सर्दियों का मौसम दस्तक दे चुका है। इस मौसम की एक अलग खासियत है, लेकिन जो लोग हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह मौसम कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। बावजूद इसके, कुछ सजगताएं बरतकर आप और आपका दिल इस मौसम में स्वस्थ बना रह सकता है.. मौसम में बदलाव का असर मानव शरीर पर भी पड़ता है। शरीर में परिवर्तन होते हैं। सर्दियों के मौसम में शरीर पर ये प्रभाव पड़ते हैं..
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रक्त वाहिनियों में सिकुड़न
इस मौसम में रक्त-वाहिकाएं (ब्लड वैसल्स)शरीर की गर्मी को संरक्षित (कॅन्जर्व) करने के प्रयास में सिकुड़ जाती है। इसके अलावा सर्दियों में आम तौर पर (सामान्य स्थिति में) पसीना भी नहीं निकलता। इस कारण शरीर में साल्ट संचित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप (ब्लड-प्रेशर) बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर के बढ़ने से दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इन सब कारणों से वे हृदय रोगी जो पहले स्वयं को ठीक महसूस कर रहे थे, उनकी दशा बिगड़ सकती है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है और इनके शरीर में सूजन आ सकती है।
फेफड़ों पर दुष्प्रभाव
सर्दियों में वाइरल इंफेक्शन और गले व सांस की नलियों में संक्रमण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इन संक्रमणों का दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़े और दिल आपस में करीबी तौर से एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं। इन संक्रमणों के कारण दिल पर बुरा असर पड़ता है।
खानपान का असर
सर्दियों में सामाजिक समारोह और कई त्योहार पड़ते हैं। वैसे भी अन्य ऋतुओं की तुलना में सर्दियों में भूख कुछ ज्यादा या खुलकर लगती है। इस स्थिति में लोग वसायुक्त चटपटे आहार ज्यादा ग्रहण करते हैं, जिससे शरीर में नमक की मात्रा बढ़ती है। मौसम के नाम पर अनेक लोग शराब की मात्रा बढ़ा देते हैं। इन सब का दिल पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
व्यायाम व शारीरिक श्रम में कमी
सर्दियों के कारण आम तौर पर लोग कंबल लपेट कर लेटे रहना कहीं ज्यादा पसंद करते हैं। वे नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। इस कारण उनका वजन बढ़ने लगता है। वजन बढ़ना दिल की सेहत के लिए हानिकारक है।
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