बच्चों में क्यों होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की समस्या? जानें इसके प्रकार और लक्षण

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में बच्चे की मांसपेशियां कमजोर होती हैं जिसकी वजह से उसका पूरा विकास नहीं हो पाता।
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बच्चों में क्यों होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की समस्या? जानें इसके प्रकार और लक्षण


मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों में 30 से अधिक अलग-अलग तरह की वंशानुगत बीमारियों के एक समूह का नाम है। इस प्रकार की बीमारी में मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे मांसपेशियों का विकास सही से नहीं हो पाता है। इस स्थिति में मांसपेशियों का नियंत्रण खो जाता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी तीन से छह साल के बच्चों को ज्यादातर प्रभावित करती है और इसका कोई इलाज भी संभव नहीं है। विभिन्न प्रकार के इलाज इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

बच्चो में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण 

कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट एंड पीडियाट्रिशन डॉक्टर सुमित गुप्ता के मुताबिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी शरीर में जीन के बदलने के कारण हो सकता है। इससे शरीर की मसल्स में प्रोटीन की कमी हो जाती है। अलग-अलग प्रकार के जीन में परिवर्तन के कारण अलग-अलग प्रकार की डिस्ट्रॉफी हो सकती हैं। बच्चों में माता पिता के प्रभावित जीन प्राप्त होने के कारण भी यह स्थिति देखने को मिल सकती है, लेकिन कुछ मामलों में ये अलग कारण की वजह से भी हो सकता है। भविष्य में आगे की पीढ़ियों को भी यह रोग प्रभावित कर सकता है।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रकार

बचपन और बुढ़ापे में कई प्रकार की डिस्ट्रॉफी हो सकती है। आमतौर पर बचपन में पेसियो डिस्ट्रॉफी के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। ये अलग प्रकार से बच्चों की मसल्स को कमजोर करती है। इसके अलग-अलग प्रकार के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कुछ सामान्य प्रकार मे डेचन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी शामिल हैं।

एमरी-ड्रेफस मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

एमरी-ड्रेफस मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों में काफी दुर्लभ होती है। यह बीमारी एक लाख लोगो में से केवल एक में पाई जाती है। यह बचपन से लेकर युवा अवस्था तक कभी भी हो सकती है। इसके लक्षण हैं-

  • रीढ़ की हड्डी का जकड़ जाना। 
  • ऊपर वाली बाजू और पैरो की मासपेशियों का कमजोर होना
  • हाथ की कोहनी, रीढ़ की हड्डी, घुटने और गर्दन के पिछले हिस्से में विकास कम होना।

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डेचन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी 

यह स्थिति एक्स क्रोमोसोम में खराबी होने के कारण होती है। यह बीमारी ज्यादातर लड़कों में होती है। लगभग 50% लोगों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के केस में ऐसे ही देखे जाते हैं। यह तीन से छह साल के बच्चों में ज्यादा पाई जाती है। इस स्थिति में जीन के बदलते रूप के कारण, मांसपेशियों का सही से विकास नहीं हो पाता है। इसके लक्षण हैं-

  • इसमें बैठते हुए और खड़े होने में कठिनाई हो सकती है।
  • कूदने और दौड़ने मे परेशानी हो सकती है।
  • चलते-चलते गिर जाना, बैलेंस बिगड़ जाना।
  • मांसपेशियों का कमजोर हो जाना। 

जन्मजात मस्कुलर डिस्ट्रॉफी 

यह डिस्ट्रॉफी जन्म के समय ही होती है। इस स्थिति में एक लाख जन्म लेने वाले बच्चों में तीन या उससे कम मामले इस प्रकार की डिस्ट्रोफी के पाए जाते हैं।  ऐसा माना जाता है कि जन्मजात डिस्ट्रॉफी वंश के अनुसार हो जाती है।

  • जन्म के समय बच्चे की मसल्स कमजोर होना।
  • बच्चे की टांग मे फर्क होना या लंगड़ा बच्चा होना।
  • सिर का खराब होना।

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बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी 

यह स्थिति मसल्स को बनाए रखने के लिए डायस्ट्रोफिन प्रोटीन मे जीन के बदलते रूप के कारण हो सकती है। यह बड़े बूढे लोगों में देखी जा सकती है और ज्यादातर पुरुषों में ही होती है।

बार-बार गिर जाना और मांसपेशियों में ऐठन होना इसके मुख्य लक्षण होते हैं। डेचन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की तुलना मे इसके लक्षण देर से दिखाई देते हैं।

इस स्थिति के लक्षणों को दवाइयों और कुछ थेरेपी के द्वारा कम किया जा सकता है। कुछ केस में डॉक्टर सर्जरी की भी सलाह देते हैं।

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