हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। यह बदलाव हमारी आदतों और खानपान पर निर्भर करते हैं। आपको बता दें कि शरीर में हेमोसाइडरिन नामक आयरन जब शरीर के फेफड़ों, लिवर और किडनी में अधिक मात्रा में इकट्ठा होने लगता है, तो इस स्थिति को हेमोसाइडरोसिस (Hemosiderosis) कहते हैं। हेमोसाइडरिन आयरन से बना पदार्थ होता है, जो शरीर के टिश्यू में अधिक मात्रा में इकट्ठा होता है, इससे व्यक्ति को कई तरह की समस्याएं हो सकती है। इससे अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और शरीर के अंदुरुनी अंग सही तरह से कार्य नहीं कर पाते हैं। यह एक दुर्लभ स्थिति होती है, लेकिन इससे शरीर के अंगों से ब्लीडिंग हो सकती है। इस लेख में आगे यशोदा सुपरस्पेशिलिएटी अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर एपी सिंह से जानते हैं कि हेमोसाइरोसिस की समस्या क्यों होती है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
हेमोसाइडेरोसिस के कितने प्रकार होते हैं? - Types Of Hemosiderosis in Hindi
- फेफड़ों की हेमोसाइडेरोसिस (Pulmonary Hemosiderosis), इसमें फेफड़ों में आयरन जमा हो जाता है, जिससे फेफड़ों में टिश्यू में सूजन होती है। ऐसे में फेफड़ों का इंफेक्शन हो सकता है।
- सिस्टमिक हेमोसिडेरोसिस (Systemic Hemosiderosis), इसमें शरीर के विभिन्न अंगों में हेमोसाइडरिन जमा होता है। यह स्थिति आयरन मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी या बार-बार रक्त बदलने (blood transfusion) से होती है।
हेमोसाइडेरोसिस के कारण - Causes Of Hemosiderosis in Hindi
हेमोसाइडेरोसिस कई कारणों से हो सकती है, जिनके कुछ कारणों को आगे बताया गया है।
- आयरन मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी (Iron Metabolism Disorder): कुछ व्यक्तियों में आयरन को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे हेमोसाइडरिन का जमाव होता है।
- फेफड़ों के रोग (Lung Diseases): फेफड़ों में बार-बार सूजन या संक्रमण के कारण आयरन का जमाव हो सकता है। इससे फेफड़ों के टिश्यू में क्षति होती है और हेमोसिडेरोसिस हो सकती है।
- बार-बार रक्त बदलना (Excessive Blood Transfusions): बार-बार रक्ताधान (Blood Transfusions) होने से शरीर में अतिरिक्त आयरन जमा होने लगता है, क्योंकि हर बार जब नया खून मिलता है, तो उसमें आयरन की मात्रा भी बढ़ती है।
- हेमोलाइटिक एनीमिया (Hemolytic Anemia): इस स्थिति में लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से टूटती हैं, जिससे अतिरिक्त आयरन का जमाव हो सकता है।
हेमोसाइडरोसिस का इलाज कैसे किया जाता है? - Treatment Of Hemosiderosis in Hindi
हेमोसाइडेरोसिस का उपचार इसकी गंभीरता और कारण पर निर्भर करता है। आगे जानते हैं इसके उपचार का तरीका।
शरीर से आयरन की कमी करना (Iron Chelation Therapy)
यह थेरेपी शरीर से अतिरिक्त आयरन को निकालने में मदद करती है। इसमें कुछ दवाइयों का उपयोग किया जाता है, जो आयरन को बांधकर उसे पेशाब या मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं।
स्टेरॉयड थेरेपी (Steroid Therapy)
इसमें फेफड़ों की हेमोसाइडेरोसिस में सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाइयां दी जाती हैं। हालांकि, ये दवाइयां देने से पहले डॉक्टर मरीज के कई टेस्ट करते हैं।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन कम करना
अगर बार-बार रक्त चढ़ाने के चलते हेमोसाइडेरोसिस की समस्या हो रही है, तो ब्लड ट्रांसफ्यूजन को बार-बार करने की आवृत्ति को कम किया जा सकता है।
फेफड़ों का इलाज
फेफड़ों में सूजन या संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है। इससे लंग्स की कार्यक्षमता दोबारा से बेहतर होती है।
ऑक्सीजन थेरेपी
फेफड़ों में आयरन के जमाव से सांस की समस्या होने पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जा सकती है। इससे मरीज को काफी आराम मिलता है।
इसे भी पढ़ें : पल्मोनरी एडिमा और निमोनिया में क्या अंतर है? जानें लक्षण और बचाव
Hemosiderosis Causes And Treatment: इसके अलावा, डॉक्टर मरीज की जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव कर सकते हैं। जैसे मरीज को आयरन युक्त आहर न देना, विटामिन सी का सेवन कम करना, शराब व सिगरेट से दूरी बनाना, आदि। हेमोसाइडेरोसिस एक गंभीर स्थिति है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसकी समय पर पहचान करने से लक्षणों की गंभीरता को कम किया जा सकता है।