कोरोनावायरस का कहर लगातार जारी है। संक्रमण सीमित रखने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन की मियाद 3 मई तक है, जो अब लगभग खत्म होने के करीब है। पर कोरोनावायरस के बढ़ते गुए आकड़ों को देखते हुए सबसे मन में यही सवाल है कि 3 मई तक का लॉकडाउन काफी है? इसी बीच एक्सपर्ट्स इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि लॉकडाउन कोरोना को कुछ दिनों तक तो रोका जा सकता है, लेकिन इसके हटते ही यह वायरस फिर तेजी से फैलने लगेगा। ऐसे में अब ये एक्सपर्ट्स 'हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity)' यानी सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता की थिअरी दे रहे हैं। तो आइए जानते हैं क्या है ये हर्ड इम्यूनिटी थिअरी?
क्या है हर्ड इम्यूनिटी?
हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) मेडिकल साइंस की एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है। इसके तहत देश की आबादी का एक तय हिस्से को वायरस से संक्रमित कर दिया जाता है। ताकि वो इस वायरस के प्रति वे खुद में इम्यूनिटी पैदा कर लें। यानी उनके शरीर में वायरस को लेकर एंटीबॉडीज बन जाएं। इससे भविष्य में कभी भी वो वायरस परेशान नहीं करेगा। अगर हर्ड इम्यूनिटी लागू किया जाए, तो 60 फीसदी आबादी को कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा। इसके बाद जब वे इस बीमारी से इम्यून हो जाएंगे, तब उनके शरीर से एंटीबॉडीज निकाल कर इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार किया जा सकेगा। फिर इसी वैक्सीन से बाकी लोगों का इलाज हो सकेगा।
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हर्ड इम्यूनिटी कोरोना का कैसे इलाज बन सकता है
सेंटर फॉर डिजीज डायनैमिक्स, इकनॉमिक्स ऐंड पॉलिसी और वॉशिंगटन स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्तांओं (रिसर्चर्स) की एक टीम की मानें, तो भारत में हर्ड इम्यूनिटी की थिअरी कामयाब हो सकती है क्योंकि यहां की बड़ी आबादी युवाओं की है, जिनमें ज्यादातर को वायरस से संक्रमित होने के बावजूद अस्पताल नहीं ले जाना पड़ेगा और उनकी मौत नहीं होगी। इसके असावा हर्ड इम्यूनिटी का फायदा उनको भी होता जो वायरस के हमले से अब तक बचे हुए हैं क्योंकि एंटीबॉडीज से बनाई गई वैक्सीन से आसानी से इलाज हो जाएगा।
हर्ड इम्यूनिटी में संक्रमित करने की प्रक्रिया कैसी होगी?
हर्ड इम्यूनिटी में वायरस तीन तरीके से बड़ी आबादी को संक्रमित करता है।
- - पहला इससे उन समुदाय या समूह को संक्रमित किया जाता है जो वायरस से इम्यून न हो यानी जिनमें प्रतिरोधक क्षमता कम हो।
- - दूसरा ऐसा हो सकता है कि कुछ लोग इम्यून हो लेकिन समुदाय में बाकी लोग इम्यून न हों।
- -तीसरा तरीका ये है कि पूरे समुदाय को इम्यून कर दिया जाए ताकि जब वायरस फैलने की कोशिश करे तो वह बहुत कम लोगों को ही संक्रमित कर पाए।
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हर्ड इम्यूनिटी प्रक्रिया के अन्य फायदे
हर्ड इम्यूनिटी की प्रक्रिया लागू करने से यह भी पता चल जाता कि देश की कितनी बड़ी आबादी इससे प्रभावित हो रही है। साथ ही इस वायरस की फैलने की क्षमता कितनी है। यानी अगर एक व्यक्ति को संक्रमित किया जाता वायरस से तो उस आदमी से और कितने लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसके साथ ही इससे बुजुर्गों को भी सुरक्षित किया जा सकता है। दरअसल कोई भी देश लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं झेल सकता है और खासकर भारत जैसा देश। ऐसे में बुजुर्गों को इन्फेक्शन से बचाकर हर्ड इम्यूनिटी के एक पॉइंट पर पहुंचना होगा और जब हर्ड इम्यूनिटी पर्याप्त संख्या में पहुंच जाएगी तो महामारी रुक जाएगी, तब बुजुर्ग भी सुरक्षित हो जाएंगे। इस तरह ये हर्ड इम्यूनिटी की थिअरी कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकती है।
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