पेरिटोनियल कैंसर बहुत ही कम देखने व सुनने में आता है। यह पेट के ऊपरी हिस्से के ऊतकों के पतली परत के अंदर विकसित होता है। यह गर्भाशय, ब्लैडर व रेकटम को प्रभावित करता है। इपथिकल कोशिकाओं से बनी आकृति को पेरिटोनियल कहा जाता है। यह ऐसे द्रव्य का निर्माण करता है जिससे पेट के अंदर के अंग आसानी से गतिविधि कर सकें।
- कई बार लोग पेरिटोनियल कैंसर व पेट व आंत के कैंसर में भ्रमित हो जाते हैं। यह दोनों एक तरह के कैंसर ना होकर अलग हैं। पेरिटोनियल कैंसर ओवरी के कैंसर की तरह दिखता है लेकिन इसमें ओवरी भी शामिल होती है।ओवरी की सतह इपथिकल कोशिकाओं से बनी है। इसलिए पेरिटोनियल कैंसर ओवरी के कैंसर से मिलता जुलता है। इसे इपथिकल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।
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- इस कैंसर के लक्षण व इलाज ओवरी के कैंसर की तरह ही किया जाता है। साथ ही जिन महिलाओं को अनुवांशिकता के कारण ओवरी कैंसर का खतरा होता है उनमें पेरिटोनियल कैंसर होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
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- पेरिटोनियल कैंसर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है। जिन महिलाओं को ओवरी कैंसर होता है उनमें अपनेआप पेरिटोनियल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र में भी इसके होने की संभावना ज्यादा होती है।
- पेरिटोनियल कैंसर के लक्षणों को शुरुआती अवस्था में पहचान पाना संभव नहीं है। जैसे जैसे ये लक्षण बढ़ते जाते हैं वैसे ही महिलाओं में समस्याएं बढ़ने लगती हैं।
- पेट में दर्द, गैस, सूजन व ऐठन, हल्का भोजन लेने के बाद भी पेट में भारीपन महसूस होना, चक्कर आना, डायरिया, कांसटिपेशन, बार-बार यूरीन की समस्या, भूख कम लगना, अचानक से वजन बढ़ना व कम होना, असमान्य रुप से योनि से रक्तस्राव होना, सांस में कमी आदि लक्षण जब महसूस होने लगते हैं तो पेरिटोनियल कैंसर की पहचान करना आसान हो जाता है।
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पेरिटोनियल कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर पहले आपके चिकित्सी इतिहास की जांच करेगा। फिर वह आपकी शारीरिक जांच के जरिए आपको होने वाली समस्याओं क बारे में पता लगाने की कोशिश करेगा। जरूरत पड़ने पर वह कुछ जांच भी करा सकता है।
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