आजकल दांतों में सड़न एक आम समस्या बन गई है। बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी इस परेशानी से जूझ रहे हैं। तो वहीं देखने वाली बात यह भी है कि ज्यादातर लोग दांतों की समस्या को नजरअंदाज करते हैं। यही वजह है कि दांतों की परेशानी के प्रति जागरुक करने के लिए यूएस में हर साल नौ फरवरी को नैशनल टूथएक डे (National Toothache day) मनाया जाता है। मुंबई के गवर्नमेंट डेंटल हॉस्पिटल में डेंटिस्ट जयसिंह देशमुख का कहना है कि दांतों की परेशानी किसी की मौत का भी कारण बन सकती है। इसलिए इसे नजरअंदाज करने के बजाए इसके इलाज पर ध्यान देना जरूरी है। आज नेशनल टूथएक डे पर दांतों में सड़न का प्रमुख कारण, लक्षण और इलाज जानने के लिए हमने बात की डेंटिस्ट जयसिंह देशमुख से। उनके मुताबिक, दांतों में सड़न (Tooth decay) एक गंभीर परेशानी है, जो आपके चेहरे की खूबसूरती से लेकर आपका आत्मविश्वास तक छीन लेती है। सबसे दुखदायी बात यह है कि इस सड़न का पता एक दिन में नहीं चलता है। यह धीरे-धीरे सामने आती है। डॉक्टर ने विस्तार से दांतों में सड़न के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बताया।
क्यों होती है दांतों में सड़न (Causes of Tooth Decay)
डॉ. देशमुख ने दांतों में सड़न के लिए हर उम्र के लिए अलग कारण बताए हैं। इन कारणों को निम्न तरीकों से समझ सकते हैं।
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1. बच्चों के दांतों में सड़न
डॉ. देशमुख का कहना है कि दांतों में सड़न की समस्या छोटे बच्चों को दांतों से शुरू होती है। शिशुओं को मां का दूध या बोतल का दूध पिलाया जाता है। जब उन बच्चों को दांत आते हैं उस समय वे इतने कोमल होते हैं कि दांतों पर ब्रश नहीं चलाया जा सकता, इसलिए बिना दांत साफ किए बच्चे को छोड़ दिया जाता है। लेकिन डॉक्टर देशमुख का कहना है कि छोटे बच्चों के दांतों में सड़न तब होती है जब उनके मुंह में पूरी रात दूध की बोतल डाल कर रखी जाती है। उस दूध से कैमिकल रिएक्शन तैयार होता है जिससे कैविटी यानी कीड़ा लगने लग जाता है। धीरे-धीरे यह एसिडिक रिएक्शन दांतों के अंदर की ओर जाता है और सड़न का क्षेत्र बढ़ता चला जाता है।
2. जवानों के दांतों में सड़न
जब बच्चे बड़े होते हैं तब उनके नए दांत निकलते हैं। बड़े होने पर वे ऐसे खाद्य पदार्थ खाते हैं जो दांतों में चिपक जाते हैं। सड़न का प्रमुख कारण ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें कार्बोहाइड्रेट ज्यादा होता है। जैसे ब्रेड, अनाज, कैंडी, सोडा, फल आदि। हमारे मुंह में ओरल बैक्टीरिया होते हैं जो खाने को पचाने में मदद करते हैं। और उन्हें एसिड में बदल देते हैं। एसिड दांतों के इनैमल को खत्म कर देता है। जिससे दांत सड़ने लग जाते हैं। इसे ही कैविटिज कहते हैं। डॉ. देशमुख का कहना है कि आजकल के बच्चे जंक फूड ज्यादा खाते हैं जो दांतों में सट कर बैठता है। जिससे मार्कोऑर्गनिइज्म को जीने के लिए जगह मिल जाती है। फिर माइक्रोऑर्गनिइज्म उस पर तेजी से काम करना शुरू करता है।
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3. बुजुर्गों के दांतों सड़न
बुजुर्गों के दांतों पर अंदर की ओर एक मोटी पीले रंग की परत होती है जिसे डॉक्टरी भाषा में कॅलक्युलस कहा जाता है। वो लेयर सालों साल खाद्य पदार्थों के जमा होने से बनी है। वह पत्थर जैसी बन जाती है। उस कैल्कुलट की वजह से मसूड़े सूज जाते हैं। या फिर मसूड़े दांतों को छोड़ देते हैं। जो लोग तंबाकू, गुटखा या सिगरेट पीते हैं उनकी भी यही हालत होती है। 40 की उम्र के बाद उनके आगे के दांत हिलने लग जाते हैं। फिर गिर जाते हैं।
4. आनुवांशिक कारण
डॉ. देशमुख ने बताया कि उन लोगों को भी दांतों में सड़न की समस्या होती है जिनके परिवार में यह परेशानी पहले कभी रही हो, जिससे आनुवांशिक कारण माना जाता है।
5. बदलता लाइस्टाइल
फास्ट फूड वाले लाइफस्टाइल में सेहतमंद खाना तो मना है। ऐसे में लोग ज्यादातर जंक फूड का इस्तेमाल करते हैं। डॉ. देशमुख ने बताया कि गांवों में दांतों में सड़न कम देखने को मिलती है। क्योंकि उनका लाइफस्टाइल बहुत सरल होता है।
6. डायबिटीज
जो लोग डायबिटीज यानी मधुमेह के मरीज होते हैं उन्हें भी दांतों में सड़न की समस्या जल्दी देखनी पड़ती है।
