अक्सर आपने एक कहावत सुनी होगी कि मोटे हैं, तो क्या हुआ खाते-पीते घर के हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कहावत असल में आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है। जी हां, शरीर की जरूरत और उसके लिए आवश्यक पोषक तत्वों के लिए र्प्याप्त मात्रा में खाना अच्छी बात है लेकिन ओवरईटिंग किसी भी हालत में सेहत के लिए अच्छी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ओवरईटिंग आपके ओवरवेट यानि मोटापे का कारण बन सकती है और मोटापा एक नहीं कई अन्य बीमारियों को न्योता देता है।
मोटापा अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई अन्य बीमारियों का जोखिम कारक है। मोटापे के कारण, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज समेत कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं, यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि मोटापा महिलाओं में उनके प्रजनन स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। जी हां, मोटापा या ओवरवेट महिलाओं को बांझपन की ओर ले जा सकता है। मोटापा महिला ही नहीं, बल्कि पुरूषों में भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। आइए यहां जानिए कि मोटापा महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है।
मोटापा और प्रजनन स्वास्थ्य
किसी भी व्यक्ति के अधिक वजन वाला या ओवरवेट का पता लगाने के लिए हमे वजन की सामान्य सीमा को परिभाषित करने की जरूरत है। यह बॉडी मास इंडेक्स यानि बीएमआई द्वारा तय किया जाता है। आपके बीएमआई से पता लगता है कि आप कितने स्वस्थ या अस्वस्थ हैं। जैसे कि 25 से 29.9 की बीएमआई वाली महिलाओं को अधिक वजन माना जाता है। वहीं 30 या उससे अधिक बीएमआई वाली महिलाओं में मोटापा होता है, जो कि उनके प्रजनन स्वास्थ्य और संपूर्ण सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्यमें उसके पीरियड्स, प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दे शामिल हैं। जिसमें कि अतिरिक्त वजन या मोटापा उसके जीवन के इन सभी पहलुओं को प्रभावित कर सकता है। यहां जानिए कैसे?
1. मेंस्ट्रुअल हेल्थ
मेंस्ट्रुअल हेल्थ या मासिक धर्म या पीरियड्स आपके प्रजनन स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा हैं। इसलिए यदि आपकी मेंस्ट्रुअल हेल्थ में कोई गड़बड़ी है, तो यह आपके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और महिलाओं में मां बनने या गर्भधारण में परेशानी पैदा कर सकती है। मोटापे के कारण हार्मोनल असंतुलन अनियमित पीरियड्स, पीएमएस और पीरियड्स के लंबे समय तक चलने का कारण बन सकता है। आपके मोटापे या अधिक वजन के कारण एनीमिया, मनोवैज्ञानिक समस्याएं या मूड डिसऑर्डर संबंधी विकार आदि समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
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2. फर्टिलिटी या प्रजनन क्षमता
हाई बीएमआई या मोटापे के साथ कुछ महिलाओं को गर्भ धारण करने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि सबफर्टिलिटी से पीड़ित हो सकती हैं और सहज रूप से गर्भ धारण करने में अधिक समय लेती हैं। आम तौर पर, यह संक्रामक ओव्यूलेशन के कारण होता है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एनोव्यूलेशन (नॉन प्रॉडक्शन एग) के साथ जुड़ा हुआ है। सामान्य बीएमआई महिलाओं की तुलना में अधिक वजन वाली महिलाओं में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के परिणाम खराब होते हैं।
3. एक्लेम्पसिया
अधिक वजन और मोटापा एक स्वस्थ महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या एक्लेम्पसिया विकसित करने के लिए उच्च जोखिम में डाल सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर दिल की बीमारियों के खतरे को भी बढ़ाता है। प्रेगनेंसी में हाई बीपी, पेशाब में प्रोटीन आना, पैरों, टांगों और बांह में सूजन आने की स्थिति को प्रीक्लैंप्सिया कहते हैं। जब यह स्थिति गंभीर रूप लेती है, तो इसे एक्लेम्पसिया कहा जाता है।
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यह गर्भपात, समय से पहले प्रसव, शिशुओं में विकास पर प्रतिबंध और सिजेरियन प्रसव के जोखिम को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाई बीएमआई से एनेस्थेटिक जोखिम, गर्भावस्था और प्रसव के बाद खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है।
इसलिए हाई बीएमआई वाली महिलाओं को एक डॉक्टर की सलाह से गर्भधारण करना चाहिए और कुछ सावधानियों और अंतर्निहित छिपी हुई स्वास्थ्य स्थितियों की पहचान करके उनका इलाज करवाना चाहिए।
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