Respiratory Diseases in Monsoon: मानसून सीजन में बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। इस समय प्राइवेट और सरकारी ओपीडी में मरीजों की मात्रा अचानक दोगुनी गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है श्वसन संबंधी बीमारियां। इस सीजन में ह्युमिडिटी बढ़ जाती है। वातावरण में नमी से कीटाणु पनपने लगते हैं। इसके संपर्क में आने से हम बीमार हो जाते हैं। सांस लेने के दौरान हवा में मौजूद ये जर्म्स हमारे वायु मार्ग के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और श्वसन पथ के संक्रमण का कारण बनते हैं। कुछ डॉक्टरों से बात करने पर हमें पता चला कि इस समय चाइल्ड ओपीडी में भी मरीजों की भारी संख्या हैं। ज्यादातर बच्चों को सर्दी-खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत है। चलिए जानते हैं मानसून में किन श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है और इससे बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
1. कॉमन कोल्ड- Common Cold
मानसून में कॉमन कोल्ड की समस्या बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी होता है। एक अनुमान के मुताबिक- कॉमन कोल्ड या सर्दी-जुकाम की समस्या बच्चों को सालभर में 6 से 12 बार होती है। वहीं बड़ों को सालभर में कॉमन कोल्ड करीब 2 से 4 बार होता है। इसलिए आप कह सकते हैं कि इस मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। जिन लोगों को अस्थमा है उन्हें सर्दी-जुकाम होने पर सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए ऐसे मरीजों का खास ख्याल रखें।
2. फेरिंजाइटिस- Pharyngitis
फेरिंक्स (Pharynx) में सूजन, जलन की स्थिति को फेरिंजाइटिस कहते हैं। फेरिंक्स गले का हिस्सा होता है। यह सांस नली के ऊपर और नाक व मुंह के पीछे होता है। यह इन्फेक्शन बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है। मानसून में यह दोनों ही बीमारियों का मुख्य कारण माने जाते हैं। फेरिंजाइटिस होने पर गले में सूजन और बुखार जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।
3. इंफ्लुएंजा- Influenza
इंफ्लुएंजा (फ्लू) एक संक्रामक वायरल श्वसन रोग है। इसका प्रकोप मानसून में ज्यादा होता है। यह इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है। बुजुर्गों को यह बीमारी अपनी चपेट में जल्दी ले लेती है। इंफ्लुएंजा होने पर तेज बुखार, खांसी, बॉडी पेन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। डॉक्टर्स की मानें, तो इस बीमारी से बचने के लिए फ्लू शॉट लेना जरूरी है। किसी व्यक्ति के खांसने या छींकने के कारण यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति के शरीर में चला जाता है।
4. एक्यूट ब्रोंकाइटिस- Acute Bronchitis
जिन लोगों को एक्यूट ब्रोंकाइटिस होता है उनकी श्वास नली में सूजन आ जाती है। इस बीमारी में श्वास नली कमजोर हो जाती है। ज्यादा बलगम बनने के कारण श्वास नली में रुकावट होती है और सांस लेने में कठिनाई होती है। ब्रोकाइटिस 2 प्रकार का होता है। पहला एक्यूट और दूसरा क्रॉनिक। एक्यूट ब्रोकाइटिस में कफ के साथ हल्का बुखार भी आ जाता है। यह समस्या बच्चों में ज्यादा होती है।
5. निमोनिया- Pneumonia
निमोनिया फेफड़ों का एक इन्फेक्शन है। यह बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य परजीवियों के कारण हो सकता है। मानसून में निमोनिया के मरीज बढ़ जाते हैं। निमोनिया की शुरुआत सर्दी-जुकाम से ही होती है। धीरे-धीरे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। निमोनिया इन्फेक्शन से बचने के लिए पीसीवी वैक्सीन का शॉट फायदेमंद माना जाता है। इसे जरूर लगवाएं।
इसे भी पढ़ें- मानसून में बढ़ जाता है इन 7 बीमारियों का खतरा, जानें कैसे करें बचाव
मानसून में रेस्पिरेटरी बीमारियों से बचने के उपाय- Respiratory Diseases Prevention Tips in Monsoon
1. साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। हाथों को साफ किए बगैर किसी भी चीज का सेवन न करें। हाथों को सैनिटाइजर से साफ करना काफी नहीं है। साबुन और पानी के इस्तेमाल से हाथों को साफ करें। जब भी टॉयलेट का इस्तेमाल करें, तो हाथों की सफाई पर गौर करें।
2. मानसून में आप फिट हों या बीमार, आराम जरूर करें। इस मौसम में बीमारियों से बचने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाना जरूरी है। जो लोग अपनी स्लीप साइकिल पूरी नहीं करते उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। ऐसे में मौसमी बीमारियों से बचने के लिए रोज 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें।
3. घर का बना ताजा खाना खाएं। इस दौरान हेल्दी डाइट की भूमिका अहम होती है। अपनी डाइट में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन-डी, विटामिन-सी, विटामिन-ए आदि को शामिल करें।
4. मानसून में इन्फेक्शन और बीमारियों से बचने के लिए खुद को हाइड्रेट रखें। इस मौसम में खुले में पानी पीना, गोलगप्पे का पानी, टैप वॉटर का सेवन न करें। रोज 7 से 8 गिलास पानी का सेवन करें।
5. मानसून में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज करें।
6. सांस की बीमारियों से बचने के लिए धूम्रपान, धूल, स्मोग, केमिकल्स से दूरी बरतें।
मानसून में अपनी सेहत का ख्याल रखें। आपके मन में किसी भी तरह का सवाल हो, तो ओनलीमायहेल्थ के फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पर पूछ सकते हैं। यह जानकारी पसंद आई हो, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।