मानसिक रोगियों को दिल की बीमारी का जोखिम अधिक

जिन लोगों को मानसिक रोग जैसे कि अवसाद आदि समस्याएं होती हैं, उन लोगों के लिए दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। ये बात एक रिसर्च में सामने आई। मनोरोग संबंधी दवाओं से वजन में बढ़ोतरी होती है और वह वसा तथा शर्करा के टूटने की प्रक्रिया में रुकावट डालती है। जिसके कारण मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा मधुमेह जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
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मानसिक रोगियों को दिल की बीमारी का जोखिम अधिक


अगर आपकी एक बीमारी आपके लिए दूसरी बीमारी का जोखिम बढ़ा रही हो तो ये चिंता की स्थिति होती है। ऐसा ही मानसिक रोगों से ग्रस्त लोगों के साथ हो सकता है। अवसाद सहित तमाम मानसिक रोगों से निजात पाने के लिए अगर आप मनोरोग संबंधी दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। क्योंकि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को दिल की बीमारियों का खतरा दोगुना होता है। एक शोध में यह बात सामने आई है।
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निष्कर्ष के मुताबिक, मनोरोग संबंधी दवाएं, अस्वस्थ गतिविधियां तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच तीन महत्वपूर्ण कारक हैं, जो जोखिम को बढ़ाते हैं। कनाडा के टोरंटो स्थित सेंटर फॉर एडिक्शन एंड मेंटल हेल्थ के अध्ययन में प्रमुख लेखक केटी गोल्डी ने कहा, ‘‘ऐसी आबादी ज्यादा जोखिम में है और जो लोग कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें और भी ज्यादा खतरा है।’’
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अध्ययन के लिए शोधकर्त्ताओं ने कनाडियन कम्युनिटी हेल्थ सर्वे के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। यह अध्ययन सिजोफ्रेनिया, द्विध्रुवी विकार, अवसाद तथा तनाव के रोगियों पर किया गया। मनोरोग संबंधी दवाओं में एंटीसाइकोटिक, एंटीडिप्रेसेंट, बेंजोडायजेफिन्स तथा मूड-स्टेबिलाइजिंग दवाएं हैं। शोधकर्त्ताओं ने पाया कि वैसे लोग जिन्हें जीवन के किसी भी दौर में मानसिक विकार रहा है, उन्हें दिल की बीमारियों या दौरे की संभावना दोगुनी होती है।

दरअसल, मनोरोग संबंधी दवाओं से वजन में बढ़ोतरी होती है और वह वसा तथा शर्करा के टूटने की प्रक्रिया में रुकावट डालती है। जिसके कारण मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा मधुमेह जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

Image Source - Getty Images
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