यूटरिन फाइब्रॉयड क्या है? जानें इस समस्या का कारण, लक्षण और उपचार

ज्यादातर स्त्रियां अपने कामकाज और जिम्मेदारी के चलते सेहत पर ध्यान देना भूल जाती हैं, जिसके कारण बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ता है। जानें कैसे...
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यूटरिन फाइब्रॉयड क्या है? जानें इस समस्या का कारण, लक्षण और उपचार


घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारी के चलते महिलाएं अक्सर इतनी व्यस्थ हो जाती हैं कि वे खुद पर और अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पातीं। वे अपना कार्य ढंग से तो करती हैं लेकिन अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरतने लगती हैं, जिसके चलते भविष्य में उन्हें अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं सब बीमारियों में एक बीमारी है यूटरिन फाइब्रॉयड। आइए जानते हैं इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव। पढ़ते हैं आगे...

What is Fibroid Uterus Symptoms

क्या है यूटरिन फाइब्रॉयड (What is Fibroid Uterus Symptoms)

जब शरीर में यूट्रस की मांसपेशियों का विकास असामान्य रूप से होने लगता है तो इसे फाइब्रॉयड कहते हैं। बता दें कि इसका आकार मटर के दाने से लेकर खेल की बॉल के बराबर हो सकता है। इसके भी दो भाग हैं- सबसेरस और सबम्यूकस। जब यह गर्भाशय की मांसपेशियों के बाहरी हिस्से में पैदा हो जाता है तो इसे सबसेरस कहते हैं और जब यह यूट्रस के भीतरी हिस्से में होता है तो इसे सबम्यूकस कहते हैं। ध्यान दें अगर अगर फाइब्रॉयड का आकार छोटा है या उससे मरीज को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं हो रहा है तो ऐसे में डॉक्टर इलाज ना करने की सलाह देते हैं।  

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इसके कारण (Fibroid Uterus Causes)

  • आनुवंशिकता
  • मोटापा
  • हॉर्मोन का बढ़ना
  • लंबे समय तक बच्चा ना होना
  • एस्ट्रोजन

इसके लक्षण (What is Fibroid Uterus Symptoms)

  • शादी के कुछ सालों के बाद भी कंसीव न कर पाना।
  • मासिक धर्म के दौरान दर्द के साथ ज्यादा ब्लीडिंग होना साथ ही पीरियड्स का अनियमित होना। इसके अलावा पेट के निचले हिस्से या कमर में दर्द और भारीपन महसूस होना।
  • अगर फाइब्रॉयड यूट्रस के अगले हिस्से में है तो और अगर ज्यादा बड़ा हो तो यूरिन के ब्लैडर पर दबाव पड़ना और बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होती है।
  • जब किसी मरीज को यह बीमारी होती है तो उसे पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग होती है, जिसके कारण मरीज में एनीमिया के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

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इसका उपचार (What is Fibroid Uterus Treatment)

  • अगर आपके परिवार में इस बीमारी की केस हिस्ट्री रही हो तो हर 6 महीने के अंदर एक बार पेल्विक अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी होता है।
  • खानपान का इस पर बेहद असर पड़ता है ऐसे में अपने खानपान को संतुलित रखें।
  • एक्सरसाइज को अपनी डेली रूटीन में जोड़ें।
  • वजन को ज्यादा ना बढ़ने दें।
  • पहले ओपन सर्जरी के माध्यम से इसे दूर किया जाता था, जिसमें महिला को स्वस्थ होने में लगभग 1 महीने का समय लगता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है लेप्रोस्कोपी के माध्यम से ऑपरेशन के अगले दिन ही महिला अपने घर जा सकते हैं।

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