फोरसेप्स डिलीवरी क्या है? डॉक्टर से जानें प्रेग्नेंसी में कब और किसे पड़ती है इस तरह के डिलीवरी की जरूरत

फोरसेप्स डिलीवरी क्या है, डिलीवरी के आखिरी स्टेज में डॉक्टर क्यों लेते हैं प्रक्रिया की मदद, इस बारे में तमाम जानकारी जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
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फोरसेप्स डिलीवरी क्या है? डॉक्टर से जानें प्रेग्नेंसी में कब और किसे पड़ती है इस तरह के डिलीवरी की जरूरत


डिलीवरी कई प्रकार की होती है, सामान्य डिलीवरी, सीजेरियन व अन्य... उसी में से एक है ये फोरसेप्स डिलीवरी। शिशु को मां के गर्भ से निकालने के लिए इस प्रक्रिया को क्यों अपनाया जाता है, यह सुरक्षित है या नहीं, इसके फायदे और नुकसान सहित अन्य तमाम बिंदुओं के बारे में हम जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की डॉक्टर (स्त्री रोग विशेषज्ञ) विभा सहाय से जानेंगे कि फोरसेप्स डिलीवरी किन-किन स्थितियों में की जाती है। इस डिलीवरी के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं। इस बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।

शिशु को जल्द से जल्द निकालने के लिए अपनाते हैं प्रक्रिया

डॉक्टर बताती हैं कि विकट परिस्थिति में जब शिशु को जल्द से जल्द गर्भ से निकालना होता है, तब डॉक्टर फोरसेप्स डिलीवरी करते हैं। इस मेडिकल तकनीक का इस्तेमाल इमरजेंसी में डॉक्टर करते हैं। इसमें विशेष सावधानी बरती जाती है। सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में फोरसेप्स डिलीवरी उतना आम नहीं है। अभी 15 प्रतिशत लोग ही इसे करवाते हैं। गर्भवती को पहले फोरसेप्स डिलीवरी के बारे में बताया नहीं जाता है। प्रसव पीड़ा और बच्चे के गर्भ में पुजिशन को देखने के बाद फोरसेप्स डिलीवरी का निर्णय डॉक्टर लेते हैं। गर्भवती का लेबर पेन शुरू नहीं होने पर इसे किया जाता है। फोरसेप्स एक तरह का मेडिकल उपकरण, जिसका डिलीवरी में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इस डिलीवरी को फोरसेप्स डिलीवरी कहते हैं। 

Forceps Delivery Instrument

इन स्थिति में पड़ती है फोरसेप्स डिलीवरी की जरूरत

डॉक्टर बताती हैं कि फोरसेप्स डिलीवरी करने से पहले डॉक्टर गर्भ में बच्चे की पुजिशन और सर्वाइकल डायलेशन की जांच करते हैं। जब गर्भवती शिशु को जन्म देने के दौरान थक जाती है तो इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि इस प्रक्रिया में मां की क्षमता कम होती है, जिससे गर्भ से बच्चे को निकालने में परेशानी होती है। इसके कारण फोरसेप्स डिलीवरी किया जाता है। गर्भ में भ्रूण की पुजिशन सही नहीं होने के कारण भी फोरसेप्स डिलीवरी को डॉक्टर करते हैं। बच्चे की अवस्था गर्भ में सही नहीं होने पर डॉक्टर रोटेशन इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करके डिलीवरी करवाते हैं।

इस तरह की जाती है डिलीवरी

डॉक्टर बताती हैं कि इसे करने के लिए सबसे पहले मूत्रमार्ग में पतली कैथेटर डालकर मूत्राशय को खाली किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर सुन्न करने वाली इंजेक्शन से योनि को सुन्न करते हैं। इस दौरान शिशु के दिल धड़कन पर डॉक्टर नजर बनाए रखते हैं। एपीसीओटॉमी से योनि को खोला जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे फोरसेप्स को शिशु के सिर पर लगाया जाता है। मां को प्रेशर लगाने को कहा जाता है इसके बाद फोरसेप्स से बच्चे को निकाला जाता है। मां के प्रेशर से शिशु आसानी से निकल जाता है। इस दौरान बच्चे की पुजिशन को ठीक किया जाता है। अगर बच्चे की पुजिशन ठीक नहीं होगी तो बच्चों को निकाला नहीं जा पाएगा।

