पेरेंट्स और बच्चे का रिश्ता बेहद करीब और अजीज होता है। लेकिन ओवर प्रोटेक्टिव, अधिक नियंत्रण और हस्तक्षेप के कारण कई बार रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है। इस तरह का व्यवहार बच्चे की मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। हालांकि ये कड़वाहट भरे रिश्ते अधिक समय तक नहीं रहते लेकिन इसे सुलझाना जरूरी होता है। एक सर्वे के अनुसार एक पेरेंट्स और बच्चे का रिश्ता कुछ कारणों से अधिक कड़वा हो सकता है। इसे समय रहते समझना बेहद जरूरी है। चलिए जानते हैं मां-बेटे के कड़वे रिश्ते को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
पेरेंट्स और बच्चे के कड़वे रिश्ते के लक्षण
पेरेंट्स और बच्चे के बीच खराब रिश्ते के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं। इस तरह के संबंध बच्चे के मस्तिष्क के विकास और क्षमताओं को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे रिश्तों की वजह से बच्चे को सीखने में कठिनाई होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं।
लाइफ में हस्तक्षेप
चीजों को अपने तरीके से पूरा करने की जिद या अपनी इच्छा अनुसार बेटे की लाइफ में हस्तक्षेप करना पेरेंट्स और बच्चे के अस्वस्थ रिश्ते का कारण हो सकता है। रोना, बच्चे को बुरा महसूस कराना और सहानुभूति हासिल करना कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनसे पेरेंट्स की लाइफ में हस्तक्षेप कर सकती हैं।
अधिक नियंत्रण
पढ़ाई में किस विषय को चुनना है, कौन से कपड़े पहनने हैं, किससे शादी करना है और भविष्य में कहां जाना है, ऐसे ही कई मुद्दों की वजह से पेरेंट्स और बच्चे के बीच में तनाव बना रहता है। पेरेंट्स का अधिक नियंत्रित करना बच्चे को बंधन लग सकता है।
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ओवरप्रोटेक्टिव
कुछ माता-पिता अपने बच्चे को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव होते हैं। जब पेरेंट्स बच्चे की हर बात की निगरानी करें, उसके बारे में जानकारी हासिल करें या हर बात पर झगड़ा करें, तो समझिए पेरेंट्स और बच्चे के बीच दूरियां आना तय है।
ऐसे बनाएं रिश्तों में मधुरता
क्षमा मांगना:
माफी मांगना पेरेंट्स और बच्चे के टूटे रिश्ते को सुधारने में काफी मददगार हो सकता है। ये रिश्ते में आगे बढ़ने का बेहतर तरीका हो सकता है। गलतियां सभी करते हैं ये सोचकर उसे दोबारा न दोहराएं और दिल से माफी मांगें।
सुनें और समझें:
एक मां की ड्यूटी 24/7 की होती है। ये बहुत ही थका देने वाला जॉब होता है। ऐसे में कई बार मां बेटे की बात को सुनना और सलाह देना भूल जाती हैं। रिश्तों में दरार आने से पहले पेरेंट्स और बच्चे एक दूसरे की बातें सुनें और उसे समझने का प्रयास करें। इससे रिश्तों को दोबारा से मधुर बनाया जा सकता है।
तुलना मत करो:
अपने बच्चों की दूसरों से तुलना करना सही नहीं है। इससे बच्चे में असुरक्षा की भावना घर कर सकती है। ये आदत रिश्तों में कड़वाहट का कारण बन सकती है। इसलिए वक्त रहते बच्चे के अंदर छिपी प्रतिभा को तलाशने का प्रयास करें। उसकी सराहना करें। इससे रिश्तों को सुधारने में मदद मिलेगी।
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प्राइवेसी जरूरी:
हर किसी को प्राइवेसी चाहिए। चाहे बच्चे का निजी जीवन हो या पेशेवर जीवन, आपको उसकी प्राइवेसी का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे को प्राइवेसी देने से दोनों के रिश्ते मधुर बन सकते हैं।
दबाव न डालें:
बच्चे पर किसी भी प्रकार का दबाव न डालें। इससे रिश्ते में तनाव और दरार पैदा हो सकती है। किसी भी निर्णय में उसके साथ रहें न कि उस पर दबाव डालें। दबाव डालने से बेटा आपसे दूर हो सकता है।
इन टिप्स को अपनाकर अपने रिश्ते को बेटे के साथ मधुर किया जा सकता है।