चक्कर आने (Vertigo) और सिर घूमने (Dizziness) में क्या अंतर होता है? जानें दोनों स्थितियां कैसे हैं अलग

चक्कर आने की समस्या कई लोगों को होती है। लेकिन आपको इस समस्या के सही कारण का पता होना चाहिए।   
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चक्कर आने (Vertigo) और सिर घूमने (Dizziness) में क्या अंतर होता है? जानें दोनों स्थितियां कैसे हैं अलग


चक्कर आने पर व्यक्ति को धरती घूमती हुई महसूस होती है। इस समस्या में लोगों को अपना संतुलन बनाए रखने में परेशानी होती है। जबकि कुछ लोगों बार-बार चक्कर आने पर बेहोश तक हो जाते हैं। वहीं कुछ लोगों को उल्टियां होने लगती है। इस समस्या को कमजोरी का एक लक्षण माना जाता है, लेकिन कई बार बार ये किसी गंभीर रोग की ओर भी संकेत करती है। चक्कर आने पर व्यक्ति को घबराहट, पसीना आना, दिखाई देने में परेशानी व शरीर में भारीपन लगने लगता है। चक्कर आने या सिर घुमने की समस्या को वर्टिगों व डिजीनेस के नाम से जाना जाता है। ध्यान देने वाली बात ये है कि हर बार चक्कर आने को वर्टिगो नहीं मान लेना चाहिए। वर्टिगो और डिजीनेस दोनों अलग-अलग रोग होते हैं। इनके अंतर के विषय में आगे बताया गया है।  

वर्टिगो और डिजीनेस में क्या अंतर होता है? Difference between dizziness and vertigo 

वर्टिगो और डिजीनेस के अंतर को जानने के लिए हमने इंद्राप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पी एन रेंजिन से बात की। डॉ. रेंजिन ने बताया कि सबसे पहले वर्टिगो और नींद आने की स्थिति (Drowsiness) के बीच के अंतर को स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है। इन दोनों ही शब्दों को एक दूसरे के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन ये दोनों ही स्थिति में व्यक्ति को संवेदना (Sensation) महसूस होती है। जब व्यक्ति को सिर घूमते हुए लगे, धूंधला दिखाई दे तो इसके डिजीनेस कहा जाता है। वर्टिगो में व्यक्ति को चक्कर कम की समस्या डिजीनेस की अपेक्षा कम होती है। हालांकि वर्टिगो में व्यक्ति को चक्कर आने का लक्षण हो सकते हैं। वर्टिगो में व्यक्ति को जमीन हिलते हुए महसूस होती है। डिजीनेस के समान वर्टिगो में भी व्यक्ति को संतुलन बनाने में मुश्किल होती है। वर्टिगो अक्सर व्यक्ति को मतली या उल्टी भी होती है। व्यक्ति के आंतरिक कान में स्थिति वेस्टिबुलर सिस्टम के प्रभावित होने पर वर्टिगों की समस्या होती है।  

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vertigo vs dizziness

चक्कर आने (Vertigo) और सिर घूमने (Dizziness) पर क्या करें? 

इस समस्या का सही इलाज डॉक्टर की देखरेख में किया जाता है, लेकिन कुछ घरेलू उपायों से आप इस समस्या की गंभीरता को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। आगे जानते हैं इसके बचाव के कुछ घरेलू उपाय।  

  • अपने भोजन को स्किप न करें। आहार को समय पर न खाने की वजह से भी आपको चक्कर आ सकते हैं। ऐसे में आप अपना आहार सही समय पर ग्रहण करें।  
  • डिहाईड्रेशन भी चक्कर आने की एक वजह होता है। ऐसे में आपको दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इससे आपका शरीर हाईड्रेट रहता है।  
  • शराब, घुम्रपान, कैफीन युक्त ड्रिंक्स को कम से कम पिएं। यदि संभव हो तो इन्हें लेना जल्द से जल्द बंद कर दें।  
  • चिंता व तनाव की वजह से भी व्यक्ति को चक्कर आने की समस्या होती है। ऐसे में आप चिंता कम करें और आसपास के लोगों के साथ चिंता के विषय को शेयर करें। इससे आपको आराम मिलेगा।   
  • चक्कर आने पर आप कहीं बैठ जाएं या आराम करें। कई बार नींद की कमीं की वजह से भी चक्कर आने की समस्या होने लगती है। ऐसे में आपको पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।  
  • डॉक्टर से मिलकर चक्कर के सही कारणों के आधार पर उसका इलाज कराएं।  

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कई तरह के रोगों में व्यक्ति को चक्कर आने के लक्षण देखें जाते हैं। कई बार मस्तिष्क संबंधी रोगों में भी व्यक्ति को चक्कर आने लगते हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से मिलकर अपने रोग की पहचान करानी चाहिए और समय रहते उसका इलाज कराना चाहिए। 

 

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