क्‍या है डायबिटीक हाइपोग्‍लाइसीमिया

हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए इसके लक्षणों की जानकारी होना जरूरी है। मधुमेह रोगियों को इससे बचने के लिए खास सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसी ही कुछ सावधानियों के बारे में जानें।
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क्‍या है डायबिटीक हाइपोग्‍लाइसीमिया

हाइपोग्लाइसीमिया में रोगी के ब्‍लड में शुगर की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है। डाक्टरों के मुताबिक शुगर की कमी के कारण इससे पीड़ित लोगों को काफी समस्याएं होने लगती हैं। हाइपोग्लाइसीमिया मधुमेह की स्थिति से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसमें मरीज को चक्कर आने लगते है तथा कई बार ऐसी हालत में वह बेहोश होकर गिर भी सकता है।

diabetic hypoglyemia in hindi
क्या है हाइपोग्लाइसीमिया

अगर रोगी के रक्त में शुगर की मात्रा 70 मिलीग्राम से कम है तो हाइपोग्लाइसेमिया और 50 मिलीग्राम से भी कम है तो ये सीवियर हाइपोग्लाइसीमिया नामक बीमारी हो सकती है। हाइपोग्लाइसीमिया होने की सबसे बड़ी वजह मधुमेह पीड़ितों की लापरवाही या जागरूकता का अभाव है। अकसर देखा गया है कि मरीज अपने मन से दवा लेते और छोड़ते हैं। इससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा घट-बढ़ जाती है। यदि इस बीमारी से बचना है तो जरूरी है कि इस बीमारी के बारे में ठीक से समझें और सावधानी बरतें।

हाइपोग्लाइसीमिया के कारण

 

  • इंसुलिन या दवाई लेने के पश्चात भोजन न कर पाना।
  • इंसुलिन या दवाई की मात्रा आवश्यकता से अधिक लेने या भूलवश दोबारा दवाई लेने पर।
  • आवश्यकता से अधिक शारीरिक श्रम या कसरत, बच्चों से अधिक खेलकूद।
  • अत्यधिक शराब का सेवन व भोजन नहीं कर पाने पर।
  • इंसुलिन को त्वचा के नीचे (सबक्युटेनियस) लगाने के बजाए नस में (इंट्रावीनस) लगा लेने पर।

 

हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण

 

  • हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण कभी एक जैसे नहीं होते हैं। इसके लक्षण हर मरीज में अलग देखे जा सकते हैं।
  • अधिक भूख लगना, पसीना आना, शरीर में कंपन और घबराहट।
  • देर से आने वाले लक्षणों में कमजोरी और चलने में लड़खड़ाहट।
  • कम या धुंधला दिखाई देना।
  • अचानक आंख के सामने अंधेरा छा जाना।
  • बातें भूल जाना ।
  • बेहोशी  

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हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव

इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली को सुधारें। नियमित व्यायाम व खाने में पोषक तत्वों के सेवन से आप हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षणों से बच सकते हैं। जानें इस तरह के अन्य बचावों के बारे में-

  • इंसुलिन की मात्रा समय से लें और खाना खायें
  • खाने और नाश्ते के समय का अंतर ज्यादा ना होने दें
  • हमेशा अपने पास ग्लूकोमीटर रखें
  • लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं
  • साथ में टॉफी या शर्करा युक्त पदार्थ खाएं।
  • जरूरत से ज्यादा भागदौड़ से बचें।
  • अपने डॉक्टर से नियमित सलाह लेते रहें।


इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्‍ट/कमेंट कर सकते हैं।

Image Source : Getty

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