
जब भी कभी हमें बुखार आता है तो हम इसे वायरल बुखार समझ लेते हैं। लेकिन जब यह बुखार तेज़ होने लगता है या ज्यादा परेशान करने लगता है तब हम इसका परीक्षण करवाते हैं लेकिन तब तक कई बार बहुत देर हो जाती है। बुखार कई प्रकार के होते हैं मलेरिया, मोतीझरा, पीलिया, डेंगू इत्यादि। और ये सभी बुखार बहुत ही खतरनाक हैं लेकिन इनका इलाज संभव है। डेंगू के बारे में हम यहाँ जानेंगे कि डेंगू क्या है, इससे कैसे बचाव किया जा सकता है एवं इसके उपचार क्या हैं?
डेंगू बुखार क्या है?:
डेंगू एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में लगभग सभी जानते हैं, अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा हो जाती है। मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू संक्रमण होता है। डेंगू पीड़ित को बहुत तेज़ बुखार आता है जिससे व्यक्ति का पूरा शरीर टूटने लगता है। इस बुखार को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है। या फ्लू जैसा ही होता है। मुख्यतः यह रोग उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ज्यादा होता है और उसी क्षेत्र में मादा एडीज एजिप्टी मच्छर अधिक पाए जाते हैं।
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डेंगू के प्रकार एवं लक्षण:
डेंगू वायरस के तीन मुख्य प्रकार होते हैं एवं इनके लक्षण भी इस प्रकार हैं:
1)साधारण डेंगू:
साधरण डेंगू में व्यक्ति को व्यक्ति को तेज़ बुखार आता है जो 2 से 7 दिन तक रहता है। इसके साथ ही इसके लक्षण निम्न हैं:
- 1.एकाएक तेज़ बुखार आना।
- 2.सिर एवं पूरे शरीर में तेज़ दर्द होना।
- 3.पलकें झपकने में दर्द होना।
- 4.भूख न लगना एवं भोजन में स्वाद न आना।
- 5.छाती पर खसरे जैसे दाने दिखाई देना।
- 6.चक्कर आना, पेट में दर्द एवं उल्टी आना इत्यादि।

डेंगू हमरेजिक बुखार:
इसे रक्त स्त्राव वाला बुखार भी कहा जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- 1.त्वचा का पीला एवं ठंडा पड़ना।
- 2.मुँह,नाक एवं मसूड़ों से खून बहना।
- 3.पेट एवं फेंफडों में पानी एकत्रित हो जाना।
- 4.त्वचा में घाव होना।
- 5.बैचैनी होना।
- 6.उल्टी में खून होना।
- 7.सांस न ले पाना।
- 8.अधिक प्यास लगना एवं गला सूख जाना।
- 9.प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या कम हो जाना इत्यादि।
डेंगू शॉक सिन्ड्रोम:
इस बुखार में मरीज की म्रत्यु भी हो सकती है। और बुखार के साथ ही साथ अन्य लक्षण दिखाई देते हैं जैसे:
- 1.नब्ज का असंतुलित होना।
- 2.शरीर का ठंडा पड़ जाना एवं रक्तचाप अचानक कम हो जाना।
- 3.बहुत अधिक बैचैनी करना।
- 4.पेट में बहुत तेज़ दर्द होना और दर्द बंद न होना।
- 5.ग्रंथियों में सूजन आना।

डेंगू से बचाव:
जैसा कि हमने अभी देखा कि डेंगू किस प्रकार से खतरनाक है और इसके क्या लक्षण हैं। इससे बचाव के लिए एसिटामिनोफेन टैबलेट लेना चाहिए साथ ही साथ डॉक्टर से भी सम्पर्क करना चाहिए जिससे कि आपको सही उपचार मिल सके। आप निचे दिए गए तरीकों से डेंगू से बचाव कर सकते हैं:
1.त्वचा को हवा में खुला न छोडें:
