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ब्रेक्सटिंग क्या है और यह बच्चे के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? डॉक्टर से जानें

ब्रेस्टफिडिंग के दौरान महिलाओं के फोन इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को ब्रेक्सटिंग कहते हैं, आइए जानते हैं इसका शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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ब्रेक्सटिंग क्या है और यह बच्चे के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? डॉक्टर से जानें


आज के समय में कोई भी व्यक्ति बिना मोबाइल फोन के एक दिन क्या एक घंटे भी सही तरह से नहीं गुजार सकते हैं। मोबाइल फोन के अंदर ही कुछ लोगों की दुनिया बसी रहती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के तुंरत बाद ही कई महिलाएं अपने बच्चे से ज्यादा फोन पर समय गुजरना पसंद करते हैं। पहले के समय में मां अपना ज्यादातर समय अपने शिशुओं और उनके पालन पोषण में करते हैं। लेकन आज के समय में महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना ब्रेक्सटिंग के नाम से जाना जाता है। तो आइए किरण मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और न्यूबोर्न स्पेशलिस्ट डॉ. पवन मंडाविया से जानते हैं कि ब्रेक्सटिंग क्या है और यह शिशु के स्वास्थ्य पर कैसे असर डालता है? 

ब्रेक्सटिंग क्या होता है? 

डिलीवरी के बाद शिशु को दूध पीलाने के दौरान कई न्यू मॉम मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में स्तनपान के दौरान टेक्स्टिंग या मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल करना ही ब्रेक्सटिंग कहलाता है। महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अक्सर, अपने मोबाइल फोन पर चैटिंग और मैसेजिंग या फिर स्क्रॉलिंग करने में इतना बिजी रहती हैं कि वो अपने शिशु को सही तरह से दूध भी नहीं पिला पाती हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करने से बच्चे का मां के साथ कनेक्शन नहीं बन पता है और इसका असर शिशु के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। 

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शिशु के सेहत पर ब्रेक्सटिंग का प्रभाव

  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से शिशु के आंखों से संपर्क न हो पाने से मां के साथ बच्चे का बॉन्डिंग भावनात्मक और संज्ञानात्मक रूप से रुक जाता है, जो मां और बच्चे के संबंध को बेहतर बनाने के लिए बेहतर है। 
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां को अपने शिशु से बातचीत करना चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे भावनात्मक सुरक्षा विकसित करने के लिए चेहरे के भाव और अपनी मां के साथ बातचीत पर निर्भर करते हैं। ऐसे में मां की ओर से ध्यान की कमी से बॉन्डिंग कम हो सकती है, जो बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। 
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे अपनी मां को प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन मां के रिएक्शन में देरी होने पर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। स्तनपान एक ऐसा समय भी होता है, जब माताएं अपने बच्चे के संकेतों, जैसे भूख, बेचैनी या आश्वासन की जरुरतों के प्रति संवेदनशील होती हैं। ब्रेक्सटिंग से इन संकेतों के प्रति मां की प्रतिक्रिया में देरी हो सकती है, जिससे बच्चे के आराम और देखभाल पर असर पड़ सकता है।
 
 
 
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ब्रेक्सटिंग यानी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल शिशु के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए, बच्चे को दूध पिलाने के दौरान फोन का इस्तेमाल करने से बचाव करें।

Image Credit: Freepik 

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