दांतों में सड़न के शुरुआती लक्षण (Symptoms of Tooth Decay)
दांतों का रंग बदलना और कीड़ा लगना
दांतों में सड़न सीधे तौर पर दिखाई नहीं देती। यह समस्या धीरे-धीरे होती है। दांतों में सबसे पहले कीड़ा लगता है। फिर यह कीड़ा सफेद रंग के दांत के ऊपर सफेद लेयर बनाता है जिससे सफेद दांत के ऊपर सफेद रंग दिखता नहीं है। माइक्रोऑर्गनिइज्म धीरे-धीरे दांतों के ऊपर सफेद रंग फिर ब्राउन फिर काला रंग बनाते हैं। तब लोगों को समझ आता है कि दांतों में कीड़ा लग गया है। दांत में कीड़े ने जो गड्ढा बनाया है वह दांत में फंस जाता है फिर सड़न शुरू हो जाती है। लोग दांत में दर्द से राहत पाने के लिए फौरी तौर पर लौंग रख लेते हैं उससे परेशानी थोड़ी देर के लिए ठीक होती लेकिन कुछ दिनों बाद फिर शुरू हो जाती है। जिससे परेशानी बढ़ती जाती है।
दांतों में ठंडा गर्म लगने पर दर्द
मरीज के दांत में कीड़ा लगने का सबसे प्रमुख लक्षण है कि सबसे पहले मरीज को दांतों में ठंडा, गर्म लगेगा। क्योंकि मरीज जो भी खा या पी रहा है वह सीधे नसों तक चला जाता है। इसके अलावा मीठा खाने से भी दांतों में दर्द होता है। यह दांतों में सड़न के शुरूआती लक्षण हैं।
दांतों की सड़न से ऐसे बचें (Tips For Good Dental Health)
मीठा कम खाएं
बहुत से लोगों को दिन में तीन से चार बार मीठा खाने की आदत होती है। या फिर खाना खाने के बाद मीठा खाते हैं, लेकिन डॉक्टर देशमुख का कहना है कि जो लोग ज्यादा मीठा खाते हैं वे उसे कम करें। खाने के बीच में मीठा खाएं। खाना खाने के बाद नहीं। क्योंकि उसके बाद हम ब्रश नहीं करते। अगर मीठा खाने की ज्यादा इच्छा है तो उसकी जगह च्विंग चबा सकते हैं। लेकिन शुगर कम करना है। मीठे में शुगर होता है जिसे कैमिकल भाषा में सुक्रोज कहा जाता है। सुक्रोज दांत सड़ाने वाले कीड़े को पनपने में तेजी से काम करता है।
बच्चों के दांत साफ करें
छोटे बच्चे जिनके दांतों पर ब्रश नहीं कर सकते उनके दांतों और मसूडो़ं को ऊंगलियों से साफ करें। ऊंगलियों से दांतों की मसाज करें।
दो बार ब्रश करें
जब भी दांत की कोई परेशानी होती है तब डॉक्टर अक्सर कहते हैं कि दिन में दो बार ब्रश किया करो। लेकिन देखा जाता है कि या तो लोग ब्रश करने का सही तरीका नहीं जानते हैं या ब्रश करना ही नजरअंदाज कर देते हैं। डॉ देशमुख का कहना है कि सुबह का ब्रश हो या न हो पर रात का ब्रश बहुत जरूरी है। क्योंकि रात को हम खाना खाने के बाद सो जाते हैं जिससे माइक्रोऑर्गनिइज्म को काम करने के लिए बहुत समय मिल जाता है। जिससे सड़न होती है।
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ब्रशिंग टेक्नीक का ध्यान रखें
जिस इंसान को जो दिक्कत है उस दिक्कत के लिए अलग ब्रशिंग टेक्नीक है उसके बारे में अपने डॉक्टर से जानकारी लें। और उस टेक्नीक को अपनाएं।
माउथवॉश का इस्तेमाल करें। अगर मुंह से दुर्गंध आती है तो माउथवॉश माइक्रोऑर्गनिइज्म को मार देता है और उनका रिप्रोडक्शन नहीं होने देता। आधे घंटे के लिए माउथवॉश काम करता है। इसलिए दिन में तीन बार माउथवॉश से कुल्ला कर लें।
गाजर खाएं
जब बच्चे बड़े होते हैं तब जंक फूड खाते हैं, जिससे जल्दी कीड़े बनते हैं। उसकी जगह पर अगर गाजर या खीरा खाया तो यह दांत में जमा खाना पेट के अंदर ले जाते हैं। जिससे दांतों में कीड़ा नहीं लगता। इसके अलावा अपनी डाइट में सलाद को शामिल करें।
हर छह महीने में दांत करें साफ
जो लोग स्मोकिंग करते हैं उनके दांतों को कोई नहीं बचा सकता, लेकिन गुटखा वाले अगर गुटखा कम करें और हर छह महीने बाद दांत साफ कर लें तो उनके मसूड़े स्वस्थ हो जाएंगे और फिर दांतों को पकड़ लेंगे। तभी उनके दांत हिलना बंद हो सकते हैं।
डॉक्टर के पास जाएं
जिन लोगों को दांतों में सेंसटिविटी हो रही है उन्हें उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जिस जगह कीड़ा लगा है डॉक्टर उस खाली जगह को सीमेंट से भर देंगे और दांत पहले जैसा हो जाएगा।
दांतों में सड़न के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन प्रमुख कारण मुंह की ठीक से साफ-सफाई न करना है। जो खाना हम खा रहे हैं उसके बाद अगर ठीक से ब्रश कर लें या कुल्ला कर लें तो दांतों को सड़ाने वाले कीड़े पैदा नहीं होंगे और दांतों में सड़न नहीं होगी।
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