यह मच्छर त्वचा में काटता है, और अगर त्वचा को ढँक कर रखा जाये तो मच्छर संपर्क में नहीं आ पायेगा। ये मच्छर सुबह एवं शाम में अधिक सक्रिय हो जाते हैं तो इस दौरान अपनी त्वचा को और शरीर को ढँक कर रखें। यह बहुत जरुरी है।
2.मच्छर की क्रीम:
बाजार में मच्छर से बचाव के लिए कई क्रीम उपलब्ध हैं उनका प्रयोग अपनी त्वचा पर करें जिससे की मच्छर आपको काट न पाएं। और स्वयं का बचाव कर पाएं। इस क्रीम को आप रोजाना लगा सकते हैं।
3.स्वच्छता का ध्यान रखें:
अगर आप व्यक्तिगत रूप से स्वच्छता का ध्यान रखेंगे तो डेंगू एवं अन्य बुखार से स्वयं को बचाना संभव है। इसलिए आप डिटोल जैसे लिक्विड का नहाने के पानी में इस्तेमाल करें और साथ ही साथ आप नीम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। नीम को पानी में उबाल कर उससे नहाएं।
4.पानी को घर में कहीं भी एकत्रित न होने दें:
जब कई दिनों तक पानी एक ही जगह एकत्रित होता है तो उसमें कीटाणु पनपने लगते हैं और ये कीटाणु डेंगू मच्छर को जन्म देते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि गन्दा पानी कहीं एकत्रित न हो, घर की सफाई का और आस पास की सफाई का ध्यान दें।
इन सभी बातों का ध्यान रखकर आप डेंगू जैसे व्यरस से स्वयं का बचाव कर सकते हैं इसके साथ ही अन्य वायरस से भी स्वयं का बचाव कर सकते हैं।
डेंगू का उपचार:
डेंगू का उपचार घर में भी किया जा सकता है लेकिन अगर बुखार बहुत अधिक तेज़ है और तकलीफ बहुत अधिक है तो डॉक्टर से तुरंत ही संपर्क करना चाहिए।
1)औषधि:
टायलेनोल या पैरासिटामोल डेंगू जैसे बुखार में दी जाती है एवं कभी-कभी आईवी ड्रिप्स भी रोगियों को दी जाती है। इसके अलावा ये दवाएं स्वयं भी ली जा सकती लेकिन कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए इसलिए डॉक्टर के परामर्श से ही इन दवाओं का सेवन करें।
2)हाइड्रेटेड रहें:
डेंगू के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाती है और गला सूखना और अधिक प्यास लगना जैसे लक्षण सामने आते हैं। इसलिए हाइड्रेटेड रहें और ग्लूकोस, ओआरएस पियें। यह इस दौरान लेना बहुत आवश्यक होता है। इससे कई हद तक उल्टी एवं दस्त को नियंत्रित किया जा सकता है।
3)स्वच्छता :
स्वच्छता इस समय बहहुत आवश्यक होती है। सबसे ज्यादा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि मच्छर आपके शरीर के संपर्क में ना आयें। इस दौरान प्रतिदिन नहाना संभव नहीं होता तो रोगी को अच्छे से हाथ मुंह धोकर एवं कपडे बदलना चाहिए। नीम या डेटोल के पानी का नहाने में इस्तेमाल करें। मच्छर से शरीर को बचाएँ।
4)गिलोय का काढ़ा:
गिलोय का काढ़ा पीना शरीर के लिए बहुत उम्दा माना जाता है इसे अमृता एवं गुरुबेल भी कहा जाता है। इसका काढ़ा पीने से वायरल फीवर से छुटकारा पाना संभव है। यह एक आयुर्वेदिक इलाज है।
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इस प्रकार से आप डेंगू के लक्षण को पहचान कर स्वयं का उपचार कर सकते हैं। लेकिन अगर बुखार बहुत अधिक तेज़ है आप डॉक्टर से सलाह लेने में बिल्कुल लापरवाही न बरतें।
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