How Should You Breathe When Exercising: आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा जिनकी एक्सरसाइज करते ही सांस फूलने लगाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक्सरसाइज करते दौरान वो सही ब्रीदिंग टेक्निक इस्तेमाल नहीं करते हैं। ब्रीदिंग पैर्टन भी एक्सरसाइज करने के सही तरीके जितना ही जरूरी होता है। अगर आपका ब्रीदिंग पैर्टन ठीक नहीं है, तो आपको एक्सरसाइज के फायदे भी नहीं मिलते हैं। वहीं यह एक्सरसाइज बीच में छोड़ने या बाद में परेशानी होने की वजह भी बन सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं एक्सरसाइज के दौरान सही ब्रीदिंग पैर्टन क्या होना चाहिए? इस बारे में जानकारी देते हुए हॉलिस्टिक हेल्थ कोच और एक्सरसाइज फिजियोलॉजिस्ट कपिल कनोडिया ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है। आइये लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।
पहले जानें एक्सरसाइज के दौरान ब्रीदिंग पैर्टन पर ध्यान देना क्यों जरूरी है?
एक्सरसाइज के दौरान ब्रीदिंग पैर्टन पर ध्यान देना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे एक्सरसाइज के बाद सांस नहीं फुलती है। अगर आप ब्रीदिंग करने का सही तरीका जानते हैं तो इससे आप काफी देर तक बिना थके एक्सरसाइज कर सकते हैं। इस तरीके को अपनाने से आपको एक्सरसाइज के सभी फायदे भी मिलेंगे। इसके साथ ही, हाई इंटेंस वर्कआउट करने की आसान हो जाते हैं।
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ब्रीदिंग पैटर्न के दौरान किस तरह से कॉन्ट्रेक्शन होते हैं?
ब्रीदिंग पैटर्न के दौरान हमारी मसल्स में 3 तरह के कॉन्ट्रेक्शन होते हैं यानी मसल्स सिकुड़ती है। पहला कॉन्सेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन, दूसरा इसेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन और तीसरा आइसोमेट्रिक कॉन्ट्रेक्शन।
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एक्सरसाइज के दौरान ब्रीदिंग पैर्टन कैसा होना चाहिए? What Should Be Breathing Pattern During Exercise
एक्सरसाइज के दौरान ब्रीदिंग पैर्टन इन 3 तरीकों पर ही निर्भर करता है-
कॉन्सेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन- Concentric Contraction
कॉन्सेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन के दौरान मसल्स का लेंग्थ छोटा होता हैं यानी ज्यादा सिकुड़ती हैं। इस दौरान रेजिस्टेंस ग्रेविटी से अलग जाता है। ऐसे में आपको सांस को बाहर छोड़ना चाहिए। उदाहरण के लिए जब हम डम्ब्ल्स उठाते हैं तो डम्ब्ल उप्पर ले जाते हुए कॉन्सेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन होता है और मसल्स सिकुड़ती हैं। इसलिए सांस छोड़ने की सलाह ही जाती है।
इसेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन- Eccentric Contraction
इसेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन में सभी चीजें कॉन्सेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन से अलग होती हैं। इस दौरान मसल्स बड़ी होती हैं और खुलती हैं। इस दौरान रेजिस्टेंस ग्रेविटी की ओर जाता है। ऐसे में आपको सांस को अंदर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए जब हम डम्ब्ल्स उठाते हैं तो डम्ब्ल नीचे लाते हुए इसेंट्रिक कॉन्ट्रेक्शन होता है और मसल्स खुलती हैं।
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आइसोमेट्रिक कॉन्ट्रेक्शन- Isometric Contraction
आइसोमेट्रिक कॉन्ट्रेक्शन के दौरान बॉडी पर प्रेशर नहीं पड़ रहा होता है। इस दौरान मसल्स न ही सिकुड़ती हैं और न ही फैलती हैं। इस दौरान मसल्स फोर्स जनरेट कर रही होती है। इस दौरान ब्रीदिंग पैर्टन बिलकुल नॉर्मल होता है। उदाहरण के लिए जब हम प्लैंक करते हैं तो हमारा ब्रीदिंग पैर्टन नॉर्मल होता है। इस दौरान हमारी बॉडी बैलेंस बनाना सीख रही होती है।
इस तरह से आप अपना ब्रीदिंग पैर्टन बना सकते हैं। इससे आपको एक्सरसाइज के सभी फायदे मिलेंगे। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो शेयर करना न भूलें।
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