Delivery Process

फोरसेप्स डिलीवरी के फायदे

डॉक्टर बताती हैं कि प्रसव के दौरान कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होती है। इस दौरान फोरसेप्स डिलीवरी की तकनीक डॉक्टर अपनाते हैं और बच्चे को गर्भ से निकालते हैं। इस दौरान डॉक्टर काफी सतर्कता बरते हैं। इस डिलीवरी ऑप्शन को डॉक्टर पेशेंट की स्थिति के अनुसार चुनना होता है। जब महिला नार्मल डिलीवरी करने के दौरान बच्चे को बाहर पुश करने में असमर्थ होती है, तो डॉक्टर तत्काल इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सफल डिलीवरी होती है।

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फोरसेप्स डिलीवरी के नुकसान

  • फोरसेप्स की प्रक्रिया में शिशु के सिर में औजार लगाकर उसे बाहर निकाला जाता है। इससे उसके मस्तिष्क में प्रभाव पड़ता है। सिर का आकार भी बढ़ जाता है। यह समस्या स्थायी हो सकती है।
  • गर्भवती को पेशाब करने में परेशानी होती है।
  • इस डिलीवरी के बाद गर्भवती काफी दिनों तक पेशाब को ज्यादा देर तक रोक नहीं सकती है।
  • प्राइवेट पार्ट में दर्द होता है।
  • डिलीवरी के दौरान ज्यादा खून बहता है, जिससे एनीमिया होती है।
  • डिलीवरी के दौरान प्राइवेट पार्ट में चोट लग सकता है।
  • जो मांसपेशी और लिंगामेंट पेल्विक ऑर्गन को सपोर्ट करती हैं उसमें कमजोरी आती है
  • फोरसेप्स डिलीवरी जोखिम भरा रहता है। इससे बच्चे के चेहरे में चोट लग सकती है। अंदरुनी ब्लीडिंग होती है। बच्चे के चेहरे पर चोट के दाग भी रहते हैं। यह दाग एक दो दिन में भी छूट सकते हैं, या इसे छूटने एक सप्ताह का भी वक्त लग सकता है।
  • फोरसेप्स डिलीवरी के बाद कई दिनों तक गर्भवती असहज महसूस करती है और दर्द हो सकता है। अगर ज्यादा दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
  • कभी-कभी इस डिलीवरी से बच्चे के दिमाग पर भी चोट लग सकता है।
  • इस डिलीवरी में रिस्क काफी ज्यादा होता। कटना और सूजन इसमें आम समस्या है।

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फोरसेप्स अगर सफल नहीं होता सिजेरियन डिलीवरी कराई जाती है

कभी-कभी फोरसेप्स डिलीवरी अगर सफल नहीं होता है तो डॉक्टर सिजेरियन विधि का इस्तेमाल कर बच्चे को बाहर निकालते हैं। इसमें डॉक्टर बिकनी लाइन पर चीरा लगाकर बच्चे को बाहर निकालते हैं। फोरसेप्स डिलीवरी में गर्भवती को चोट के कारण कई टांके भी लग सकते हैं।

इस बारे में विस्तार से जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें

आर्टिकल में दी गई जानकारी सिर्फ परामर्श के लिए है। अगर आपको फोरसेप्स डिलीवरी से जुड़ी अधिक जानकारी हासिल करना है तो उसके लिए आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। वहीं यदि आपने फोरसेप्स डिलीवरी की इस प्रक्रिया से ही शिशु को जन्म दिया है और आपको किसी प्रकार की समस्या हो रही है या फिर आर्टिकल में बताई गई बातों के अनुसार दिक्कत हो रही है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। वहीं इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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