आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हम जितना बाहर से मजबूत दिखने की कोशिश करते हैं, अंदर से उतने ही अकेले और टूटे हुए होते जा रहे हैं। लगातार काम का दबाव, नौकरी का प्रेशर, टारगेट्स के दवाब ने आज के वर्किंग कल्चर को बेहद टॉक्सिक बना दिया है। वहीं, एकल परिवारों का बढ़ता चलन और गहरी होती दोस्तियों की कमी ने लोगों को सामाजिक रूप से अकेला कर दिया है। पहले जहां पारिवारिक सपोर्ट सिस्टम और पड़ोसियों के साथ समय बिताना आम बात थी, वहीं आज के दौर में लोग अकेले रहते हैं औरअकेले सोचते है। ये सभी स्थितियां धीरे-धीरे व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर बना देती हैं और कई बार यह कमजोरी डिप्रेशन का रूप ले लेती है। ऐसे में सवाल उठता है कि डिप्रेशन से दिमाग पर क्या असर पड़ता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम की डॉ. रूपिका (Dr. Rupika Dhurjati, Psychiatric Medicine, Narayana Hospital, Gurugram) से बात की-
डिप्रेशन का दिमाग पर क्या असर पड़ता है? - What Happens To The Brain In Depression In Hindi
डॉ. रूपिका बतात हैं कि डिप्रेशन सबसे पहले मस्तिष्क की न्यूरोकेमिस्ट्री को प्रभावित करता है। मस्तिष्क में कुछ रसायन जैसे सेरोटोनिन, डोपामिन और नॉरएपिनेफ्रिन (norepinephrine) हमारे मूड को कंट्रोल करते हैं। जब ये रसायन असंतुलित हो जाते हैं, तो व्यक्ति में एनर्जी की कमी, उदासी, निराशा और जीवन में रुचि की कमी महसूस (How is the brain affected by depression) होने लगती है। जो लोग लंबे समय तक डिप्रेशन से ग्रस्त रहते हैं, उनके हिप्पोकैम्पस का आकार छोटा हो सकता है। यह सिकुड़न नए न्यूरॉन्स यानी ब्रेन सेल्स के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिससे याददाश्त पर असर पड़ता है और सीखने की क्षमता घट सकती है।
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- डिप्रेशन का असर व्यक्ति के दिमाग पर इतना पड़ता है कि व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई होती है, आत्मविश्वास घटता है और सोचने की गति धीमी पड़ जाती है।
- डिप्रेशन के चलते मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों के बीच के कनेक्शन कमजोर हो सकते हैं। इससे व्यक्ति बार-बार नकारात्मक सोच में उलझा रहता है और एक ही चिंता को बार-बार सोचते रहने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। यह मानसिक थकावट और निर्णय लेने में मुश्किलें पैदा करता है।
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- डिप्रेशन का व्यक्ति के दिमाग पर गहरा असर होता है और यह नींद में भी बाधा डाल सकता है और मन को लगातार बेचैन बनाए रखता है।
- डिप्रेशन का संबंध शरीर के हार्मोन सिस्टम पर भी होता है। इस सिस्टम के असंतुलन से तनाव हार्मोन 'कॉर्टिसोल' का लेवल बढ़ जाता है, जो ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है और ब्रेन को और ज्यादा प्रभावित करता है।
- यदि डिप्रेशन का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह मानसिक के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। ब्रेन की फंक्शनिंग लगातार गिरती जाती है और व्यक्ति की सोच, समझ, याददाश्त और भावनात्मक संतुलन बुरी तरह बिगड़ सकता है।
डिप्रेशन का इलाज संभव है। मेडिटेशन, साइकोथेरेपी, मेडिकेशन, एक्सरसाइज और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए मस्तिष्क के रसायनों को दोबारा (Can you fully recover from depression) संतुलित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
डिप्रेशन केवल मानसिक नहीं, न्यूरोलॉजिकल बीमारी भी है, जो मस्तिष्क की संरचना, कार्यप्रणाली और भावनात्मक रिएक्शन को गहराई से प्रभावित करती है। समय रहते सही इलाज, सहयोग और समझदारी से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
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