जीतने के साथ जरूरी है बच्चों को हार स्वीकार करने की सीख देना, एक्सपर्ट से जानें कैसे डलवाएं ये आदतें

बच्चों को जीत की सीख दने से ज्यादा जरूरी है हार का ज्ञान देना। इससे उन्हें जीत का सही मोल ज्ञात होगा और वे उसकी कदर करेंगे।
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जीतने के साथ जरूरी है बच्चों को हार स्वीकार करने की सीख देना, एक्सपर्ट से जानें कैसे डलवाएं ये आदतें

हम हमेशा अपने बच्चों को यह सिखाते हैं कि उन्हें सबसे आगे निकलना है और जीत हासिल करनी है। चाहे वह कोई कंपटीशन हो या जीवन। बच्चों को जीतने की सीख हर माता-पिता देते हैं। लेकिन वे अपने बच्चों को हारने की सीख देना भूल जाते हैं। ऐसे में जब भविष्य में बच्चों को हार का सामना करना पड़ता है तो वह अधिक निराश और उदास हो जाते हैं। वहीं उनका मनोबल भी टूटने लगता है। ऐसे में माता-पिता को जीत के साथ-साथ हार का स्वाद बच्चों को चखाना जरूरी है। आज का हमारा लेख इस विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों को हार की सीख कैसे दी जाए। साथ ही हम ये भी जानेंगे कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों के मन से हार के कारण हुई निराशा और उदासीनता को दूर कर सकते हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

1 - बच्चों में जीतने और हारने की भावना को करें दूर

जब भी बच्चा किसी कंपटीशन के लिए तैयारी करें या वे अपने एग्जाम की तैयारी करें तो उसे प्रेरित करना अच्छा है। लेकिन उसे साथ में यह भी समझाएं कि अगर वह प्रतियोगिता में हारता है या उसके परीक्षा में कम नंबर आते हैं तो यह भी उसके लिए सीख है और इस सीख को गांठ बांधकर वे आगे बढ़ें ना कि निराश हो जाए। और अगली बार उस परीक्षा और उसी प्रतियोगिता में अच्छे अंक और स्थान प्राप्त कर सकता है। ऐसा करने से न केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि बच्चे के अंदर हारने और जीतने की भावना भी दूर हो जाती है।

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2 - हमेशा टॉपर्स के साथ ना करें तुलना

कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं जो बच्चे का टॉपर्स के साथ तुलना करते हैं। तुलना करना बेहद गलत है। अब चाहे वह टॉपर्स के साथ हो या पड़ोसी के लड़के का साथ। ध्यान रहे कि तुलना करने से बच्चा खुद को कम आंकना शुरू कर देता है। ऐसे में माता-पिता अपनी इस आदत कोबदले और बच्चे को उन लोगों का भी उदाहरण दे जिन्होंने हार के बाद जीत हासिल की है। ऐसे में आप बच्चों को महान पुरुष की किताबें या उनकी कहानियां सुना सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे खुद को कम आंकना बंद कर देंगे।

3 - हार से ऐसे कराएं सामना

अगर कोई बच्चा अपनी हार से परेशान है तो माता-पिता का फर्क है कि बच्चों के साथ उस हार को साझा करें। ऐसी परिस्थिति में बच्चों को अकेले छोड़ना गलत है। कभी-कभी इसका प्रभाव बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। अगर बच्चा काफी निराश है तो ऐसे में उसका ध्यान भटकाएं। साथ ही बच्चे को कहे कि अगर इस बार हार मिली है तो क्या हुआ आगे चलकर आपको जीत ही मिलेंगी। ऐसा करने से बच्चे के निराशा कम होगी और उसे एहसास होगा कि आप उसके साथ हैं।

4 - कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी

अगर हार का सामना करने के दौरान बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है तो ऐसे में काउंसलर की मदद ली जा सकती है। काउंसलर सीबीटी यानी कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के माध्यम से बच्चों की समस्या को दूर कर सकते हैं। इस थेरेपी के दौरान बच्चों को यह कहा जाता है कि वे अकेले में हर वक्त यह सोचें कि वह बहुत अच्छा लड़का है और दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं इस बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। हार जीत तो लगी ही रहती है। ऐसी कुछ बातें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक कर सकती हैं। साथ ही बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी।

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माता पिता कैसे निभा सकते हैं अहम भूमिका

1 - माता पिता निराश अरदास बच्चों से हार की भावना को दूर करने के लिए उनका ध्यान भटका सकते हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चों को उनकी हॉबी से जुड़ा काम दें।

2 - उनकी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करके उनसे उनके अंदर सकारात्मक विचार पैदा कर सकते हैं। ऐसे में बच्चों की दिनचर्या में एक्सरसाइज जोड़ें

3 - आप छुट्टी वाले दिन बच्चों से घर की सफाई या छोटे-मोटे काम करवा सकते हैं, जिससे बच्चों का मन दूसरे काम में लगे और आपकी मदद हो जाए।

4 - इससे अलग छुट्टी वाले दिन वह बच्चों के साथ कोई फिल्म देख सकते हैं या फैमिली डिनर पर जा सकते हैं।

5 - माता-पिता बच्चों की हार को भी सेलिब्रेट करें, ऐसा करने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।

6 - दिन में बच्चे को केवल एक बार मोबाइल देने से उनका ध्यान किताब-कॉपी की तरफ लगेगा या वे आपके साथ टाइम सांझा करेंगे।

7 - रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से बच्चे खुद को फ्रेश महसूस करेंगे।

8 - माता-पिता अपने बच्चों की दूसरों के साथ तुलना ना करें। ऐसा करने से उनका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है और वे खुद को कम आंकने लगेंगे। 

9 - अगर बच्चे को हार मिली है तो उसे डांटने की बजाय उसे प्यार करें।

10 - बच्चों के साथ संतुलित व्यवहार रखें।

11 - पढ़ाई के बीच में थोड़ा सा ब्रेक जरूरी दें। वरना वो तनाव का शिकार हो सकते हैं।

12 - उनकी प्रयासों की प्रशंसा करें। ऐसा करने से वे अपने आपको और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों को हार का सामना कराना बेहद जरूरी है। ऐसे में हार के बाद ही वो जीत की सही कीमत जान पाएंगे। और उस जीत की कदर करेंगे। वही अगर बच्चा अपनी हार के कारण उदास महसूस होता है तो माता-पिता कुछ तरीकों को अपनाकर बच्चे की इस समस्या से दूर कर सकते हैं। और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

 इस लेख में इस्तेमाल की जानें वाली फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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