कैसी लगी, यह हमें जरूर लिखकर बताएं। पीरियड्स से संबंधित अन्य जानकारी हम इस माह आप तक लेकर आते रहेंगे। जानने के लिए ओनलीमायहेल्थ के साथ बने रहें।