उम्र बढ़ने के साथ हमारे स्वास्थ्य में भी तेजी से बदलाव आता है। 60 की उम्र के बाद तो, शरीर के सामने स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ नई चुनौतियां होती हैं। जैसे कि शरीर के सारे अंग पहले की तुलना में धीमे पड़ने लगते हैं। इसके कारण खाना खाने से लेकर पचाने तक की कई समस्याएं सामने आती हैं। शरीर को सही मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है, चलने-फिरने में दिक्कत होती है और मस्तिष्क का काम-काज भी प्रभावित होने लगता है। इस तरह 60 के बाद लोगों में आंख और कान से लेकर पेट, आंत, हड्डियां और दिमाग से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं। इसलिए इन तमाम स्थितियों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप 60 की उम्र के बाद कुछ हेल्थ चेकअप नियमित रूप से जरूर करवाएं। इसी बारे में हमने डॉ प्रेम नागनाथ नरसिम्हन ( Dr.Prem Naganath Narsimhan), कंसल्टेंट जेरियाट्रिक मेडिसिन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से भी बात की जिन्होंने हमें 60 की उम्र के बाद करवाने वाले हेल्थ चेकअप (health checkup for elderly) के बारे में बताया।
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60 के बाद जरूरी हेल्थ चेकअप- Health checkup for elderly
डॉ प्रेम नागनाथ नरसिम्हन ( Dr.Prem Naganath Narsimhan) की मानें तो, जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हम उम्र के साथ बढ़ने वाले बीमारियों के भी शिकार होने लगते हैं। ऐसे में इनसे बचाव के लिए कुछ बॉडी चेकअप बहुत जरूरी होते हैं। जैसे कि ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और रेडियोलॉजिकल टेस्ट। पर इसके अलावा कुछ बेसिक चेकअप भी हैं जिन्हें कराना आपको कई बीमारियों से बचा सकता है।
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1. आंखों की जांच
हमारी आंखें बहुत सेंसिटिव होती हैं और एक उम्र के बाद इससे जुड़ी परेशानियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में आंखों से जुड़ी इन्हीं परेशानियों से बचाव के लिए 40 साल की उम्र के बाद ये ही आंखों की स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। पर जब आप 60 की उम्र में होते हैं तो आपको आंखों की कई अन्य बीमारियां जैसे कि ग्लूकोमा और मेक्यूलर डिजेनरेशन आदि होने लगता है। ऐसे में आंखों की जांच करवाने से आप इन बीमारियों को शुरुआत में ही पकड़ पाएंगे और इनका इलाज करवा पाएंगे। साथ ही आपका नेत्र चिकित्सक तय कर पाएगा कि कब फॉलो-अप की जरूरत है या नहीं। साथ ही आपके चश्ने का नंबर कितना है और बढ़ तो नहीं गया इन सबकी जांच के लिए ये आई टेस्ट बेहद जरूरी हैं।
2. कान की जांच
60 की उम्र के बाद कान की जांच करवाना भी बेहद जरूरी है। दरअसल, 60 के बाद बहरापन अक्सर उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक हिस्सा बनने लगता है। कभी-कभी यह संक्रमण या अन्य चिकित्सा स्थिति के कारण हो सकता है। हर दो से तीन साल में आपको एक ऑडियोग्राम चेकअप करवाना चाहिए। एक ऑडियोग्राम विभिन्न प्रकार की पिचों और तीव्रता के स्तर पर आपके सुनने की क्षमता की जांच करता है। हालांकि 60 वर्ष की आयु तक कुछ श्रवण हानि होती है, लेकिन ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में अगर आपको सुनने में कठिनाई हो रही है और आप हियरिंग एड का उपयोग करने के इच्छुक हैं, तो आपको पहले जांच करवानी चाहिए और अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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3. ब्लड प्रेशर की जांच
