पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं को अधिक शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। उदाहरण के लिए माहवारी और गर्भवती होना। तो वहीं, उन्हें घर और दफ्तर दोनों ही संभालने पड़ते हैं। ऐसे में महिलाओं को अपनी फिटनेस का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। महिलाओं के लिए कई तरह के योग आसन हैं, लेकिन आज हम उपविष्ठ कोणाासन की बात कर रहे हैं। योग एक्सपर्ट दिव्यांश शर्मा से जानते हैं कि उपविष्ठ कोणाासन महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है। साथ ही जानेंगे कि इस आसन को करते समय किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।
उपविष्ठ कोणासन क्या है? (What is Upavistha konasana)
उपविष्ट कोणासन एक आसन है जिसको करने से महिलाओं को माहवारी की अनियमितता से लेकर नॉर्मल डिलेवरी में भी फायदा मिलता है। साथ ही यह आसन पैरों को अच्छा खिंचाव देता है और पाचन तंत्र को अच्छा करता है। गर्भवती महिलाएं भी अगर इस आसन को सावधानी पूर्वक करती हैं तो उससे पेल्विक मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं, जिससे नॉर्मल डिलेवरी में मदद होती है।
उपविष्ठ कोणासन करने का तरीका
- अपनी मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं।
- दंडासन यानी आपको अपने दोनों पैरों को जोड़कर सीधा रखते हुए बैठना है।
- कमर सीधी रहेगी और हाथ साइड में रहेंगे।
- पैरों को दाएं-बाएं जितना ज्यादा खोल सकते हैं उतना खोलें।
- अब सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ खिंचाव दें।
- सांस छोड़ते हुए सहजता पूर्वक आगे की ओर झुक जाएं। यह ध्यान रहे कि आप जहां तक आसानी से कर पा रहे हों।
- इस आसन के दौरान अपने पैर के अंदर वाली मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होगा।
- अगर खिंचाव महसूस नहीं हो रहा है तो पैरों को और ज्यादा खोलें। थोड़ा सा और आगे झुकें।
उपविष्ठ कोणासन करने के फायदे
योग एक्सपर्ट दिव्यांश शर्मा ने उपविष्ठ कोणासन करने के निम्न फायदे बताए हैं-
1. माहवारी के दर्द से राहत
योग से माहवारी की अनियमितता भी ठीक होती है। यह आसन पेल्विक फ्लोर मसल्स में खिंचाव देता है। इन मांसपेशियों में जो जटिलता रहती है उन्हें ठीक करता है। मांसपेशियों को आराम देता है। पीरियड्स के दौरान पेल्विक फ्लोर मसल अनियमित रूप से सिकुड़ती है, जिसकी वजह से पीरियड्स का दर्द थोड़ा ज्यादा होता है, और पीरियड्स लंबा समय लेते हैं। इस मांसपेशी नियंत्रण होने पर पीरियड्स का फ्लो ठीक होता है और अनियमितता दूर होती है।
2. पेट की मांसपेशियों को फायदा
यह आसन पेट की मांसपेशियों पर भी काम करता है। इस आसन में जब आगे की ओर झुकते हैं तब हमारा शरीर आगे गिर न जाए इसके लिए हमारी पीठ की पेट की दोनों की मांसपेशियां शरीर को नियंत्रित करती हैं। हमारे पेट की जो मांसपेशियां इसको नियंत्रित करती हैं, वही पेट की मांसपेशियां पीरियड्स के दौरान भी काम करती हैं।
3. रीढ़ की हड्डी को मजबूती
उपविष्ट कोणासन में जब आगे झुकते हैं तब हमारी रीढ़ की हड्डी गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध काम करती है। इसलिए पीठ के आसपास जो मांसपेशियां हैं उनमें बल आता है जो हमारी रीढ की हड्डी को मजबूत करता है।
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4. पैरों को मजबूती
पैर के अंदर की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। यह मांसपेशी अंग्रेजी में Adductor मसल कहलाती है। इस मांसपेशी में को खिंचाव देना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। चूंकि जब हम चलते हैं तो हमारे पंजे बाहर की तरफ ओर होते हैं, जिसकी वजह से यह मांसपेशी हमेशा टाइट रहती है। तो उसको यह खिंचाव देता है। जिससे पैरों को मजबूती मिलती है।
5. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
यह आसन गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है। यह आसन नॉर्मल डिलेवरी में मदद करता है। गर्भवती महिलाएं पहले तीन महीने इस आसन को न करें। बचे छह महीनों में मां इस तरीके से इस आसन का अभ्यास करे कि उनके पेट पर दबाव न आए। इसके लिए महिला अपने आगे दो-तीन बड़े तकिया रख लें, जिससे वे बहुत आगे न झकें और पेट पर भी कोई दबाव न आए। इसमें पैर के अंदर वाली मांसपेशी और पेल्विक क्लोर मांसपेशी को आराम मिलता है। इन मांसपेशियों को खिंचाव मिलता है जो कि सामान्य डिलेवरी के लिए अच्छे माना जाता है।
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सावधानी
जिन लोगों को लोअर बैक पेन होता है वे इसका अभ्यास न करें। अगर करते हैं तो किसी के निर्देशन में करें।
उपविष्ठ कोणासन महिलाओं की कई समस्याओं को दूर करता है। यह आसन करने से उनके माहवारी के दर्द की समस्या भी कम होती है।
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