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Breast Pain After Menopause: मेनोपॉज के बाद स्तनों में दर्द होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? जानें

मेनोपॉज के बाद स्तनों में दर्द के साथ-साथ बुखार और ब्रेस्ट में रैशेज हो, तो डॉक्टर के पास जाने में देरी न करें।
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Breast Pain After Menopause: मेनोपॉज के बाद स्तनों में दर्द होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? जानें


When To Worry About Breast Pain After Menopause In Hindi: स्तन में दर्द होना कोई गंभीर समस्या नहीं है। महिलाओं को समय-समय पर ब्रेस्ट में पेन होता है। ऐसा पीरियड्स आने से पहले, ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान, प्रेग्नेंसी और हार्मोनल बदलाव के कारण हो सकता है। समय के साथ-साथ यह समस्या कम हो सकती है या फिर बढ़ भी सकती है। कई बार, ब्रेस्ट पेन किसी गंभीर बीमारी की ओर भी इशारा कर सकता है। इसलिए, लंबे समय तक ब्रेस्ट पेन रहे, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आमतौर पर माना जाता है कि मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट पेन जैसी समस्या कम हो जाती है। जबकि, ऐसा मानना पूरी तरह गलत है। कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के बाद भी ब्रेस्ट पेन की समस्या हो सकती है। यहां तक कि कई बार यह इतना गंभीर हो जाता है कि ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आखिर मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट पेन होने पर कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

ब्रेस्ट पेन का कारण- Causes Of Breast Pain In Hindi

Causes Of Breast Pain In Hindi

जैसा कि पहले ही बताया गया है कि किसी भी महिला को स्तन में दर्द हो सकता है। वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, "इसके लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में बदलाव जिम्मेदार हो सकते हैं। ये ऐसे हार्मोन हैं, जो ब्रेस्ट टिश्यू की संचरना और आकार के उतार-चढ़ाव में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। सामान्यतः इस तरह की कंडीशन गर्भावस्था के दैरान ज्यादा होती है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के कारण हार्मोन में बदलाव होते हैं। इसका असर ब्रेस्ट पर भी पड़ता है। इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत नहीं होती है। वक्त के साथ-साथ यह समस्या अपने आप कम हो जाती है। आपको बता दें कि ब्रेस्ट पेन को दो हिस्सों में बांटा जाता है। एक साइक्लिक और दूसरा नॉन-साइक्लिक। साइक्लिक ब्रेस्ट पेन को मेंस्ट्रुअल साइकिल से जोड़कर देखा जाता है। सामान्यतः पीरियड्स की वजह से महिलाओं को स्तन में दर्द होता है और पीरियड्स खत्म होने के बाद दर्द से राहत मिल जाती है। जबकि, नॉन-साइक्लिक ब्रेस्ट पेन इससे अलग है। ऐसा किसी बीमारी, ट्रॉमा, ब्रेस्ट टिश्यू में चोट आदि के कारण हो सकता है। इस तरह का दर्द धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इसलिए, इसकी अनदेखी करना सही नहीं है।"

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साइक्लिक और नॉन-साइक्लिक ब्रेस्ट पेन का कारण- Cyclic And Noncyclic Causes Of Breast Pain In Hindi

  • गहरी चोट लगना
  • मेडिकेशन
  • स्तन में फोड़ा या किसी तरह का संक्रमण
  • प्रेग्नेंसी
  • मेनोपॉज
  • ब्रेस्टफीडिंग
  • खराब फिटिंग वाली ब्रा पहनना
  • मसल्स में चोट
  • मसल्स पेन
  • स्वेलिंग
  • अल्सर
  • ब्रेस्ट कैंसर

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मेनोपॉज के बाद स्तन में दर्द होने पर कब जाएं डॉक्टर के पास- When To Worry About Breast Pain After Menopause In Hindi

When To Worry About Breast Pain After Menopause In Hindi

वैसे तो ब्रेस्ट पेन हर बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन, अगर ब्रेस्ट कैंसर की मेडिकल हिस्ट्री है, तो ऐसी महिलाओं को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ब्रेस्ट पेन के साथ-साथ निम्न कंडीशन हो, तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें-

  • बिना किसी वजह से स्तन में तीव्र दर्द होना
  • तमाम घरेलू उपायों के बावजूद स्तन दर्द से राहत न मिलना
  • ब्रेस्ट पेन के कारण रेगुलर लाइफस्टाइल प्रभावित होना
  • ब्रेस्ट इंप्लांट के कारण स्तनों में दर्द होना
  • ब्रेस्ट पेन के साथ-साथ सूजन, रेडनेस और बहुत ज्यादा गर्मी लगना
  • ब्रेस्ट के साइज और शेप में परिवर्तन होना
  • निप्पल से डिस्चार्ज होना या इसके शेप में परिवर्तन होना
  • ब्रेस्ट में गांठ होना या आर्म्स के नीचे गांठ महसूस होना
  • ब्रेस्ट पेन के साथ-साथ बुखार आना
  • स्तनों में दर्द होने के साथ-साथ ब्रेस्ट की स्किन में रैशेज का होना।

All Image Credit: Freepik

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