अगर आपका दिमाग फेल हो जाये तो क्या होगा, जाहिर सी बात है आप न तो कुछ समझ पायेंगे और न ही सोच पायेंगे। यानी आप अपना विवेक खो देंगे। लेकिन अगर आपके साथ ऐसा हो जाये तो घबरायें नहीं, क्योंकि वैज्ञानिकों कृत्रिम मस्तिष्क बनाने की जुगत में जुटे हैं। इससे अगर आपका दिमाग फेल हो जाये तो आप इस कृत्रिम दिमाग का प्रयोग करके फिर से स्थितियों और चीजों को सोच और समझ सकते हैं। इस लेख में विस्तार से जानिये अगर आपका दिमाग काम करना बंद कर दे तो क्या होगा।
शोध के अुनसार
स्वीडिश वैज्ञानिक प्रो. हेनरी मरक्राम और उनके सहयोगी दुनिया के पहले कृत्रिम मस्तिष्क के निर्माण में जुटे हैं। सिलिकान, सोने और तांबे से बनने वाला यह मस्तिष्क 2018 तक बनकर तैयार हो जाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो कृत्रिम मस्तिष्क से न केवल विक्षिप्तता को दूर किया जा सकेगा, बल्कि इससे बुद्धिमत्ता और सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ाया जा सकेगा। मरक्राम के 'ब्लू ब्रेन' प्रोजेक्ट के हवाले से 'डेली मेल' ने लिखा है कि यह कृत्रिम मस्तिष्क दुनिया के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर में से एक होगा।
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कैसा होगा कृत्रिम दिमाग
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह कृत्रिम मस्तिष्क सोचने-समझने, तर्क करने, भावनाओं को व्यक्त करने, चीजों को याद रखने के अलावा प्यार, गुस्सा, दर्द, उदासी, उल्लास को भी महसूस कर सकने में सक्षम होगा। प्रो. मरक्राम के मुताबिक 'हम इस कृत्रिम मस्तिष्क को 2018 तक बना लेंगे। इसके लिए हमें काफी पैसों की जरूरत है लेकिन हम उसकी व्यवस्था में जुटे हैं। दुनिया में ऐसे कुछ ही वैज्ञानिक होंगे जिनके पास सारे संसाधन होंगे। फिलहाल एक बड़ा कंप्यूटर बनाने के लिए हमें अरबों डालर की जरूरत है।' प्रो. मरक्राम के ब्लू ब्रेन प्रोजेक्ट को स्विस सरकार, यूरोपीय संघ और कंप्यूटर निर्माता कंपनी आईबीएम मदद कर रहे हैं।
यानी आपसे भी अधिक बुद्धिमान
आप चाहे यकीन न करें लेकिन यह सच है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आपके सबसे बुद्धिमान होने का वर्चस्व खत्म हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कृत्रिम मस्तिष्क का निर्माण शुरू कर दिया है, जो संभवत: मानवीय मस्तिष्क से ज्यादा बुद्धिमान होगा। मानव मस्तिष्क तंत्रिका कोशिकाओं से मिलकर बना होता है जिन्हें न्यूरान कहा जाता है। इन्हीं न्यूरान के माध्यम से मस्तिष्क को सूचनाएं प्राप्त होती हैं। कृत्रिम मस्तिष्क बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर पर न्यूरांस के अरबों कनेक्शंस का अध्ययन किया।
यह उन लोगों के लिए मील का पत्थर साबित होगा जिनकी उम्र ढलने के साथ सोचने और समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है, यह उन लोगों के लिए होगा जो पैदाइशी दिमाग से कमजोर होते हैं।
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