मां बनने की खुशी किसी भी महिला के लिये सबसे बड़ी खुशी होती है। आप भी मां बनने वाली हैं तो ये अहसास आपके मन में भी होगा। आपका बच्चा इस दुनिया में कदम रखे उससे पहले ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप उसकी अच्छी सेहत सुनिश्चित करें। प्रेगनेंसी के दौरान कई ऐसी जांचें होती हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं। छोटी सी चूक से आगे चलकर कॉमप्लिकेशन बढ़ जाते हैं। इनसे बचने के लिये आपको सभी जरूरी टेस्ट की जानकारी होना बेहतर है जिससे आप और आपका बच्चा स्वस्थ रहे। प्रेगनेंसी के दौरान जरूरी टेस्ट की जानकारी लेने के लिये हमने बात की लखनऊ के डफरिन अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका और गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ सुधा वर्मा से और उनसे जांचों को विस्तार से समझा।
1.आरएच फैक्टर (RH test)
ये टेस्ट होने वाले बच्चे की सेहत के लिये बहुत जरूरी है। इससे डॉक्टर ये पता लगाते हैं कि होने वाली मां आरएचडी पॉजिटिव है है नहीं। अगर वो पॉजिटिव निकलती है तो उसे इंजेक्शन दिया जाता है। इस इंजेक्शन को इम्यून ग्लोब्युलिन के नाम से भी जाना जाता है। इसे प्रेगनेंसी के 28वे हफ्ते में देते हैं।
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2.ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Sugar test)
आमतौर पर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज हो जाती है जिसे हम जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जानते हैं। इससे बचने के लिये प्रेग्नेंसी के 24वे हफ्ते में ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है। इस जांच को 2 बार किया जाता है, 1 और 2 घण्टों के अंतराल पर। अगर शुगर लेवल हाई आता है तो इसका मतलब आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।
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3.आयरन की जांच (Iron test)
ब्लड टेस्ट के जरिये ये पता लगाया जाता है कि हीमोग्लोबिन कम है या ज्यादा ताकि शरीर में आयरन की मात्रा का पता लगाया जा सके। प्रेगनेंसी के दौरान खून की कमी से कमजोर बच्चा पैदा हो सकता है। इसलिए आयरन की कमी का पता चलते ही दवाई या सप्लीमेंट्स दिये जाते हैं। अगर खून का स्तर काफी नीचे है तो आपको एनीमिया भी हो सकता है। एनीमिया से बचने के लिये आयरन की गोली दी जाती है।
4.ब्लड प्रेशर (Blood pressure checkup)
हर माह डॉक्टर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर नापते हैं। ये कहने को तो छोटा सा टेस्ट है पर आपको समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच करवानी चाहिये। कई बार होने वाली मां परिवार के मुद्दे या बच्चे की चिंता से तनाव में होती हैं जिससे उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे में हाइपरटेंशन का खतरा हो सकता है। उच्च रक्तचाप से प्रीक्लेम्पसिया जैसी बीमारी भी हो सकती है। किसी परेशानी या शॉक से भी कई बार ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिये तनाव मुक्त रहें और जांच करवाती रहें।
5.प्लेटलेट्स (Platelet count blood test)
शरीर में ब्लड क्लॉटिंग के लिये प्लेटलेट्स जिम्मेदार होते हैं। प्रेगनेंसी में प्लेटलेट्स 116000 से कम होते हैं तो उस सिचुएशन को मेडिकल भाषा में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या लो प्लेटलेट्स काउंट के नाम से जाना जाता है। इस दौरान आपको ज्यादा कमजोरी का अहसास होगा। ये एक तरह का ब्लड डिसऑर्डर है। अगर गर्भवती महिला के प्लेटलेट्स काउंट में तेजी से गिरावट होती है तो ये किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
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6.सीवीएस टेस्ट (CVS test)