हर तीन वयस्कों में से एक बुजुर्ग को ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं जरूर होती हैं। जिसे उच्च रक्तचाप के रूप में जाना जाता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, 65 से 74 वर्ष की आयु के 64 प्रतिशत पुरुषों और 69 प्रतिशत महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर होता है। दरअसल, हाई ब्लड प्रेशर साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि इसे लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देते और ये समय के साथ गंभीर होने लगता है। यह आपके स्ट्रोक या दिल के दौरे के जोखिम को भी बढ़ाता है। यही कारण है कि साल में कम से कम एक बार अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाना जरूरी है। तो ध्यान रखें कि हर 2 साल में कम से कम एक बार अपना ब्लड प्रेशर चेक जरूर करवाएं। अगर आपको डायबिटीज, हृदय रोग, गुर्दे की समस्याएं या कुछ अन्य स्थितियां हैं, तो आपको अपने ब्लड प्रेशर की अधिक बार जांच करवानी चाहिए। साथ ही आपको लिपिड टेस्ट भी करवाना चाहिए जिसमें कि स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है। इसके अलावा आपका डॉक्टर बेहतर आहार, जीवनशैली में बदलाव या दवाओं की मदद से भी इन स्थितियों से बाहर निकलने में मदद कर सकता है।
4. पीरियडोंटल चेकअप
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है ओरल हेल्थ और भी जरूरी होता जाता है। दरअसल, इस उम्र दांतों की समस्या और बढ़ने लगती है। दरअसल, इस उम्र में कैल्शियम की कमी होने लगती है। लगभग 100 प्रतिशत वयस्कों में कैल्शियम की कमी होने ने दांत और मसूड़े कमजोर होने लगते हैं। इसलिए इस उम्र में रेगुलर डेंटल चकअप करवाते रहें। ऐसे में डॉक्टर आपके जबड़े का एक्स-रे करवाएंगे और साथ ही आपके मुंह, दांतों, मसूड़ों और गले का अलग-अलग निरीक्षण करेंगे।
5. बोन डेंसिटी टेस्ट
बोन डेंसिटी टेस्ट (बीएमडी) आपके हड्डियों के स्वास्थ्य का एक स्नैपशॉट प्रदान कर सकते हैं। इसके द्वारा ऑस्टियोपोरोसिस की पहचान की जाती है। इसके अलावा फ्रैक्चर जैसे कि टूटी हुई हड्डियों के जोखिम को देखा जा सकता है। साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस उपचार के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को माप सकता है। इसके लिए सेंट्रल डीएक्सए परीक्षण किया जाता है। यह दर्द रहित है और थोड़ा सा एक्स-रे कराने जैसा है। परीक्षण आपके कूल्हे और रीढ़ की हड्डी के घनत्व को माप सकता है। इसके अलावा लिंग के अनुसार महिलाओं और पुरुषों दोनों को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए नियमित रूप से हड्डी के स्कैन का सुझाव दी जाती है।
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6. थायराइड हार्मोन स्क्रीनिंग
थायराइड की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। थायराइड आपकी गर्दन में एक ग्रंथि है जो आपके शरीर की चयापचय दर को नियंत्रित करती है। साथ ही ये थायराइड हार्मोन स्क्रीनिंग के जरिए थायराइड की बीमारी से बचा जा सकता है। ध्यान रखें कि थायराइड होने के कारण आपको शरीर में सुस्ती, वजन बढ़ना या दर्द आदि हो सकता है। पुरुषों में यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। एक साधारण ब्लड टेस्ट आपके थायरॉयड-उत्तेजक हार्मोन (TSH) के स्तर की जांच कर सकता है और यह निर्धारित कर सकता है कि आपका थायरॉयड ठीक से काम नहीं कर रहा है या नहीं।
7. मैमोग्राम और कैंसर की जांच
महिलाओं को 40 की उम्र के बाद से ही मैमोग्राम टेस्ट और पुरुषों को कैंसर की जांच करवानी चाहिए। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की मानें, तो 45 से 54 वर्ष की आयु की महिलाओं को एक बार और एक वार्षिक ब्रेस्ट स्क्रीनिंग या मैमोग्राम टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर आदि की जांच करवानी चाहिए।
इस तरह इन 7 प्रकारों के हेल्थ चेकअप को 60 की उम्र के बाद के हर व्यक्ति को जरूर करवाना चाहिए। साथ ही अपनी डाइट, एक्सरसाइज और बाकी लाइफस्टाइल का जरूर ध्यान रखें। साथ ही कोशिश करें कि जितना ज्यादा हो सके एक्टिव रहें।
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