बच्चों के आपसी लड़ाई-झगड़ों को रोकने के लिए अपनाएं ये 7 तरीके

कुछ बच्चे बेहद झगड़ालू और लड़ाकू होते हैं। ऐसे में माता-पिता कुछ आसान से तरीकों को अपनाकर बच्चों की इस आदत को दूर कर सकते हैं।
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बच्चों के आपसी लड़ाई-झगड़ों को रोकने के लिए अपनाएं ये 7 तरीके

बच्चे बेहद शरारती और नादान होते हैं। लेकिन जब उनकी शरारत जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है तो वह लड़ाई झगड़े का रूप ले लेती है। ऐसे में माता-पिता बेहद परेशान हो जाते हैं और वह इन लड़ाई झगड़े को रोकने के लिए बच्चों को डांटना शुरू कर देते हैं। ऐसा करने से बच्चे मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में बचपन में ही इस आदत पर रोक लगाना जरूरी है। बता दें कि कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनके माध्यम से बच्चों की लड़ाई झगड़ों को रोका जा सकता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे की बच्चों की लड़ाई झगड़ों को रोकने के लिए किन तरीकों को अपनाना सही है। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

1 - बच्चों के सामने रहें सकारात्मक

बच्चे वही काम करते हैं जो उनके माता-पिता उनके सामने करते हैं। ऐसे में माता-पिता जितना बच्चों के सामने सकारात्मक रहेंगे बच्चे भी उतना सकारात्मक रहने की कोशिश करेंगे। अगर आप अपने बच्चों के सामने लड़ेंगे तो बच्चों के व्यवहार में भी आक्रामकता आएगी। ऐसे में बच्चों के स्वभाव को जितना हो सके उतना सकारात्मक बनाएं और उससे पहले अपने व्यवहार में सकारात्मक लाएं।

2 - अपना बर्ताव रखें सही

माता-पिता बच्चों के सामने किसी का भी पक्ष लेने से पहले सोचें। अगर झगड़ा भाई-बहन के बीच हुआ हो या दोस्तों के साथ हुआ हो लेकिन अपने बच्चे के पक्ष को सुनने के साथ-साथ सामने वाले का पक्ष भी सुनें। अगर आपको अपने बच्चे की गलती नजर आए तो उसे सुधारने के लिए प्रेरित करें। जब आप पक्षपात नहीं करेंगे और अपने बर्ताव में सकारात्मकता लाएंगे तो बच्चे भी उसी व्यवहार को अपने जीवन में उतारेंगे।

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3 - बीच-बचाव करना गलत

अपने बच्चों का बीच-बचाव करना कभी-कभी तो अच्छा लगता है लेकिन हर बार सही नहीं है। ऐसे में बच्चे ना केवल आपके ऊपर निर्भर हो जाएंगे बल्कि वे हर बार लड़ाई होने पर आप को ही बुलाएंगे। ऐसा करने से बच्चों का आत्मविश्वास भी कम होता है।  इससे अलग यदि लड़ाई भाई-बहन में हुई है और अगर आपने कि सामने वाले का पक्ष लिया ऐसा करने से बच्चों के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाती है इसलिए ऐसा ना करें।

4 - प्यार और अपनेपन से लें काम

बच्चों के नकारात्मक व्यवहार के पीछे कभी-कभी माता पिता का हाथ हो सकता है। बच्चे को यह साफ ना होने दें कि आप उसमें और उसके भाई बहनों के बीच में भेदभाव कर रहे हैं। इसके अलावा बच्चों में अपनेपन की भावना को पैदा करने की जिम्मेदारी भी माता-पिता की ही है। इसकी कमी से बच्चे झगड़ालू और लड़ाकू बन सकते हैं।

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5 - बच्चों को दें समय

बच्चों को समान समय देना भी जरूरी है। अगर आप बच्चों के साथ समान समय नहीं दे पा रहे हैं या आप किसी काम में व्यस्त हैं तो आप उन्हें समझाएं। साथ ही अपनी परिस्थिति के बारे में बताएं। इससे अलग ऐसी जीवन दिनचर्या निर्धारित करें, जिससे आप थोड़ा समय अपने बच्चों को भी देता है।

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6 - बच्चों के साथ जाएं घूमने

बच्चों के साथ बाहर घूमना भी जरूरी है। ऐसा करने से ना केवल उनकी नॉलेज बढ़ेगी बल्कि बच्चों के व्यवहार में भी धैर्य और सकारात्मक आएगी। ऐसा करना बच्चों की अच्छी परवरिश का हिस्सा है। और वे नई-नई जगहों के बारे में जानने के लिए प्रेरित होंगे। इसे अलग बच्चों के साथ जानें से ना केवल आप उनहें समझ पाएंगे बल्कि रिश्तो में भी सुधार आएगा।

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7 - बच्चों को सिखाएं कैसे समझें दूसरों की बातें

अकसर बच्चों की आदत होती है कि वह दूसरों की बात ना सुनकर केवल अपनी ही बात कहे चले जाते हैं। ऐसे में माता पिता का फर्ज है की वे अपने बच्चों को सिखाएं कि दूसरों की बात को सुनना भी जरूरी है। हो सकता है कि वह गलतफहमी के कारण बेवजह किसी बात पर लड़ रहे हैं ऐसे में दूसरों की बातों को सुनना जरूरी है।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चे की लड़ाई झगड़े को रोकने के लिए थोड़ी सी मेहनत काफी है। लेकिन उससे पहले मां बाप को सकारात्मक रहने की जरूरत है। उसके बाद ही ले अपने बच्चों के व्यवहार से चिड़चिड़ाहट झगड़ालू आदि को दूर कर सकते हैं। बच्चों को कभी-कभी एक्सपर्ट की जरूरत पड़ सकती है। जब घर का माहौल खराब होता है या फिर वे भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित होते हैं तो तब भी बच्चे झगड़े आदि अपने व्यवहार को व्यक्त करते हैं। ऐसे माता-पिता थेरेपी के माध्यम से इस समस्या को दूर कर सकते हैं। 

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ये लेख गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से बातचीत पर आधारित है।

इस लेख में इस्तेमाल की जानें वाली फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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