कई बार जेनेटिक कारण या अन्य वजहों से होने वाले बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। जिसके कारण ऐसे बच्चे जन्म तो ले लेते हैं पर बच नहीं पाते या भ्रूण में ही उनकी मौत हो जाती है। ऐसा होने पर डॉक्टर गर्भपात करने की सलाह देते हैं। पर अगर आपको पहले ही पता चल जाए कि होने वाला बच्चा स्वस्थ है या नहीं तो परेशानी कम होती है। इसे जानने के लिये डॉक्टर परिक्षण करते हैं और संकेत मिलने पर सीवीएस जांच की जाती है। इससे बच्चे की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी मिलती है।
7.हेपेटाइटिस बी की जांच (Hepatitis B test)
ब्लड टेस्ट से डॉक्टर हेपेटाइटिस बी की पुष्टि करते हैं। अगर मां को ये बीमारी है तो होने वाले बच्चे को भी इससे खतरा रहता है। इससे बचने के लिये वैक्सीन दी जाती है। जितना जल्दी इसका पता लगेगा उतना जल्दी इलाज शुरू हो पायेगा। हेपेटाइटिस बी होने के बाद दूसरे टेस्ट से उसका लेवल नापा जाता है और उस मुताबिक डॉक्टर दवाई देते हैं। गर्भावस्था के 27वे हफ्ते में हेपेटाइटिस बी का इलाज शुरू किया जाता है। इसका इलाज कुछ महीनों तक चल सकता है।
8.कैल्शियम जांच (Calcium test)
गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की जांच जरूर करवानी चाहिये। आपके शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने से होने वाले बच्चे को हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। नसों और मांसपेशियों के जुड़ाव के लिये कैल्शियम जरूरी है। टेस्ट करवाने से डॉक्टर सही इलाज बता पायेंगे। दवाइयों से भी कैल्शियम की कमी पूरी की जाती है।
ये कॉमन टेस्ट भी होते हैं (Common test during pregnancy)
- ब्लड टेस्ट करवाने से आपको अपना ब्लड ग्रुप पता चलता है। ये सबसे कॉमन टेस्ट है जो डॉक्टर जरूर करेंगे।
- अल्ट्रासाउंड से मां और बच्चे की अच्छी सेहत सुनिश्चित की जाती है।
- अगर आपका वजन ज्यादा है या थायराइड है तो डॉक्टर शुगर की जांच जरूर करते हैं। सामान्य केस में भी ये जांच की जाती है।
- गर्भवती महिलाओं को एचआईवी और एड्स की जाँच करवाने के लिये भी कहा जाता है।
- गर्भवस्था की पहली तिमाही में थायराइड की जांच की जाती है जिससे मां और बच्चा स्वास्थ्य रहें।
- यूरीन टेस्ट भी प्रेगनेंसी के दौरान किये जाने वाला कॉमन टेस्ट है।इससे यूरीन में प्रोटीन की जांच होती है।
प्रेगनेंसी में इन बातों का ध्यान रखें तो नहीं होगी बीमारी (Don't avoid these points during pregnancy)
- गर्भावस्था के दौरान आपको अपने अंदर महसूस होने वाली किसी भी हलचल को नजरअंदाज नहीं करना है। कुछ महिलाएं डर के चलते डॉक्टर से सलाह नहीं लेती पर अगर सही समय पर बीमारी का पता चल जाए तो दवाई से ठीक हो जाता है।
- तनाव मुक्त रहें। प्रेगनेंसी में होने वाली मां को तनाव से कई बार बीमारियां हो जाती हैं इसलिये चिंता मुक्त रहें।
- गर्भावस्था के दौरान सफाई का खास ख्याल रखें क्योंकि इस समय आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है ऐसे में वायरस और बैक्टेरिया आप पर हावी हो सकते हैं।
- नियमित तौर पर वॉक या योगा करें इससे आपके और बच्चे की सेहत बेहतर रहेगी।
- अपने डॉक्टर से सलाह लेकर एक डाइट चार्ट बना लें। शरीर में आहार की कमी से पोषक तत्व घट जाते हैं और शरीर में बीमारियां होने लगती हैं। उससे बचने के लिये बेलेंस डाइट लें।
- आपकी सेहत का राज नींद है। गर्भवती महिला को आराम की जरूरत होती है। अगर आप डिलीवरी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचना चाहते हैं तो अच्छी नींद लेना न भूलें।
इन टेस्ट की मदद से आप अपने और बच्चे की अच्छी सेहत सुनिश्चित कर सकती हैं। किसी भी बीमारी के लक्षण हों तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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